राजधानी में बड़ा हादसा, 4 मंजिला इमारत गिरी
नई दिल्ली, 12 जुलाई- दिल्ली के सीलमपुर इलाके में एक दिल दहला देने वाला हादसा हुआ है। यहां एक चार मंजिला इमारत अचानक ढह गई। मलबे में करीब 12 लोगों के दबे होने की आशंका है। अब तक मलबे से चार लोगों को निकाला जा चुका है। कई लोग अभी भी मलबे में दबे हुए हैं। उन्हें बचाने के प्रयास जारी हैं। हादसे की सूचना मिलते ही पुलिस और दमकल की टीमें मौके पर पहुंच गईं। फिलहाल पुलिस, दमकल और एनडीआरएफ की टीमें राहत और बचाव कार्य में जुटी हैं। स्थानीय लोग भी मलबा हटाने में मदद कर रहे हैं। दमकल विभाग के मुताबिक, दिल्ली के सीलमपुर इलाके में एक इमारत ढह गई है। 3 से 4 लोगों को अस्पताल ले जाया गया है। और लोगों के दबे होने की आशंका है। बचाव कार्य के लिए दमकल की 7 गाड़ियां मौके पर मौजूद हैं।
आपको बता दें कि कल भी आज़ाद मार्केट इलाके में मेट्रो के जनकपुरी पश्चिम-आरके आश्रम मार्ग कॉरिडोर के लिए सुरंग निर्माण क्षेत्र में एक जर्जर इमारत गिर गई थी। इस हादसे में भी एक व्यक्ति की मौत हो गई थी। इस मामले में बाड़ा हिंदू राव थाना पुलिस ने लापरवाही से मौत की धारा के तहत प्राथमिकी दर्ज की है। वहीं, दिल्ली मेट्रो ने कहा है कि मनोज के परिवार को 5 लाख रुपये की आर्थिक सहायता दी जाएगी। मेट्रो प्रबंधन ने भी मामले की जांच शुरू कर दी है।
उत्तरी ज़िला पुलिस उपायुक्त राजा बंठिया ने बताया कि गुरुवार रात करीब 1.55 बजे पुलिस और दमकल विभाग को एक इमारत गिरने की सूचना मिली। सूचना मिलते ही स्थानीय बाड़ा हिंदू राव थाने की पुलिस और दमकल की तीन गाड़ियां मौके पर पहुंच गईं। तब तक वहां बड़ी संख्या में लोग जमा हो गए थे। चारों तरफ अफरा-तफरी का माहौल था। स्थानीय लोगों से पता चला कि गिरी हुई इमारत करीब 70 से 80 साल पुरानी थी। दो मंजिला इमारत में तीन दुकानें थीं। पहली मंजिल पर एक गोदाम था।
घटना के बाद स्थानीय दुकानदारों ने प्रशासन पर लापरवाही का आरोप लगाया है। दुकानदारों का आरोप है कि मेट्रो निर्माण में लापरवाही के कारण यह हादसा हुआ। फेडरेशन ऑफ सदर बाजार ट्रेडर्स एसोसिएशन के अध्यक्ष राकेश यादव ने सीधे तौर पर भूमिगत मेट्रो निर्माण कार्य को ज़िम्मेदार ठहराया। उन्होंने कहा कि अगर यह हादसा दिन के समय होता, तो कई जानें जा सकती थीं। स्थानीय लोगों का आरोप है कि मेट्रो निर्माण कार्य के चलते डीएमआरसी ने जर्जर इमारतों को नोटिस जारी किए थे। लेकिन नोटिस के बावजूद यहां दुकानें खुल रही थीं। जर्जर घोषित होने के बाद भी इमारतों को खाली नहीं किया गया।