दुबई के आर्थिक विकास में भारतीयों का अहम योगदान  

पत्रकारिता, लेखन और फिल्म निर्माण के व्यवसाय में घूमने-फिरने, नई जगहों को देखने का शौक हो ही जाता है। उनकी विशेषताओं को साझा करना ऐसा है जैसे खुशियों के पल बांटना। अचानक कार्यक्रम बना कि दुबई हो आया जाए और हाल ही में निर्मित हिन्दू मंदिर भी देखा जाये।
संयुक्त अरब अमीरात या यू.ए.ई. का खाड़ी देशों में अपना अलग स्थान है। इसमें सात राज्य हैं। अबू धाबी प्रमुख है और यहां की राजधानी है। दुबई व्यापार का केंद्र है जहां दुनिया भर से लोग आकर इसे खुशहाल बनाते हैं, लेकिन सब से अधिक भारत के लोगों ने इसे समृद्ध किया है। अन्य राज्यों में शारजाह है जो खेलों और खास तौर से क्रिकेट के लिये प्रसिद्ध है। आजमान, उम्म अल कुवाईं, रास अल खैमाह और फुजैरह हैं। ये पहाड़ी इलाकों में पड़ते हैं। यहां जाना उन दिनों की तस्वीर का अनुमान लगाने जैसा है जब लोग कबीलों में रहते थे, खानाबदोश की तरह जहां ज़रूरतें पूरी होती हों, चले जाया करते थे। समुद्र से मोती, सीप और दूसरी चीजें निकालते और गुजारा करते थे। आज सब कुछ बदल गया है।
पिछली शताब्दी में जब पता चला कि वे तो तेल के कुओं के रूप में ऐसी सम्पदा के मालिक हैं जिसकी सब देशों को ज़रूरत है, तो समझ गये कि मुफलिसी के दिन लद गए। यही नहीं अपनी शर्तों पर तेल का सौदा करने में माहिर हो गये। यह भी तब समझे जब अंग्रेज़ यहां से चले गये, उन्होंने कभी इन्हें यह समझने ही नहीं दिया कि ये किस अनमोल खजाने के मालिक हैं। तेल के पूरे कारोबार पर अंग्रेज़ों का कब्जा था। इस कब्जे से छुटकारा मिला। जागरूक अरब इलाकों ने फैडरेशन बना ली, मतलब एक देश जिसकी राजधानी अबू धाबी बनी और सत्ता का संचालन यहां से होने लगा। दुबई व्यापार का केंद्र हो गया जहां मौसम ऐसा बना दिया कि पूरा वर्ष काम हो सके। यहां की गर्मी में दोपहर को काम करना मुश्किल था, इसलिए बारह से तीन बजे तक घर या दफ्तर में तो रह सकते हैं, लेकिन बाहर खुले में कोई काम करने पर पाबंदी है। आज यह भी बदल रहा है।
यहां के अमीरों मतलब शेखों और शासकों में भविष्य को पढ़ने की काबिलियत थी, वे समझ गये कि तेल से मिलने वाली दौलत हमेशा नहीं मिलती रह सकती और एक दिन ये भंडार समाप्त होने ही हैं। उन्होंने कारोबार और पर्यटन को अपना लक्ष्य बनाया। दुबई और अबू धाबी इसके केंद्र बन गये। इसके साथ ही यहां शिक्षा और स्वास्थ्य सुविधाओं का विस्तार किया। पढ़े-लिखे और स्वस्थ लोग किसी भी देश की प्रगति का सबसे महत्वपूर्ण अंग होते हैं। तेल की कमाई को देशवासियों की भलाई में लगा दिया। इन दोनों स्थानों पर अरब लोगों ने अपनी हैसियत के मुताबिक आलीशान घर बना लिए। एक ओर यह रहते हैं और पास में ही दुनिया भर के अमीर लोगों की बस्तियां हैं। भारत के अमीरों, फिल्म से जुड़े लोगों और कारोबारियों के शानदार घर हैं। सभी मॉल और बुर्ज खलीफा जैसे टॉवरों में उनके घर भी हैं और दफ्तर भी। माना जाता है कि दुबई में व्यवसाय करना है तो रहना भी वहीं चाहिए। यहां के शासक भी चाहते हैं कि यहां लोग अपना आशियाना बनायें। असल में पूरी अर्थ व्यवस्था ही विदेशियों पर टिकी है और इसमें भारतीयों की भूमिका प्रमुख है।
पिछले लगभग बीस पच्चीस वर्षों में यहां इतनी तेज़ी से ज़रूरी सुविधाओं जैसे सड़कों और फ्लाइओवरों का जाल बिछा है, आलीशान इमारतों का निर्माण हुआ है कि देखते ही बनता है। ट्रैफिक की स्थिति ऐसी है कि बिना रुकावट के ड्राइविंग करते रहिए और नियमों का पालन कीजिए तो कोई परेशानी नहीं होगी। कानून व्यवस्था ऐसी कि अपराध करने के बारे में कोई नहीं सोचता। सज़ा पाकर जेल पहुंच गये तो तब ही छूटेंगे जब तय कर लें कि भविष्य में अपराध करने के बारे में सोचेंगे भी नहीं। विभिन्न देशों से आये सभी धर्मों के लोग यहां रहते हैं। भारत, पाकिस्तान और नेपाल से यहां काम और कारोबार के लिए आकर बसे लोग बहुत बड़ी तादाद में हैं। अपने काम से काम रखते हैं, मिल जुलकर रहते हैं और सबसे बड़ी बात यह कि एक-दूसरे के सुख या दु:ख में साथ निभाते हैं।
दुबई में सब कुछ मतलब खाने-पीने का सामान और सभी ज़रूरत की चीजें दुनिया भर से आती हैं। यहां उनका कुछ नहीं है, बस विदेशियों को सभी सुविधाएं प्रदान कीं और अपना विकास कर लिया। यहां तक कि पूरे शहर में हरियाली की खेती तक कर ली। विदेशों से पेड़ पौधे मंगवाए और यहां लगा दिये। उन्हें पालने-पोसने और बड़ा करने का काम आधुनिक तकनीक से किया। आज चारों तरफ  हरियाली दिखाई देती है। यहां की ज़मीन रेतीली और नीचे तेल की चिकनाई होने से कुछ उग नहीं सकता। कमाल इस बात का कि बड़े-बड़े पेड़ हैं और झाड़ियों की ऊंची दीवारें। फूलों का बगीचा है जिसे मिरेकल गार्डन कहते हैं। नौ-दस महीने वे खिलते हैं और दो-तीन महीने उन्हें कृत्रिम रूप से तैयार करने में लगते हैं। इससे दुबई का मौसम भी बदल गया है। अब यहां बारिश होती है और ओले भी पड़ जाते हैं। शाम को ठंडक का एहसास होता है। उनी कपड़ों की ज़रूरत पड़ती है। जो कभी रेगिस्तान हुआ करता था, आज गुलज़ार है और आधुनिक शहरों तथा आर्थिक प्रगति का उदाहरण है। उल्लेखनीय है कि इसमें भारतीयों का बहुत योगदान  है। हमने वह कर दिया जो कभी काल्पनिक था।
हिन्दू मंदिर : अबू धाबी में भारत के संत स्वामी महाराज की प्रेरणा से उनकी संस्था द्वारा हिन्दू मंदिर का निर्माण हुआ है जिसमें सभी प्रमुख देवी देवताओं की प्रतिमाएं स्थापित हैं। राम दरबार, शिव पार्वती, राधा कृष्ण प्रमुख हैं। पूरे मंदिर में इटालियन मार्बल में उकेरी गई आकृतियां अद्भुत शिल्प का नमूना हैं। खम्बों, मेहराबों और दीवारों पर इतनी बारीक और मनोहारी कला कृतियां हैं कि मन मोह लेती हैं।
मंदिर का निर्माण तो पूरा हो गया है और दर्शकों के लिए खोल दिया है, लेकिन अभी सम्पूर्ण परिसर का बनना शेष है। विशाल प्रांगण है जिसमें विभिन्न समारोह आयोजित किए जाने की भरपूर व्यवस्था है। सभी आधुनिक सुविधाओं से लैस यह मंदिर अनूठा, शानदार और भक्ति भाव से सराबोर करने वाला है। जाने पर लगता है कि भारत के ही किसी मंदिर में दर्शन करने आये हैं। अभी आने-जाने के साधनों का विस्तार हो रहा है और जैसा कि आयोजकों की योजना है, शीघ्र ही सब बहुत सुगम हो जायेगा। इस संस्थान के विश्व भर में निर्मित मंदिरों की श्रृंखला है और सभी का संचालन बहुत ही बढ़िया ढंग से होता है। अबू धाबी में विश्व विख्यात मस्जिद है जिसे देखने दुनिया भर से सभी धर्मों के लोग आते हैं।