ब्रिटिश राज के समय भारत में बड़े घोटाले पर सरकार ने डाला था पर्दा : रिपोर्ट

लंदन, 17 मार्च (भाषा) : ब्रिटेन के तत्कालीन प्रधानमंत्री क्लिमेंट एटली, सरकार की विदेशी खुफिया सेवा एमआई 6 के प्रमुखों और बकिंघम पैलेस के सहायकों ने मिलकर भारत में तैनात उसके एक गवर्नर द्वारा चैरिटी फंड की चोरी से जुड़े ब्रिटिश साम्राज्य के आखिरी घोटाले पर पर्दा डालने की साजिश रची थी। ब्रिटेन के राष्ट्रीय अभिलेखागार ने खुलासा किया कि साल 1940 और 1946 के बीच मद्रास प्रेजीडेंसी के गवर्नर के रूप में तैनात सर आर्थर होप को इंडियन रेड क्रॉस को दान देने का काम सौंपा गया था। ‘द टाइम्स’ की एक खबर के मुताबिक, साल 1944 में ब्रिटिश प्रतिष्ठान को उनके बढ़ते कर्ज के बारे में भनक लग गई। जानकारी मिली कि उन्होंने चैरिटी के लिए दी निधि का दुरुपयोग भी किया। बताया जाता है कि होप को घुड़दौड़ का शौक था और इसी के चलते उन पर कर्ज बढ़ गया जिससे उन्होंने निधि का गबन करना शुरू कर दिया। माना जाता है कि उस वक्त उन्होंने अपना कर्ज चुकाने के लिए 40,000 पाउंड की निधि का गबन किया।  अभिलेखागार के दस्तावेजों के अनुसार, जब उस समय भारत के वायसराय लॉर्ड वावेल को पता चला कि भारत में होप के कुछ लेनदार अपना पैसा वापस चाहते हैं तो उन्होंने फैसला किया कि गवर्नर को चुपचाप पद से हटा दिया जाए। उस वक्त इसके लिए होप के स्वास्थ्य को आधार बनाया गया।