डिजिटलीकरण के दौर की आकर्षक नौकरी एप्लीकेशन आर्किटेक्ट

एप्लीकेशन आर्किटेक्ट सामान्य आर्किटेक्ट नहीं होता, यह सॉफ्टवेयर उत्पादों को डिजाइन करता है। एप्लीकेशन आर्किटेक्टचर के क्षेत्र में कॅरियर आमतौर पर जूनियर आर्किटेक्ट्स के रूप में शुरु होता है, फिर यह इंटरमीडिएट और वरिष्ठ स्तर तक प्रगति करता है। एप्लीकेशन आर्किटेक्ट बनने के लिए कम्प्यूटर विज्ञान, सॉफ्टवेयर इंजीनियरिंग से संबंधित क्षेत्र की कम से कम में स्नातक की डिग्री होनी जरूरी है। हां, कुछ नियोक्ता ज़रूर किसी सहयोगी डिग्री या प्रमाण-पत्र को भी स्वीकार कर लेते हैं बशर्ते आपके पास ज़रूरी अनुभव और अपने काम में दक्षता हो।
एप्लीकेशन आर्किटेक्ट या सॉफ्टवेयर आर्किटेक्ट बनने के लिए सबसे पहले आपमें कम्प्यूटर सॉफ्टवेयर के क्षेत्र में रूचि होनी ज़रूरी है। याद रखिए, एप्लीकेशन आर्किटेक्ट बड़े-बड़े पुल या इमारते ही नहीं बनाते, ये रोजमर्रा की जिंदगी में कम्प्यूटर के बेहतर से बेहतर इस्तेमाल को संभव बनाने वाले अनुकूल उत्पादों को भी डिजाइन करते हैं। यह डिजिटलीकरण के दौर की तेजी से पैदा हुई बड़ी नौकरी है। इस क्षेत्र में जाने के पहले जान लें कि आपमें क्रिएटिविटी के साथ-साथ कम्प्यूटर क्षेत्र की विश्लेषणात्मक क्षमता का होना भी ज़रूरी है। बिना इन दोनों चीजों के मिश्रण के इस क्षेत्र में सफल होना मुश्किल है। एप्लीकेशन आर्किटेक्ट तीन तरह के होते हैं, सिस्टम आर्किटेक्ट, सॉल्यूशन आर्किटेक्ट और इंटरप्राइज आर्किटेक्ट।
विभिन्न कम्प्यूटर उत्पादों की नयनाभिराम डिजाइन करने वाले आमतौर पर इंटरप्राइज आर्किटेक्ट होते हैं। इन्हें कम्प्यूटर प्रोग्रामर या सॉफ्टवेयर डिजाइनर भी कहते हैं। एप्लीकेशन आर्किटेक्ट बनने को इसलिए चुनना चाहिए, क्योंकि इन दिनों इनकी अच्छी खासी डिमांड है। नये युग की जीवनशैली पूरी तरह से इनकी कल्पनाशीलता और दिमागी चपलता के साथ आगे बढ़ रही है। इसलिए कदम कदम पर इनकी मांग है। एक एप्लीकेशन आर्किटेक्ट के तौर पर काम करते हुए जबरदस्त आर्थिक फायदों की संभावना रहती है। लेकिन इस क्षेत्र में वही लोग सफल हैं, जिनमें कम्प्यूटर सॉफ्टवेयर की ज़रूरी कुशलता है। कम्प्यूटर एल्गोरिद्म, डेटा बेस और ऑपरेटिंग सिस्टम की पूरी समझ होनी ज़रूरी है। एक सॉफ्टवेयर आर्किटेक्ट कोर्सेज की खोज करने के पहले आप यह जान लें कि इसके लिए आपमें कौन-कौन से गुण ज़रूरी हैं। आपके पास कम्प्यूटर सॉफ्टवेयर संबंधी समस्याओं को हल करने का हुनर हो, आपमें डिजिटल क्रिएटिविटी हो, विचारों को व्यवहारिक जामा पहनाने की क्षमता हो और टीम के साथ काम करने का स्वभाव हो। क्योंकि एप्लीकेशन आर्किटेक्ट एक साथ कई लोगों के साथ जुड़कर काम करते हैं। विशेषकर एंटरप्राइज आर्किटेक्ट।
बहरहाल अगर आपमें ये गुण हैं और आप एप्लीकेशन आर्किटेक्ट बनने को तैयार हैं तो 12वीं कक्षा आपको मैथ्स, फिजिक्स के साथ पास होना चाहिए और साथ में कम्प्यूटर ऑप्रेटिंग में भी दक्षता हो, कम से कम एक या दो अतिरिक्त भाषाएं आती हों। इस स्तर पर होने के बाद सॉफ्टवेयर आर्किटेक्ट बनने के लिए बैचलर डिग्री हासिल करें। बीसीए यानी बैचलर ऑफ कम्प्यूटर एप्लीकेशन या बीटेक करें। ये दोनों ही डिग्रियां सॉफ्टवेयर आर्किटेक्ट या एप्लीकेशन आर्किटेक्ट बनने में महत्वपूर्ण रोल अदा करती हैं। सभी कम्प्यूटर इंजीनियरिंग में डिग्री देने वाले संस्थानों में बैचलर ऑफ  कम्प्यूटर एप्लीकेशन के लिए या तो प्रवेश परीक्षा ली जाती है या फिर जेईई जैसी प्रतियोगी प्रवेश परीक्षा को पास करने के बाद इस क्षेत्र में एडमिशन मिल जाता है। लेकिन सिर्प डिग्री हासिल करने से कुछ नहीं होता, पहले तो डिग्री के दौरान इंटर्नशिप का महत्व न भूलें। ज्यादातर लोगों की नौकरी अच्छी इंटरर्नशिप हासिल करने के बाद लगती है। इंटरर्नशिप का फायदा ये होता है कि इसके जरिये मुख्य नौकरी पाने के पहले ही इस क्षेत्र के महत्वपूर्ण लोगों से परिचय हो जाता है। इस क्षेत्र के कामकाज का पता चल जाता है। अगर ग्रेजुएट होने के बाद सीधे नौकरी नहीं करना चाहते तो मास्टर कर सकते हैं और जावा तथा पायथन जैसी कम्प्यूटर सॉफ्टवेयर भाषाओं पर सर्टिफिकेशन प्राप्त कर सकते हैं। इस क्षेत्र में पढ़ाई के लिए महत्वपूर्ण संस्थान भी हैं। 

-इमेज रिफ्लेक्शन सेंटर