गर्मी का प्रचण्ड प्रकोप, बचाव ही है राहत

मई का यह तीसरा सप्ताह है और इसी के साथ गर्मी भी अपने चरम पर पहुंच रही है। हर साल ज्येष्ठ माह के दौरान सूर्य रोहिणी नक्षत्र में प्रवेश करते हैं, जिस वजह से नौतपा लगता है। इस समय देशभर में गर्मी का प्रचंड प्रकोप दिखाई दे रहा है। भीषण गर्मी ने अपने तेवर दिखाने शुरू कर दिए हैं। दोपहर में चल रही गर्म हवाओं में बाहर निकलना मुश्किल हो गया है। लोगों को मजबूरी में बाहर निकलना पड़ रहा है। वहीं गर्मी के कारण लोगों के बीमार होने के मामले तेजी से बढ़ने लगे हैं जिससे अस्पताल में मरीजों की संख्या बढ़ने लगी है। थार मरुस्थली प्रदेश राजस्थान इस समय भीषण गर्मी की चपेट में है। हीट-वेव ने आम जनजीवन को पटरी से उतार दिया है। बाड़मेर में तापमान 47 डिग्री सेल्सियस रिकॉर्ड किया गया है। वहीं, जैसलमेर में भी आसमान से आग बरस रही है। 
अभी तक जहां सिर्फ मैदानी इलाकों में गर्मी पड़ रही थी, वहीं अब पहाड़ी इलाकों में भी तापमान बढ़ने लगा है। समूचा भारत इस समय प्रचंड गर्मी से झुलस रहा है। मई में रिकॉर्ड तोड़ और आग उगलती गर्मी ने लोगों का जीना दूभर कर दिया है। कुछ स्थानों में तापमान 47 डिग्री सेल्सियस तक पहुंच गया है। मई माह का दूसरा सप्ताह समाप्त होने के कगार पर है और भीषण गर्मी ने अपना रौद्र रूप दिखाने लगा है। कुछ दिनों से लगातार पारा चढ़ता जा रहा है। तपिश भरी गर्मी ने लोगों का हाल बेहाल कर दिया है। भीषण गर्मी, तपिश और लू से सड़कों पर चलना तक मुश्किल हो गया है। तीखी धूप ने ऐसा तांडव मचाया है कि लोगों का अपने घरों से बाहर निकलना दूभर हो गया है। घरों में नलो से गर्म पानी निकल रहा है वहीं बिजली की आंखमिचोली से लोग परेशान हो रहे है। तेज धूप होने के कारण हवा भी इतनी गर्म हो गई है कि हीट स्ट्रोक होने का खतरा बढ़ गया है। हीट स्ट्रोक होने के लक्ष्णों में तेज़ गर्मी के अहसास होने के साथ बैचेनी होती है। शरीर का तापमान बड़ जाता है। अधिक तापमान के कारण बेहोशी भी आ जाती है। बार-बार प्यास लगती है। चेहरा लाल होने लगता है। सिर में दर्द भी होता है और जी मचलने के साथ उल्टियां होती है।
गर्मी का मौसम मार्च से सितम्बर तक के महीनों में रहता है। यह साल का सबसे गर्म मौसम होता है, क्योंकि तापमान अपने उच्च शिखर पर पहुँचता है। इस ऋतु के दौरान, दिन लम्बे और गर्म होते हैं, वहीं रातें छोटी है। दिन के बीच में, सूर्य की किरणें बहुत गर्म होती है। पूरे दिनभर गर्म हवाएं चलती रहती है, जो चारों तरफ के वातावरण को रूखा और शुष्क बनाती है। कुएं और तालाब सूख जाते हैं। ग्रामीण क्षेत्र में रहने वाले लोग पानी की कमी, उच्च तापमान, सूखे आदि बहुत सी परेशानियों से बिजली और अन्य आरामदायक संसाधनों की कमी के कारण जूझते हैं। ग्रीष्म ऋतु साल का सबसे गर्म मौसम होता है, जो पूरे दिन भर में बाहर जाने को लगभग असंभव बनाता है। लोग आमतौर पर बाजार देर शाम या रात में जाते हैं। बहुत से लोग गर्मियों में सुबह को इसके ठंडे प्रभाव के कारण टहलने का आनंद लेते हैं। धूल से भरी हुई, शुष्क और गर्म हवा पूरे दिनभर चलती रहती है। कभी-कभी लोग अधिक गर्मी के कारण हीट-स्ट्रोक, डीहाइड्रेशन (पानी की कमी), डायरिया, हैजा और अन्य स्वास्थ्य संबंधी परेशानियों से प्रभावित होते हैं। यह बहुत अधिक तापमान और शुष्क मौसम होता है, जिसमें हिंसक मानसून भी शामिल रहता है, जो मत्यु दर को बढ़ाने का मुख्य कारण बनता है। 
इस ऋतु में मौसम उच्च तापमान के कारण अधिक गर्म हो जाता है, जो कुछ क्षेत्रों में पानी की आपूर्ति में कमी की वजह से सूखे का कारण बनता है। गर्म हवाएं और तापमान में वृद्धि, दोनों ही इस ऋतु को बहुत अधिक गर्म बनाती है, जो मनुष्य और जंगली जानवरों दोनों के लिए बहुत अधिक परेशानी का निर्माण करता है।
मौसम में हमें अपना ख्याल रखने की अधिक ज़रुरत होती है। अगर इस मौसम में आप जरा से भी चुके तो आपको कई बीमारियां घेर सकती है। यह एक ऐसा मौसम है जिसमें बीमारियां होने की आशंका अधिक होती है। डॉक्टरों का कहना है कि गर्मी से बचाव ही इस मौसम में बीमारियों से बचने का रास्ता है। इसके लिए पेय-पदार्थों का खूब सेवन करें। डॉक्टरों की सलाह है कि दिन में जब भी घर से निकले कुछ खाकर और पानी पी कर ही निकले खाली पेट बाहर ना जाएं। तेज़ धूप में, खासतौर से दोपहर में बेकाम घर से बाहर जाने से बचें। गर्मियों में हरे पत्ते वाली सब्जियां, विटामिन-सी से युक्त रसीले फल और नींबू पानी लेना चाहिए। बेल का शरबत गर्मी के लिए बहुत बढ़िया माना जाता है। गर्मी के मौसम में जीरा-नमक डालकर छाछ पीना भी फायदेमंद होता है।