हरियाणा में 600 शैलर बंद होने से पंजाब के किसानों पर पड़ रहा असर

जालन्धर, 11 नवम्बर (शिव शर्मा) : दिल्ली के प्रदूषण के कारण केन्द्र द्वारा एनसीआर के साथ-साथ 120 किलोमीटर की रेंज में सभी शैलर भी बंद करने के फैसले से जहां हरियाणा के भी 600 शैलर इस समय बंद हो गए हैं व इससे पंजाब के किसानों की धान खरीद पर इसका असर पड़ने का अंदेशा जाहिर किया जा रहा है। ऑल इंडिया राईस एक्सपोटर्स एसोसिएशन के प्रधान विजय सेतीया ने केन्द्रीय प्रदूषण कंट्रोल बोर्ड के चेयरमैन भूरे लाल को शैलर बंद करवाने के फैसले से नाराज होकर लिखे एक पत्र में कहा है कि यदि शैलरों को जल्दी न खोला गया तो छंटाई होने के लिए धान के खराब होने का खतरा बढ़ता जाएगा तो शैलर मालिक स्वयं ही धान को सरकार के हवाले कर देंगे कि वह खुद ही उनके चावल तैयार करवा लें। विजय सेतीया का कहना था कि 120 किलोमीटर की रेंज में तो सभी शैलर बंद कर दिए गए हैं और जिन राज्यों में शैलर बंद हुए हैं उनमें हरियाणा व दिल्ली के साथ लगते राज्य शामिल हैं। विजय सेतीया ने कहा कि करनाल, पानीपत, कुरुक्षेत्र जैसे कई ज़िले हैं जहां कि किसी भी तरह का कोई प्रदूषण नहीं है तो वहां के भी शैलर क्यों बंद करवाए गए हैं। शैलर बंद होने से कई व्यापारी किसानों से 100 रुपये से लेकर 150 रुपए क्विंटल सस्ती धान की खरीद कर रहे हैं क्योंकि उनको पता है कि शैलर बंद पड़े हैं और उनकी धान नहीं उठाई जाएगी। पंजाब में जो निजी लोग भी धान की खरीद करने के चाहवान थे उन्होंने अब 100 से लेकर 150 क्विंटल सस्ती धान मिलने की आशा में हरियाणा की ओर कूच करना शुरू कर दिया है। इससे पंजाब के किसानों का भी नुकसान है। विजय सेतीया ने हैरानगी जाहिर की कि हरियाणा दिल्ली के प्रदूषण के लिए किस तरह से ज़िम्मेवार बनाया जा रहा है क्योंकि हरियाणा में कोई प्रदूषण नहीं है। उन्होंने दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल को सवाल किया कि दिल्ली में हर समय नया करने के तजुर्बे करते हैं तो दिल्ली में अपना प्रदूषण घटाने के लिए तो उनको गाड़ियों की ऑड-ईवन योजना शुरू करनी चाहिए। दिल्ली की गाड़ियों से ही प्रदूषण बढ़ा है और इसके लिए दूसरे राज्यों को ज़िम्मेवार क्यों माना जा रहा है। सेतीया का कहना है कि भूरे लाल जो कि खुद एफसीआई के चेयरमैन रहे हैं उनको पत्र के ज़रिए सूचित कर दिया गया है कि शैलरों का अधिक समय बंद रहना उचित नहीं होगा। यदि शैलरों को न खोला गया तो सरकार को ही धान वापिस कर देंगे कि वह उसके स्वयं ही चावल तैयार करवाएं।