चिंता का सबब बनते सैन्य हेलीकॉप्टर हादसे

16 मार्च को अरुणाचल प्रदेश के बोमडिला में सेना का चीता हेलीकॉप्टर दुर्घटनाग्रस्त हो गया और इस हादसे में दोनों पायलटों लेफ्टिनेंट कर्नल वीवीबी रेड्डी तथा मेजर जयंत ए की मौत हो गई। बोमडिला के पास एक ऑपरेशनल सॉर्टी के दौरान आर्मी एविएशन के चीता हेलीकॉप्टर के एटीसी से सम्पर्क टूटने की सूचना मिली थी और कुछ देर बाद पता चला कि भारतीय सेना का यह हेलीकॉप्टर बोमडिला के पश्चिम में मंडला के पास पहाड़ी इलाके में क्रैश हो गया है। भारतीय सेना द्वारा इस हेलीकॉप्टर दुर्घटना की जांच के आदेश दे दिए गए हैं। पिछले साल दीवाली से ठीक पहले अरुणाचल प्रदेश में ही अपर सियांग ज़िले में भारतीय सेना का अटैक हेलीकॉप्टर ‘रुद्र’ क्रैश हो गया था, जिसमें सवार दो पायलट तथा तीन अन्य लोग मौत की नींद सो गए थे। हेलीकॉप्टर ने लिकाबली से उड़ान भरी थी और वह सेना के टूटिंग मुख्यालय से 25 किलोमीटर दूर सिंगिंग गांव के पास क्रैश हो गया था। 21 अक्तूबर को हुए उस हादसे से 16 दिन पहले 5 अक्तूबर 2022 को अरुणाचल प्रदेश के ही तवांग इलाके के पास सेना का चीता हेलीकॉप्टर क्रैश हो गया था, जिसमें एक पायलट की मौत हो गई थी। लगातार हो रहे ऐसे सैन्य हेलीकॉप्टर हादसे सेना के हेलीकॉप्टरों के सुरक्षित होने को लेकर गंभीर सवालों को जन्म दे रहे हैं।
8 दिसम्बर 2021 को चेन्नई के पास हुए वायुसेना के एमआई-17 वी5 हेलीकॉप्टर हादसे ने तो पूरे देश को झकझोर दिया था, जिसमें सीडीएस बिपिन रावत सहित 14 लोगों की मौत हो गई थी। उस भयानक हादसे के बाद लोकसभा में पूछे गए एक प्रश्न के उत्तर में रक्षा राज्यमंत्री अजय भट्ट ने 2017 से 2021 तक के हादसों की जानकारी देते हुए बताया था कि उन पांच वर्षों में कुल 17 सैन्य हेलीकॉप्टर क्रैश हुए, जिनमें 36 सैन्य कर्मियों की जान गई। हालांकि इन आंकड़ों के बाद भी कई सैन्यकर्मियों की ऐसे हादसों में मौत हो चुकी है। 2021 में तो ऐसे कुल पांच हादसे घटित हुए, जिनमें 19 सैन्यकर्मी मौत की नींद सो गए और कुछ गंभीर रूप से घायल हुए। 25 जनवरी 2021 को थलसेना का एएलएच-डब्ल्यू एसआई क्रैश होने से एक जवान शहीद हुआ था और एक घायल हुआ था। 3 अगस्त 2021 को थल सेना का ही एडवांस्ड लाइट रुद्र हेलीकॉप्टर क्रैश होने से दो सैन्यकर्मी मारे गए थे। 21 सितम्बर 2021 को थल सेना का चीता हेलीकॉप्टर क्रैश हो गया था, जिसमें दो सैन्यकर्मियों की मौत हुई थी। 18 नवम्बर 2021 को वायुसेना का एमआई-17 हेलीकॉप्टर क्रैश होने पर एक सैन्यकर्मी घायल हुआ था। 8 दिसम्बर 2021 को वायुसेना के एमआई-17 वी5 हेलीकॉप्टर क्रैश में 14 सैन्यकर्मी शहीद हुए थे।
सेना में हेलीकॉप्टरों की भूमिका बेहद महत्वपूर्ण होती है, जो सैन्य कार्रवाईयों के अलावा सामान इत्यादि पहुंचाने और सैनिकों के आने-जाने के लिए इस्तेमाल में लाए जाते हैं। आमतौर पर सैन्य हेलीकॉप्टरों का इस्तेमाल आतंकी हमलों से निपटने, बाढ़ पीड़ित इलाकों, भूस्खलन वाला पर्वतीय क्षेत्रों इत्यादि में बचाव कार्यों में किया जाता रहा है। इसके अलावा सियाचिन जैसे दुर्गम इलाकों में तैनात हमारे जवानों तक भोजन तथा अन्य आवश्यक सामग्री पहुंचाने के लिए भी इनका इस्तेमाल होता है। ऐसे में इन हेलीकॉप्टरों का लगातार दुर्घटनाग्रस्त होना चिंता का कारण बन रहा है। सियाचिन ग्लेशियर पर सर्वाधिक इस्तेमाल चीता हेलीकॉप्टर ही होता है, जिसे एक पायलट उड़ाता है और इसमें 4 जवान अथवा 1135 किलोग्राम वजन ले जाया जा सकता है। 10.1 फुट ऊंचा और 33.7 फीट लंबा यह हेलीकॉप्टर अधिकतम 192 किलोमीटर प्रतिघंटा की गति से 515 किलोमीटर तक उड़ान भरने में सक्षम है और यह अधिकतम 17715 फुट की ऊंचाई तक जा सकता है। एचएएल चेतक को दो पायलट उड़ाते हैं, जिसमें पांच जवान बैठ सकते हैं। भारतीय सेना के लिए कई प्रकार के युद्धों और बचाव कार्यों में भाग ले चुका यह हेलीकॉप्टर 32.11 फुट लंबा और 9.1 फुट ऊंचा है, जिसकी अधिकतम गति 210 किलोमीटर प्रतिघंटा है और इसकी रेंज 540 किलोमीटर तथा अधिकतम ऊंचाई तक जाने की क्षमता 10500 फुट है।
सवाल यह है कि सैन्य हेलीकॉप्टर बीते कुछ वर्षों में लगातार दुर्घटना के शिकार क्यों हो रहे हैं? इन हादसों के पीछे तकनीकी कारण जिम्मेदार हैं या मौसम की खराबी? नि:संदेह कई बार मौसम की खराबी के कारण भी ऐसे हादसे हो जाते हैं लेकिन इसका एक बड़ा कारण तकनीकी खराबी तथा सुरक्षा मानकों का अभाव भी है। भारतीय सेना के पास वर्तमान में करीब 190 चीता और 134 चेतक हेलीकॉप्टर हैं, जिनमें 70 प्रतिशत से भी ज्यादा ऐसे हैं, जो 30 साल से भी ज्यादा पुराने हैं। भारतीय सशस्त्र बलों के मुख्य हवाई बेड़े में शामिल चेतक हेलीकॉप्टर ने तो देश की सेवा में करीब छह दशक पूरे कर लिए हैं। वायुसेना की ओर से कहा जा चुका है कि इन हेलीकॉप्टरों में से अधिकांश का तकनीकी जीवन 2023 से खत्म होना शुरू हो जाएगा। विशेषज्ञों के मुताबिक चीता हेलीकॉप्टर भी अपनी तयशुदा उम्र से ज्यादा सेवा दे रहे हैं, जिनका उत्पादन 1990 में ही रोक दिया गया था और इन्हें अपग्रेड करने से कोई लाभ नहीं होने वाला क्योंकि इनका तकनीकी जीवन भी खत्म हो चुका है। हालांकि आर्मी एविएशन द्वारा चीता और चेतक हेलीकॉप्टरों के पुराने बेड़े को हटाने की तैयारियां तेज़ की जा चुकी हैं लेकिन चिंता का कारण यही है कि अंतिम विदाई से पहले ही ये हेलीकॉप्टर निरन्तर क्रैश हो रहे हैं और इन हादसों में हमारे बेशकीमती पायलट तथा सैन्यकर्मी जान गंवा रहे हैं। बीते पांच वर्षों में छह चीता हेलीकॉप्टर क्रैश हो चुके हैं, जिनमें से एक 16 मार्च को ही क्रैश हुआ है।
भारतीय सेना में नौ प्रकार के लड़ाकू हेलीकॉप्टरों के अलावा कुछ अन्य हेलीकॉप्टर भी हैं, जिनमें से कुछ देश में ही विकसित किए गए हैं जबकि कुछ का निर्माण अमरीकी और रूसी कम्पनियों द्वारा किया गया है लेकिन बार-बार दुर्घटनाग्रस्त होने से इनकी सुरक्षा पर सवाल उठने लगे हैं। पुराने हो चुके चीता और चेतक हेलीकॉप्टरों के अलावा जिस प्रकार नए एएलएच और रूसी मूल के एमआई-17 वी5 हेलीकॉप्टर भी हादसों के शिकार हो रहे हैं, ऐसे में इन हादसों को लेकर गंभीर सवाल उठने स्वाभाविक ही हैं। 2017 से अब तक 7 एएलएच (एडवांस्ड लाइट हेलीकॉप्टर) भी क्रैश हो चुके हैं और कुछ एमआई-17 वी5 भी क्रैश हुए हैं। एएलएच श्रेणी में भारतीय सेना के चार हेलीकॉप्टर रुद्र, ध्रुव, लाइट यूटिलिटी हेलीकॉप्टर तथा प्रचंड आते हैं। इनमें प्रचंड पूरी तरह से हमलावर हेलीकॉप्टर है जबकि रुद्र तथा ध्रुव का इस्तेमाल युद्ध और बचाव कार्यों में भी किया जाता है। वायुसेना के पास करीब 223 एमआई.17 रूसी हेलीकॉप्टर हैं, जिसे दो पायलट और एक इंजीनियर मिलकर उड़ाते हैं। इसमें 24 जवान या 12 स्ट्रेचर अथवा चार हजार किलोग्राम तक वजन ले जाया जा सकता है। इसमें रॉकेट, एंटी.टैंक गाइडेड मिसाइल या दो मशीनगन लगाए जा सकते हैं और टैंकों को ध्वस्त करने के लिए बम भी लगाए जा सकते हैं। 60.7 फीट लंबे और 18.6 फुट ऊंचे इस हेलीकॉप्टर की अधिकतम गति 280 किलोमीटर प्रतिघंटा तथा रेंज 800 किलोमीटर है और यह अधिकतम 20 हजार फुट की ऊंचाई तक जा सकता है।
जहां तक अरूणाचल में 21 अक्तूबर को क्रैश हुए रुद्र हेलीकॉप्टर की बात है, वह हिन्दुस्तान एयरोनॉटिक्स लिमिटेड (एचएएल) द्वारा निर्मित पहला स्वदेशी सशस्त्र हेलीकॉप्टर है, जिसे विशेष रूप से भारतीय सेना के लिए युद्धक हेलीकॉप्टर के तौर पर ही तैयार किया गया है। ये हेलीकॉप्टर विशेष रूप से चीन के साथ लगती एलएसी के साथ संवेदनशील क्षेत्रों में तैनात किए गए हैं और 5.8 टन वजनी यह हेलीकॉप्टर भारत द्वारा मित्र देशों को भी बेचा जा रहा है। 52.1 फीट लंबा, 10.4 फीट चौड़ा और 16.4 फीट ऊंचा तथा 280 किलोमीटर प्रतिघंटा की अधिकतम गति से उड़ने में सक्षम रुद्र एक हथियारबंद यूटिलिटी हेलीकॉप्टर है, जिसे दो पायलट उड़ाते हैं और इसमें 12 जवान बैठ सकते हैं। इसकी उड़ान रेंज 590 किलोमीटर है और यह अधिकतम 20 हजार फुट की ऊंचाई तक जा सकता है। रुद्र में 20 मि.मी. की एक एम621 कैनन, 2 मिस्ट्रल रॉकेट, 4 एफजैड 275 एलजीआर मिसाइलए 4 ध्रुवास्त्र मिसाइल तैनात किए जा सकते हैं। फिलहाल आर्मी के पास 75 और वायुसेना के पास 16 रुद्र हेलीकॉप्टर हैं।
रक्षा विशेषज्ञों का साफ तौर पर कहना है कि सैन्य हेलीकॉप्टरों की लगातार होती ऐसी दुर्घटनाओं को देखते हुए इनका सुरक्षा ऑडिट तथा चालक दल के सदस्यों का विधिवत प्रशिक्षण अनिवार्य बनाए जाने की सख्त जरूरत है। सेना के अनेक हेलीकॉप्टर बहुत पुराने हो चुके हैं, जिन्हें सेना में हेलीकॉप्टरों की कमी के कारण बदले जाने का मामला लंबे समय से लटक रहा है। हालांकि अब इस कमी को दूर करने का प्रयास किया जा रहा है लेकिन इसमें तेज़ी लाए जाने की दरकार है। सैन्य हेलीकॉप्टर बहुत महंगे होते हैं, जिनकी कीमत आमतौर पर 40.50 करोड़ रुपये होती है। ऐसे में बहुत बड़ी वित्तीय हानि से देश को बचाने के साथ-साथ सेना के जांबाज अधिकारियों और जवानों की जान बचाने के लिए भी सुरक्षा और प्रशिक्षण संबंधी खामियों का पता लगाकर उन्हें दूर किया बेहद जरूरी है।


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