भारत रत्न के लिए मेजर ध्यानचंद की अनदेखी से हॉकी के दिग्गज दु:खी 

नई दिल्ली, 27 जनवरी (भाषा)  : एक बार फिर देश के सर्वोच्च नागरिक सम्मान भारत रत्न के लिये मेजर ध्यानचंद की अनदेखी होने से दुखी हाकी दिग्गजों ने कहा है कि भारत को खेल मानचित्र पर पहचान दिलाने वाले खेल और खिलाड़ी को यूं नकारना ‘दुर्भाग्यपूर्ण’ है। यूपीए सरकार ने 2014 में भारत रत्न के लिये खेल क्षेत्र को भी विभिन्न श्रेणियों में शामिल किया । खेलों में हालांकि पहला और अब तक का एकमात्र भारत रत्न चैम्पियन क्रिकेटर सचिन तेंदुलकर को दिया गया है। ध्यानचंद के बेटे अशोक कुमार ने कहा कि उनके परिवार ने अब उम्मीद ही छोड़ दी है। उन्होंने भाषा से कहा, ‘लगता है कि कोई भी सरकार उनके योगदान को समझ ही नहीं पा रही है । अब इतने साल के इंतजार के बाद हमारी उम्मीद टूटती जा रही है।’ इस साल जनसंघ के नेता नानाजी देशमुख, मशहूर संगीतकार भूपेन हजारिका को मरणोपरांत और पूर्व राष्ट्रपति प्रणब मुखर्जी को भारत रत्न देने का ऐलान किया गया है। तीन ओलंपिक (1928, 1932 और 1936) में भारत को स्वर्ण पदक दिलाने वाले ध्यानचंद के नाम की अनुशंसा यूपीए सरकार में खेलमंत्री रहे अजय माकन और मौजूदा भाजपा सरकार में खेलमंत्री रहे विजय गोयल ने 2017 में की थी । इसके अलावा पूर्व ओलंपियनों ने भी 2016 में उन्हें भारत रत्न से नवाजने की मांग को लेकर प्रदर्शन किया था। भारत की 1975 विश्व कप जीत के सूत्रधारों में रहे अशोक ने कहा , ‘भारत रत्न क्षेत्रवाद या राजनीति से परे होना चाहिये । उनकी अनदेखी नहीं होनी चाहिये जिन्होंने देश का नाम दुनिया भर में रोशन किया है।’ वहीं ओलंपियन असलम शेर खान ने कहा कि खेलों में सबसे पहले हाकी और हाकी में भी सबसे पहले ध्यानचंद को यह पुरस्कार मिलना चाहिये था।