बीडीएस चमकते दांतों से चमचमाता करियर
साफ सफेद, चमचमाते दांत सिर्फ हमारी पर्सनैलिटी को ही नहीं निखारते, न ही ये सिर्फ हमारे सेहतमंद होने की गारंटी होते हैं। दांतों की चमक निखारने और उनकी चमक बरकरार रखने का हुनर जिसे बैचलर ऑफ डेंटल सर्जरी उर्फ बीडीएस कहते हैं, हमें शानदार करियर भी देता है। जी, हां! पिछले एक दशक में मेडिकल क्षेत्र में जिस विशेषज्ञ की सबसे ज्यादा मांग बढ़ी है, वह दांतों का विशेषज्ञ अर्थात बीडीएस या एमडीएस ही है। पिछले एक दशक में डेंटल सर्जनों की मांग 400 फीसदी से ज्यादा रफ्तार से बढ़ी है और दांतों की साफ -सफाई तथा उनकी देख-रेख में खर्च होने वाले धन में 2500 फीसदी से ज्यादा की बढ़ौत्तरी हुई है। इससे अंदाजा लगाया जा सकता है कि देश में डेंटल सर्जनों की मांग कितनी ज्यादा है।
कहने की जरूरत नहीं है कि दांतों की चमचमाहट सुनिश्चित करने के कौशल में आज जबरदस्त कॅरियर है। इसलिए देश के विभिन्न मेडिकल कॉलेजों में पिछले पांच सालों में बीडीएस कोर्स में दाखिला लेने वाले छात्राें की संख्या में 300 फीसदी से ज्यादा की बढ़ौत्तरी हुई है। बीडीएस डेंटल साइंस से संबंधित पांच वर्षीय कोर्स है जिसमें नीट (आल इंडिया एंटे्रस एग्जाम) के माध्यम से दाखिला मिलता है। इसके लिए 10़2 में विज्ञान विषयों के साथ 50 फीसदी अंकों से पास होना अनिवार्य है। जबकि एमडीएस में प्रवेश के लिए बीडीएस की डिग्री होनी अनिवार्य है।
बीडीएस पाठ्यक्रम में दांतों से जुड़ी तमाम समस्याओं के विषय में पढ़ाया जाता है। इस कोर्स में दांतों में लगने वाली सभी बीमारियों के इलाज के बारे में बताया जाता है। इस कोर्स से आपको दांतों के उपचार के साथ-साथ उनके प्रत्यारोपण, मैक्सीलोफि कल, प्रोस्थेसिस, ऑकुलर प्रोस्थेसिस जैसे दांतों से संबंधित तमाम उपचार प्रक्रियाओं को बताया जाता है। एमडीएस, बीडीएस कर लेने वाले छात्रों के लिए होता है। इसमें दांतों से संबंधित समस्याओं में विशेषज्ञता हासिल करवायी जाती है।
एमबीबीएस की तरह बीडीएस और एमडीएस का कोर्स भी मेडिकल काउंसिल ऑफ इंडिया द्वारा संचालित होता है। साढ़े पांच साल के इस कोर्स को करने के बाद आपको जो बैचलर ऑफ डेंटल साइंस की डिग्री मिलती है, उसे मेडिकल काउंसिल ऑफ इंडिया ही मान्यता देती है। वैसे तो किसी बीडीएस के कॅरियर में कमाई का सिलसिला तकनीकी रूप से डिग्री हासिल करने के बाद ही शुरु होता है। लेकिन देश में जिस तरह से सभी क्षेत्रों में डॉक्टरों की कमी है, उसको देखते हुए जो अंतिम डेढ़ सालों तक बीडीएस छात्रों को रेजिडेंट ट्रेनिंग दिलायी जाती है उस दौरान भी उन्हें 20,000 से लेकर 35,000 रुपये तक की मासिक सैलरी मिलती है।