लोकसभा चुनावों के बीच देश के सबसे बड़े सेक्स स्कैंडल का भूचाल

 

कर्नाटक के भाजपा नेता देवराज गौड़ा ने दिसम्बर 2023 में राज्य के भाजपा अध्यक्ष बी व्हाई विजयेन्द्र को संबोधित करते हुए एक पत्र लिखा था। इस पत्र में उन्होंने कहा था कि उन्हें एक पेन ड्राइव मिली है (प्रज्वल के पूर्व चालक से) जिसमें कुल 2,976 पोर्न वीडियो हैं। इन वीडियोज में दिखाया गया है कि हासन से सांसद व वर्तमान में जनता दल (सेक्युलर) के प्रत्याशी प्रज्वल रेवन्ना हर आयु की महिलाओं का यौन शोषण, उत्पीड़न व उनसे दुष्कर्म कर रहा है। महिलाएं रहम की भीख मांग रही हैं। ये महिलाएं सरकारी कर्मचारी, जद(एस) की कार्यकर्ता, प्रज्वल के घर पर कार्य करने वाली हेल्पर आदि हैं। देवराज गौड़ा ने अपने पत्र में लिखा, ‘अगर हम (भाजपा) जद(एस) के साथ चुनावी तालमेल करते हैं और जद(एस) के प्रत्याशी (प्रज्वल) को हासन में नामांकित करते हैं, तो यह वीडियोज ब्रह्मास्त्र के रूप में प्रयोग किये जायेंगे और हम एक ऐसी पार्टी के रूप में कलंकित हो जायेंगे, जो बलात्कारियों के परिवार से समझौता करती है। यह राष्ट्रीय स्तर पर भी हमारी पार्टी के लिए हानिकारक होगा।’ 
मीडिया रिपोर्ट्स के अनुसार यह जानकारी भाजपा के केंद्रीय नेतृत्व को भी दी गई थी। इसके बावजूद कर्नाटक में भाजपा व जद(एस) के बीच चुनावी समझौता हुआ और प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने प्रज्वल के समर्थन में चुनावी सभा को भी संबोधित किया, जिसमें प्रज्वल के पिता एचडी रेवन्ना (विधायक), चाचा एचडी कुमारस्वामी (पूर्व मुख्यमंत्री, कर्नाटक) और दादा एचडी देवगौड़ा (पूर्व प्रधानमंत्री) भी मौजूद थे। इस सभा से भाजपा की तरफ से जनता में कोई अच्छा संदेश नहीं गया है कि नारी शक्ति का सम्मान और राजनीति में परिवारवाद का विरोध करने का दावा करने वाली पार्टी एक ऐसे प्रत्याशी का समर्थन कर रही है जो न केवल परिवारवादी पार्टी से संबंधित है बल्कि भारत के इतिहास में सबसे बड़े सेक्स स्कैंडल का आरोपी भी है। कर्नाटक में इस अत्यधिक गम्भीर सेक्स विवाद उठने के बाद राज्य सरकार ने विशेष जांच दल (एसआईटी) का गठन किया है। प्रज्वल जर्मनी भाग गया है और जद(एस) के नेता ही पार्टी को अतिरिक्त शर्मिंदगी से बचाने के लिए प्रज्वल को पार्टी से निष्कासित करने की मांग कर रहे हैं। पूरे कर्नाटक में महिला संगठन पीड़ित महिलाओं को न्याय दिलाने के लिए प्रदर्शन कर रही हैं। दुर्भाग्य यह है कि वीडियोज के वायरल होने से पीड़ित महिलाओं की पहचान भी सार्वजनिक हो गई है। 
जद(एस) के विधायकों शरण गौड़ा कांडकुर व समृद्धि मंजुनाथ ने अपनी पार्टी के अध्यक्ष एच.डी. देवगौड़ा व एच.डी. कुमारस्वामी को पत्र लिखकर आग्रह किया है कि ‘पार्टी के सिद्धांतों व हमें शर्मिंदगी से बचाने के लिए’ रेवन्ना व प्रज्वल को तुरंत पार्टी से बखऱ्ास्त किया जाये। इन पत्रों में यह भी कहा गया है कि ‘आपको तय करना है कि 19 विधायक महत्वपूर्ण हैं या रेवन्ना या प्रज्वल’। पार्टी में उठे विद्रोह के बाद जद(एस) की कोर कमेटी की बैठक 30 अप्रैल, 2024 को हुबली में हुई जिसके बाद कुमारस्वामी ने कहा कि 33 वर्षीय प्रज्वल को पार्टी से बाहर का रास्ता दिखाया जायेगा। कुमारस्वामी ने स्वीकार किया कि इस सेक्स स्कैंडल से पार्टी को शर्मिंदगी का सामना करना पड़ा है, लेकिन साथ ही उन्होंने अपनी अलायंस पार्टनर भाजपा को इस विवाद से बचाने का प्रयास भी किया। उन्होंने कहा कि भाजपा इस मुद्दे में शामिल नहीं है, लेकिन यह सवाल तो फिर भी बनता ही है कि जब भाजपा को दिसम्बर 2023 में ही इस कांड के बारे में मालूम था (जैसा कि उसके नेता देवराज गौड़ा के पत्र से स्पष्ट है) तो उसने परिवारवादी पार्टी जिसमें महिलाओं पर यौन क्रूरता करने वाले सांसद व विधायक शामिल हों, से चुनावी समझौता क्यों किया? क्या राजनीति में नैतिक मूल्य शेष नहीं रहे हैं? क्या चुनाव जीतना ही एकमात्र लक्ष्य रह गया है? 
बहरहाल, इस स्कैंडल ने उस समय तूल पकड़ा जब आरोपी के घर पर काम करने वाली एक 47 वर्षीय महिला ने प्रज्वल व उसके पिता होले नरसीपुर से विधायक रेवन्ना पर यौन उत्पीड़न के गंभीर आरोप लगाये। महिला ने यह भी आरोप लगाया कि प्रज्वल ने उसकी बेटी से भी छेड़खानी करने का प्रयास किया। उसकी बेटी ने प्रज्वल का नंबर ब्लाक कर दिया। शिकायतकर्ता ने कहा, ‘काम पर लगने के चार महीने बाद से ही प्रज्वल मुझे अपने कमरे में बुलाता रहा। घर में छह महिला कर्मचारी थीं और हर कोई प्रज्वल के घर में घुसते ही डरने लगती थी। घर के पुरुष कर्मचारी भी महिला कर्मचारियों को सतर्क रहने के लिए कहते रहते थे।’ यह महिला प्रज्वल के घर पर 2019 व 2022 के बीच में कार्य करती थी। दूसरी ओर रेवन्ना ने कहा है कि यह सेक्स स्कैंडल उनके व उनके बेटे के खिलाफ ‘राजनीतिक साज़िश’ है और वह जांच के लिए तैयार हैं। उनका कहना है कि किसी भी तथाकथित पीड़िता ने एक सप्ताह से पहले शिकायत क्यों नहीं की? ‘चार-पांच वर्ष पुरानी चीज़ को अब क्यों उठाया जा रहा है?’ 
हालांकि सच या सही बात तो जांच पूरी होने के बाद ही सामने आ सकेगी, लेकिन रेवन्ना ने अपने व अपने बेटे की सफाई में जो प्रश्न उठाये हैं, वे एकदम बेतुके हैं। जबरन सेक्स के आरोप जो अपराध की श्रेणी में आते हैं, जिनके हज़ारों वीडियोज मौजूद हैं, राजनीतिक साज़िश कैसे हो सकते हैं? मीडिया रिपोर्ट्स के अनुसार इन वीडियोज को प्रज्वल ने ख़ुद बनवाया, अपने लैपटॉप में सेव किया ताकि पीड़िताओं को ‘खामोश’ रखा जा सके व ब्लैकमेल करके उनका बाद में भी शोषण किया जा सके। दूसरा यह कि जब आरोपी स्वयं सांसद हो, पिता विधायक हो, चाचा पूर्व मुख्यमंत्री हो और दादा पूर्व प्रधानमंत्री हो, तो कितनी पीड़िताएं रिपोर्ट कराने का साहस करेंगी और उनमें से किसकी बात पुलिस सुनेगी? अगर कोई अपराध या आरोप चार-पांच साल पुराना है तो क्या वह अपने आप ही खत्म हो जाता है? अगर प्रज्वल ‘निर्दोष’ है तो वह 27 अप्रैल 2024 को जर्मनी फरार क्यों हुआ और उसे देश छोड़ने में मदद किसने की जबकि इससे पहले उसके विरुद्ध एफआईआर दर्ज हो चुकी थी? इस मामले में पीड़िता को न्याय दिलाने के प्रयास क्या नहीं होने चाहिएं? अनेक मामलों में देखा गया है कि जब आरोपी प्रभावी सियासी नेता हो और सरकार भी उसके पक्ष वाली हो तो आम आदमी को इन्साफ मिलना असम्भव नहीं तो कठिन अवश्य हो जाता है। 
वीडियोज मॉर्फ्ड हैं या नहीं, यह भी जांच से ही सामने आ सकेगा। अगर एक ही शख्स की 2,976 वीडियोज अलग-अलग व हर आयु की महिला के साथ मॉर्फ की जा सकती हैं तो इसे चमत्कार ही कहा जा सकता है। पुलिस के अनुसार प्रारम्भिक जांच में यह बात सामने आयी है कि अधिकतर वीडियोज मोबाइल फोन से 2019 के बाद प्रज्वल के बेंग्लुरु व हासन स्थित घरों पर शूट किये गये हैं। यहां यह जानकारी देना भी आवश्यक है कि जून 2023 में प्रज्वल ने बेंग्लुरु के सिविल कोर्ट में यह मांग करते हुए याचिका दायर की थी कि 86 मीडिया हाउसेस व तीन व्यक्तियों को वे वीडियोज प्रसारित करने से रोका जाये, जो उनके अनुसार ‘मॉर्फ’ किये हुए थे। अदालत ने उसका आग्रह स्वीकार कर लिया था। इसलिए राजनीतिक दृष्टि से महत्वपूर्ण प्रश्न यही है कि जब यह जानकारी सार्वजनिक थी तो भाजपा ने जद(एस) से चुनावी समझौता क्यों किया व प्रज्वल को प्रत्याशी क्यों बनने दिया?
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