दुनिया को रोमांचित करती ये झीलें-नदियां

वैज्ञानिक प्रगति के इस दौर में मनुष्य सब कुछ जान लेने का दंभ भरता है, लेकिन दुनिया में ऐसी अनेक विलक्षणताएं देखने को मिलती हैं, जिन्हें देखकर दांतों तले उंगली दबानी पड़ती है और प्रकृति की विशेषताओं के सामने नतमस्तक होकर उसके सृजेता के प्रति श्रद्धावनत होना पड़ता है। इनमें कुछ के वैज्ञानिक कारण स्पस्ट हैं, किन्तु कुछ अभी भी वैज्ञानिकों के लिए चुनौती बने हुए हैं। आइए जानते हैं प्रकृति के ऐसे ही कुछ रहस्य-रोमांच के बारे में-
झील जो बदलती अपना रंग
आस्ट्रेलिया में एक ऐसी झील है जो मौसम के साथ अपना रंग बदलती है। जून में इसका रंग हरा और अगस्त-सितम्बर में दूध की तरह सफेद हो जाता है, फिर नवम्बर-दिसम्बर में इसका रंग नीला हो जाता है। स्पेन की ‘रिओरितो’ नदी में एक खनिज भरा पड़ा है, जिसके हवा से सम्पर्क में आते ही पूरी नदी लाल रंग में बदल जाती है। उस क्षेत्र में हवा जितनी तेज़ चलती है, नदी उतनी ही रक्तवर्ण हो जाती है।
जहां कोई डूब नहीं सकता
अफ्रीका की ‘असाल’ झील विश्व की सबसे अधिक खारी झील है। इसका पानी जोर्डन की सीमा पर स्थित मृत सागर (डैड सी) से 7-8 गुना अधिक खारी है। इसके उच्च घनत्व के कारण इसमें कोई डूब नहीं सकता। स्नान करने वाले बड़े मजे से इसमें उत्प्लावन का आनंद लेते हैं, क्योंकि उसके सिर तथा पैर पानी के उपर ही रहते हैं।
नींबू के स्वाद वाला जल 
कुछ नदियां अपने जल के विलक्षण स्वाद के लिए प्रसिद्ध हैं। चिली और अर्जेंटाइना देशों के बीच सीमा रेखा की तरह बहने वाली नदी ‘रायओ विनाग्रै’ के जल का स्वाद ताजे नींबू के पानी की तरह खट्टा है। इसमें इच्छानुसार चीनी या नमक मिलाकर शर्बत तथा शीतल पेय का आनंद लिया जा सकता है।
जल का स्वाद बीयर जैसा
पूर्वी अफ्रीका में ‘एगारिन्यकी’ नामक एक भूरे रंग की नदी है, जो बीयर जैसे स्वाद लिए हुए है, जबकि इसमें एल्कोहल अंशमात्र भी नहीं होता। इसका पीने वालों पर कोई प्रतिकूल प्रभाव नहीं पड़ता है। स्थानीय लोग उबालकर इसे पीते हैं। 
जल की जगह तारकोल
वेस्ट इंडीज के ‘त्रिनिदाद’ नामक द्वीप में एक ऐसी झील है, जिसमें पानी की जगह तारकोल भरा हुआ है। यह झील लगभग 1.60 कि.मी. लम्बी है। सामान्यत: यह तारकोल ठोस अवस्था में ही रहता है। कभी-कभी यह बहुत स्थलों पर तरल भी हो जाता है और उसमें बुलबुले भी उठने लगते हैं। 
आग उगलने वाली झील 
हवाई द्वीप में एक आग उगलने वाली झील है, जिसे स्थानीय लोग ‘आग की झील’ कहते हैं। यह झील ‘मोना’ नामक ज्वालामुखी के मुहाने पर बनी हुई है, जिसमें उबलता हुआ लावा भरा हुआ है। अत: इस झील में हमेशा आग की लपटें और धुंआ ही निकलता रहता है। (सुमन सागर)