निजी संपत्तियों के अधिग्रहण पर सुप्रीम कोर्ट का बड़ा फैसला, कहा- सरकार इन्हें नहीं ले सकती

नई दिल्ली, 5 नवंबर - सुप्रीम कोर्ट की नौ जजों की बेंच ने मंगलवार को निजी संपत्तियों के अधिग्रहण किए जाने को लेकर बड़ा फैसला दिया है। चीफ जस्टिस डीवाई चंद्रचूड़ की अध्यक्षता वाली बेंच ने कहा कि हर निजी संपत्ति को संविधान के अनुच्छेद 39(बी) के तहत सामुदायिक संपत्ति का हिस्सा नहीं माना जा सकता। बेंच ने तीन हिस्सों के फैसले में कहा, "निजी संपत्ति किसी समुदाय के भौतिक संसाधन का हिस्सा हो सकती है। लेकिन यह जरूरी नहीं कि हर संसाधन जिसका मालिकाना हक किसी व्यक्ति के पास हो वह समुदाय के भौतिक संसाधन का हिस्सा हो ही।" सुप्रीम कोर्ट ने इस फैसले के साथ ही 1978 के जस्टिस कृष्णा अय्यर के उस निर्णय को पलट दिया, जिसमें कहा गया था कहा गया था कि सरकार आम भलाई के लिए सभी निजी संपत्तियों को अधिगृहित कर सकती है। सात न्यायाधीशों का बहुमत के फैसले में कहा कि सरकार के निजी संपत्तियों पर कब्जा कर सकने की बात कहने वाला पुराना फैसला विशेष आर्थिक, समाजवादी विचारधारा से प्रेरित था। हालांकि, मौजूदा फैसले के तहत निजी स्वामित्व वाले सभी संसाधनों को अब सरकार द्वारा अधिगृहीत नहीं किया जा सकता। सुप्रीम कोर्ट की नौ जजों की बेंच में दो जजों का फैसला अलग रहा। जहां जस्टिव बीवी नागरत्ना ने बेंच के फैसले से आंशिक रूप से असहमति जताई, वहीं न्यायमूर्ति सुधांशु धूलिया पूरी तरह असहमत रहे।