पाक में पहली बार यूनिवर्सिटी के समारोह में की गई ‘दस्तार’ पर विचार-चर्चा

अमृतसर, 24 मई (सुरिन्द्र कोछड़): पाकिस्तान के ज़िला फैसलाबाद के गवर्नमैंट कालेज यूनिवर्सिटी में करवाए गए सांस्कृतिक समारोह में ‘दस्तार’ को सम्मान भेंट करते हुए सर्वप्रथम स्थान दिया गया है। प्राप्त जानकारी के अनुसार उक्त यूनिवर्सिटी द्वारा पाकिस्तान के हर धर्म व हर क्षेत्र से संबंधित संस्कृति से विद्यार्थियों को अवगत करवाने हेतु यह समारोह करवाया गया, जिसमें पाक के विभिन्न शहरों से पहुंचे लोगों ने अपनी वेशभूषा, धर्म, विरासत व भाषा बारे जानकारी प्रदान की। इस समारोह में यूनिवर्सिटी के विशेष आमंत्रण पर पहुंचे ज़िला श्री ननकाना साहिब के निवासी भूपिंदर सिंह लवली ने पंजाबियत, सिख धर्म व पंजाबी संस्कृति में ‘दस्तार’ की महानता बारे जानकारी दी। इसके अलावा उन्होंने बाबा शेख फरीद से शुरू कर सूफी संतों, गुरु नानक देव जी व दशमेश पिता श्री गुरु गोबिंद सिंह व सिख योद्धाओं द्वारा दी गई कुर्बानियों बारे सारा इतिहास तथ्यों के आधार पर बयां किया। आज श्री ननकाना साहिब से ‘अजीत समाचार’ को यह जानकारी देते हुए भूपिंदर सिंह ने बताया कि गवर्नमैंट कालेज यूनिवर्सिटी फैसलाबाद द्वारा करवाया गया पाकिस्तान का यह पहला ऐसा समारोह था, जिसमें दस्तार की महानता पर विस्तारपूर्वक चर्चा की गई और सांस्कृतिक कार्यक्रम के दौरान न केवल उन्हें सम्मानित किया गया, बल्कि पाकिस्तान में ‘दस्तार’ की महानता को मुख्य रखते हुए समारोह में दस्तार व पंजाबियत को सबसे ऊंचे स्तर पर रखते हुए पहला स्थान भी दिया गया। उन्होंने बताया कि समारोह में यूनिवर्सिटी के प्रो. ताहिर चट्ठा ने दस्तार की महानता व सिखों की कुर्बानियों के इतिहास से परिचित होने के बाद विद्यार्थियों को बताया कि हम सभी का दायित्व बनता है कि सिख धर्म में जो दस्तार सिर पर सजाई जाती है, उसे हर प्रकार का सम्मान दिया जाए। उन्होंने कहा कि आज पगड़ीधारी सिख विश्व के हर शहर में इंसानियत की सेवा कर अपना विशेष अस्तित्व कायम कर रहे हैं।