लोकसभा चुनाव तथा वर्तमान शासक

लोकसभा चुनावों का बिगुल बजते ही वर्तमान कर्ता-धर्ता के पांवों के नीचे से ज़मीन खिसने लगी पड़ी है। इसका प्रथम संकेत प्रधानमंत्री द्वारा आधी सदी पहले श्रीलंका को सौंपे कच्चाथीवू द्वीप बारे किन्तु-परन्तु से मिल गया था। बताना बनता है कि उस देश (श्रीलंका) के साथ (स्वतंत्रा प्राप्त के बाद 1983 में घटित कुछ घटनाओं को छोड़ कर) भारत के संबंध सदा ही सुखद रहे हैं। इसके अतिरिक्त कांग्रेस पार्टी के चुनाव घोषणा पत्र पर मुस्लिम लीग की छाप बताने ने उनकी वह शब्दावली याद करवा दी, जिसका इस्तेमाल वह गुजरात के मुख्यमंत्री रहते हुए 2002 के मुस्लिम विरोधी कत्लेआम के प्रसंग में अपने भाषणों में करते रहे थे। 
अब राजस्थान के बांसवाड़ा में दिया भाषण बौखलाहट का शिखर है जहां अभी कुछ ही माह पहले भारतीय जनता पार्टी को काफी बड़ी जीत प्राप्त हुई थी, परन्तु 19 अप्रैल के मतदान में उसका ग्राफ काफी नीचे गिर गया लगता है। अपने भाषण में प्रधानमंत्री का यह आरोप लगाना कि कांग्रेस तो मुसलमानों को, जिन्हें मोदी ने ‘घुसपैठिये’ तथा ‘ज़्यादा बच्चों वाले’ कह कर सम्बोधित किया, सरकारी स्रोतों पर पहला अधिकार देने के लिए वचनबद्ध है। इसलिए उन्होंने अपने कार्यकाल के दौरान मनमोहन सिंह द्वारा दिए गए एक बयान को आधार बनाया है। यहां तक कि यदि कांग्रेस सत्ता में आती  है तो हिन्दू महिलाओं का सोना तथा मंगल-सूत्र छीन कर मुसलानों में बांट देगी। इसका उद्देश्य अपनी नीतियों के खिलाफ खड़े, दबे-कुचले गरीब वर्गों के भिन्न-भिन्न समुदायों में फूट डालने के अतिरिक्त और कुछ नहीं। उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी अदित्यनाथ भी अपने भाषण में यह कह कर आगामी दिनों का संकेत दे चुके हैं कि कांग्रेस भारत में शरीया कानून लागू करना चाहती है। उन्हें लगता है कि साम्प्रदायिक ध्रुवीकरण की ओर लौटना, उनके चुनाव अभियान के लिए समर्थन जुटाने के लिए तो ज़रूरी है ही, इसके साथ ही मोदी शासन की नीतियों के विफल रहने पर पैदा हुई लोगों की नाराज़गी को दूर करने के लिए भी ज़रूरी है। अब तो प्रधानमंत्री यहां तक कह गये हैं कि यदि कांग्रेस पार्टी की सरकार बनी तो हर किसी की अतिरिक्त जायदाद घुसपैठिये मुसलमानों को बांट दी जाएगी। 21 अप्रैल रविवार को राजस्थान के बांसवाड़ा से शुरू होकर सोमवार को उत्तर प्रदेश के अलीगढ़, मंगलवार को राजस्थान के टौंक में तथा इसके बाद भी वह यही भाषण दे रहे हैं कि यदि कांग्रेस तथा ‘इंडिया’ गठबंधन वालों की सरकार बन गई तो आपकी ज़मीन, जयदाद, घर, धन-दौलत, सोना आदि सब कुछ छीन लगी और यह सब कुछ अधिक बच्चे पैदा करने वाले घुसपैठिये मुसलमानों में बांट देगी। हिन्दू महिलाओं को विशेष रूप से डराने तथा जज़्बाती तौर पर भड़काने के लिए मोदी जी कह रहे हैं कि माताओ, बहनों इन कांगे्रसियों तथा ‘इंडिया’ गठबंधन वालों की नज़र आपके मंगलसूत्र पर ही नहीं, आपकी अलमारियों, पेटियों आदि सब कुछ पर है और आपके आभूषण, पैसे तथा माया सब कुछ ले जाएंगे। अब तो उन्होंने यह भी कहना शुरू कर दिया है कि ‘इंडिया’ गठबंधन वाले आपका आरक्षण (रिज़र्वेशन) भी छीन कर मुसलमानों को दे देंगे। अपने प्रमुख के इन भाषणों की नकल करते हुए अमित शाह तथा जे.पी. नड्डा आदि भाजपा नेता भी इसी प्रकार की शब्दावली पर उतर आए हैं। 
अमित शाह तो यहां तक पहुंच गये कि हिन्दू मंदिरों में कई अरबों-खरबों की दौलत इनसे सुरक्षित नहीं है। इनकी व्यर्थ की बयानबाज़ी का उद्देश्य यह है कि हिन्दू विचारधारा वाली आबादी में मुसलमान आबादी प्रति गुस्सा तथा नफरत और भी तीव्र हो जाए, चाहे साम्प्रदायिक दंगे भी हो जाएं, परन्तु ऐसे हालात में आम मतदाता उनकी ओर झुक जाएं। एक प्रधानमंत्री अपने देश की 20 करोड़ आबादी के खिलाफ सारी आबादी को उकसा रहा हो, इससे बुरी बात और क्या हो सकती है? इससे प्रकार की साम्प्रदायिक धु्रवीकरण करने वाली बयानबाज़ी करके मोदी तथा उनके साथी अपनी ओर से तो यह प्रभाव बनाने की कोशिश कर रहे हैं कि हम तो पूरे जोश, उत्साह तथा हौसले में हैं, परन्तु लोगों पर यह प्रभाव नहीं पड़ रहा। लोग समझदार हैं। वे समझते हैं कि प्रधानमंत्री पूरी तरह हताश, निराश तथा भयभीत हो चुके हैं। बात यहां तक पहुंच गई है कि देश की सभी विपक्षी पार्टियों तथा अलग-अलग सिविल संस्थाओं से जुड़े हुए हज़ारों बुद्धिजीवियों ने चुनाव आयोग के पास दर्जनों की संख्या में मोदी के खिलाफ शिकायतें दर्ज करवा कर कार्रवाई करने की मांग की है। सप्ताह भर तो चुनाव आयोग ने साज़िशी चुप्पी धारे रखी। बहुत ज़्यादा शोर मचने के बाद चुनाव आयोग ने  कांग्रेस अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खड़गे तथा भाजपा अध्यक्ष जे.पी. नड्डा को नोटिस भेज कर बात को टाल दिया है ताकि इस प्रकार निकल जाए। ऐसा करके चुनाव आयोग भी शेष संवैधानिक संस्थाओं की भांति मोदी सरकार की कठपुतली होना सिद्ध कर रहा है। यह धारणा देश को कहा ले जाएगी, समय बताएगा। इसमें देश का मतदाता कोई छोटा खिलाड़ी नहीं। इसे अपना फज़र् निभाना चाहिए। आज उसकी शक्ति अहम है।
खालसा साजना दिवस का प्रसार
2024 की विदेशी गतिविधियों से प्रतीत होता है कि खालसा साजना दिवस अब बैसाख माह की पहली तिथि तक सीमित नहीं। पाकिस्तानी पंजाब में यह दिवस एक सप्ताह पहले करतारपुर साहिब में बनाया गया। वहां उस तरफ के पंजाब की मुख्यमंत्री मरियम नवाज़ शरीफ ने शिरकत की और बोले सो निहाल की जयकारों के बीच कहा कि हम सब पंजाबी हैं। पंजाब हमारा है और हम पंजाब के हैं। 
कनाडा वालों ने यह दिवस गत रविवार टोरंटो शहर में मनाया जिसमें कनाडा के प्रधानमंत्री जस्टिन ट्रूडो ने भी शिरकत की। जस्टिन ट्रूडो ने अपने भाषण की शुरूआत ‘वाहेगुरु जी का खालसा, वाहेगुरु जी की फतेह’ से की। 
अपने भाषण में उन्होंने सिखों के अधिकारों की रक्षा करने का वायदा किया। उल्लेखनीय है कि ट्रूडो के साथ विपक्ष के नेता पियेरे पोइलीवरे भी उपस्थित थे। इस समारोह में ‘खालिस्तान ज़िंदाबाद’ के नारे सुने गये, जिसमें एनडीपी नेता जगमीत सिंह तथा टोरंटो की मेयर ओलिविया चोअ भी मौजूद थे। परन्तु मंच से बोलने वाले किसी भी वक्ता ने इन नारों का समर्थन नहीं किया। यह बात अलग है कि गत वर्ष कनाडा तथा भारत के संबंधों में तनाव रहा है। तब ट्रूडो ने भारत पर कनाडा में आतंकवादी हरदीप सिंह निज्जर की हत्या का आरोप लगाया था। अपने अब के भाषण में जस्टिन ट्रूडो ने कहा, ‘जब हम मतभेदों को देखते हैं, तो हमें यह भी याद रखना होगा कि सिख नैतिक मूल्य कैनेडियन नैतिक मूल्य हैं। सच्चाई, न्याय, खुलापन, दया, सेवा, मानवाधिकार सिखी के नैतिक मूल्य हैं। ये कैनेडियन समुदाय के मन के नैतिक मूल्य हैं।’ उन्होंने कहा, ‘यहां लगभग 8 लाख कैनेडियन सिख विरसे के निवासी है। हम इनके अधिकारों की रक्षा के लिए सदा मौजूद रहेंगे। इसलिए हम सुरक्षित आधारभूत ढांचे के कार्यक्रम को बढ़ा रहे हैं, सभी गुरुद्वारों सहित कम्युनिटी सैंटरों तथा धार्मिक स्थानों पर सुरक्षा बढ़ा रहे हैं। 
ट्रूडो ने अमृतसर सहित भारत के लिए अन्य उडानों पर बल दिया। इसके अतिरिक्त उन्होंने कहा कि बिना किसी भय के अपने धर्म का पालन करने का अधिकार मौलिक अधिकार के समान है, जिसकी गारंटी कैनेडियन चार्टर आफ राइट्स एंड फ्रीडम्स में दी गई है। ओंटारियो सिख तथा गुरुद्वारा कौंसिल प्रत्येक वर्ष एक परेड का आयोजन करती है, जिसमें दूर-दूर से हज़ारों लोग शामिल होते हैं। इस दौरान लोगों को मुफ्त भोजन दिया जाता है। इस सब का पालन, अरदास सहित पूर्व की भांति किया गया।