मर्यादा व मूल्यों का प्रतीक दो अक्षर का दिव्य नाम ‘राम’

मात्र दो अक्षर के नाम  ‘राम’ की सारी दुनिया में एक अद्भुत महिमा है। केवल भारत एवं हिन्दू धर्म में ही नहीं अपितु विश्व के कोने-कोने तक राम के नाम की महिमा का गुणगान होता आ रहा है। 
चैत्र शुक्ल नवमी को आस्थामयी होकर सारा देश श्री राम का जन्म मनाता है। मर्यादा पुरुषोत्तम कहे जाने वाले राम, अपने समय के एक राज्य अयोध्या के राजा दशरथ के पराक्रमी बेटे, पितृ आज्ञा के पालक, दुष्टहंता शोषितों व पीड़ितों के रक्षक, नारी का सम्मान करने व बचाने वाले नायक, अपनी प्रजा के भावों को समझने व उन्हें महत्ता देने वाले राजा, अपने न्याय के बल पर राम राज को अक्षुण्ण व अमर बना देने वाले ऐसे राजा थे। 
आज भी राम का नाम भारतीय संस्कृति, सभ्यता, संस्कारों व मूल्यों का प्रतीक है। सार रूप में कहें तो राम की छवि आज भी एक आदर्श पुत्र, पति, भाई व शासक की है और इसीसे प्रेरित हो आम आदमी आज भी ‘राम राज्य’ के सपने पालता है। आज भी राम आदर्श भारतीय समाज के प्रतीक पुरुष हैं। समाज उनमें एक मर्यादा पुरुषोत्तम शासक, लोकरंजक जनकल्याणकारी महान राजा के दर्शन करता है। पुराणों एवं मिथकों के अनुसार श्री राम विष्णु के पूर्ण अवतार हैं तो व्यवहारवादियों की नज़र में वह एक सर्वगुण सम्पन्न आदर्श मानव हैं। जनश्रुतियों व रामायण की कथा में राम अहिल्या, केवट, शबरी, सुग्रीव, जटायु या विभीषण जैसे हर आस्थावान, त्रस्त व पीड़ित पात्र को संकट से मुक्त करते हैं। इस कथा के अनुसार तो जो भी जाने या अनजाने में भी श्री राम की शरण में जाता है उसे मोक्ष प्राप्त होता है ।
श्री राम की गुरु भक्ति व समर्पण अद्भुत है। गुरु की आज्ञा का पालन पूरे समर्पण के साथ किया। यदि वशिष्ठ से वह बचपन में शिक्षा व शास्त्रज्ञान लिया तो विश्वामित्र से अल्प समय में ही शस्त्र विद्या न केवल सीखी अपितु उसमें इतने पारंगत हो गये कि उसका उपयोग करके मायावी राक्षसों ताड़का, मारीच व सुबाहू जैसे आताताइयों का नाश कर दिया।
ज़रूरत पड़ने पर दुर्बलों को सताने, मारने तथा उनका शोषण करने वालों को उन्होंने पहले तो सत्पथ पर लाने का प्रयास किया परन्तु जब ऐसे लोगों ने अत्याचार की सीमा पार की, तब राम दुष्टहंता बने। सागर को सोख लेने तक पर उतर आये, अग्नि बाण साध लिया। दूसरों की ताकत को ही अपनी ताकत बना प्रयोग करने वाले, वानर राजा बाली का वध करने से परहेज नहीं किया। 
राम धर्म-निरपेक्ष हैं, जाति-पाति तथा ऊंच नीच से दूर हैं। राजा के रूप में राम का कोई सानी नहीं है। वह अपने राज्य की ऐसी व्यवस्था करते हैं कि राम राज्य आने वाले युगों के लिए भी एक आदर्श राज्य बन जाता है। कहने वाले सही ही कहते हैं कि जहां राम जैसा राजा हो, वहां अनिष्ट नहीं हो सकता। राम स्वयं सादा जीवन, उच्च विचार का पालन करते हैं पर अपनी प्रजा को सारी सुविधाएं व सुख देने में कोई कसर नहीं उठा रखी। आज भी प्रजा अपने शासकों में राम की छवि ढूंढती है। राम ऐसे दक्ष सेना-नायक थे जिन्होंने दिव्य अस्त्र शस्त्रों से युक्त रावण को उसके मायावी पुत्रों, राक्षसों व लंका की सेना सहित परास्त कर दिया। 
साहित्य में भी राम का वर्णन अनुपम है। राम दिव्य हैं, कालातीत हैं। राम आज भी एक आदर्श एवं मर्यादा पुरुषोत्तम के रूप में स्थापित हैं । राम के चरित्र एवं कार्यों तथा व्यवहार से युगों युगों से प्रेरणा ली जा रही है और आगे भी ली जाती रहेगी। 
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