पूरे देश में जारी है मानसून का कहर

हरि कृष्ण चौधरी अभी भी दहशत में हैं। उन्होंने 29 जून 2025 की सुबह 2 बजे जो कुदरत का भयावह मंज़र देखा, उसने उनकी नींद उड़ा दी है। उत्तरकाशी में बारकोट-यमनोत्री हाईवे के सिलाई बेन्ड एक रिसोर्ट व सड़क का निर्माण करने हेतु चौधरी सहित 29 मज़दूर मौजूद थे। चूंकि तेज़ बारिश पड़ रही थी व रात का समय था, इसलिए मज़दूर टिन व प्लाईवुड से बने शेल्टर में शरण लिए हुए थे और उन्हें कुछ अनहोनी होने का भी अंदेशा था। अचानक बादल फटा, भयंकर बाढ़ आ गई और ज़बरदस्त भूस्खलन हो गया। बीस मज़दूर अपनी जान बचाने में सफल रहे, लेकिन शेष 9 बाढ़ में बह गये, जिनमें से दो के शव मिल चुके हैं और 7 की तलाश इन पंक्तियों के लिखे जाने तक जारी थी। खराब रोशनी व खतरनाक भू-खंड के कारण राहत कार्य को कई बार रोकना पड़ा। चौधरी का कहना है कि अगर मात्र 5 सेकंड की देर हो जाती, तो वह भी अपनी जान गंवा बैठते। उनके अनुसार, ‘शनिवार (28 जून, 2025) में रात 9 बजे से ही तेज़ बारिश पड़ रही थी और निर्माण स्थल के निकट वाली नदी का पानी उफान पर था। शेल्टर में आराम करते हुए हम सबको किसी अनहोनी के होने का अंदेश था। मैं और कई अन्य साथी आधे सोये हुए थे, जबकि बाकी जागे हुए थे। आधी रात के बाद मेरे चाचा, जो साथ साईट पर ही थे, मुझे जगाया और पानी में तैरते हुए जूते दिखाये। हम दरवाज़े की तरफ दौड़े। कुछ पल बाद ही पानी की विशाल लहर मलबे के साथ आयी और शेल्टर सहित सबकुछ अपने साथ ले गई।’ 
इस साल मानसून के पहले माह जून में उत्तराखंड में 65 मौतें हो चुकी हैं, जोकि पिछले साल इसी अवधि में हुईं 32 मौतों से दोगुनी से भी अधिक हैं, जबकि 18 व्यक्ति लापता हैं। सड़क दुर्घटनाओं व प्राकृतिक आपदाओं में मौतों में 100 प्रतिशत वृद्धि से चिंतित दून-स्थित थिंक टैंक एसडीसी फाउंडेशन के संस्थापक अनूप नौटियाल का कहना है, ‘राज्य सरकार को हर आपदा को अकेले में देखना बंद करना चाहिए। चूंकि मानसून जुलाई व अगस्त में अधिक तीव्र हो जायेगा, इसलिए ज़रुरत एक्शन की है, न कि केवल दु:ख व्यक्त करने व घोषणाएं करने की।’ बहरहाल, मानसून का कहर केवल उत्तराखंड में ही बर्पा नहीं है। देश के अलग-अलग राज्यों से चिंताजनक खबरें मिल रही हैं। मसलन, हिमाचल प्रदेश में भारी बारिश के कारण से हुए भूस्खलन व फ़्लैश फ्लड्स से 100 से अधिक सड़कें ब्लॉक हो गईं हैं। हालात बद से बदतर होने का अंदेशा है, इसलिए राज्य के मौसम विभाग ने रेड अलर्ट जारी किया है। 
हिमाचल प्रदेश में बारिश से संबंधित घटनाओं में अब तक 20 लोगों की मौत हो चुकी है और भारी बारिश के कारण चार ज़िलों में स्कूलों को बंद करना पड़ा है। देश के अन्य राज्यों से भी बाढ़, बादल फटने आदि की रिपोर्ट्स मिल रही हैं। गौरतलब है कि जब 204.5 मिमी से अधिक भारी बारिश होने का अंदेशा होता है, तो रेड अलर्ट जारी किया जाता है; क्योंकि दैनिक जीवन के अस्त-व्यस्त होने और जान-ओ-माल के नुकसान का खतरा बढ़ जाता है। रेड अलर्ट के जारी होने पर तुरंत सुरक्षा उपाय करने आवश्यक हो जाते हैं। मौसम विभाग येलो अलर्ट (64.5-115.5 मिमी बारिश) और ऑरेंज अलर्ट (115.6-204.4 मिमी बारिश) भी जारी करता है। मात्र 37 दिनों में मानसून ने पूरे भारत को कवर कर लिया है, जबकि ऐसा करने के लिए वह औसतन 38 दिन (1 जून से 8 जुलाई) लेता है। 2013 में मानसून ने पूरे देश को मात्र 16 दिन में कवर कर लिया था। 
केरल में मानसून आमतौर से 1 जून को आता है, लेकिन इस बार 8 दिन पहले 24 मई को ही आ गया। दिल्ली में अनुमान से 2 दिन पहले 29 जून को ही मानसून आ गया। अनेक राज्यों, पहाड़ों, तटीय व मैदानी क्षेत्रों में भारी बारिश हो रही है, जगह-जगह पानी भर रहा है, नगर पालिकाओं के दावे खोखले साबित हो रहे हैं और बाढ़ जैसी स्थितियां उत्पन्न होती जा रही हैं। चंडीगढ़ में पिछले 24 घंटों में 119.5 मिमी बारिश रिकॉर्ड की गई है। ओडिशा में बुधाबलंगा, सुबर्णरेखा, जलाका व सोनो जैसी नदियां खतरे के निशान से ऊपर बह रही हैं। आसपास के क्षेत्रों में बाढ़ जैसी स्थिति है। केरल में मुल्लापेरियार बांध के 13 शटर्स को बढ़ते जलस्तर के कारण खोलना पड़ा है। आईएमडी (इंडिया मेट्रोलॉजिकल डिपार्टमेंट) के अनुसार दक्षिण-पश्चिम मानसून अपने निर्धारित समय से 9 दिन पहले ही आ गया है और उसने पूरे देश को कवर कर लिया है। 29 जून तक भारत में सामान्य से अधिक 8 प्रतिशत संचित वर्षा हुई है। पिछले 25 वर्षों में केवल चौथी बार ऐसा हुआ है। 
मानसून ने राजधानी दिल्ली व उत्तर-पश्चिम भारत के शेष भागों को एक समान दिन (29 जून) कवर किया है। पिछली बार 11 जुलाई 2021 को ऐसा हुआ था। इससे पहले 16 जून 2013 को ऐसा हुआ था और उस दिन केदारनाथ, उत्तराखंड में बादल फटने व फ़्लैश फ्लड्स के कारण भयंकर आपदा आयी थी, जिसमें हज़ारों लोग अपनी जान गंवा बैठे थे। रिकार्ड्स बताते हैं कि मानसून के जल्दी या देर से आने से बारिश का मात्रात्मक व वितरण पहलू मानसून सत्र के चार महीनों (1 जून से 30 सितम्बर) को कोई खास प्रभावित नहीं करता है। लेकिन यह खरीफ फसल (धाम, गन्ना, मोटे अनाज) की बुआई पर असर डालता है; क्योंकि किसान सिंचाई चक्र की ज़रूरतों को ध्यान में रखते हैं। आईएमडी डाटा से मालूम होता है कि 29 जून 2025 तक संचित मानसून वर्षा सामान्य से 8 प्रतिशत अधिक हुई और इस अवधि में उत्तर-पश्चिम व केंद्रीय भारत में क्रमश: 37 प्रतिशत व 24 प्रतिशत बारिश अधिक हुई, जिससे खरीफ फसल बुआई को पिछले साल जून की तुलना में अधिक प्रोत्साहन मिला। 
हालांकि 29 जून 2025 तक उत्तरपूर्व भारत व दक्षिण प्रायद्वीप में क्रमश: 16.7 प्रतिशत व 1.7 प्रतिशत कम बारिश रिपोर्ट की गई, लेकिन उसने देश में खरीफ फसल के कुल क्षेत्रफल को प्रभावित नहीं किया। कृषि मंत्रालय का नवीनतम डाटा बताता है कि 20 जून, 2025 तक 138 लाख हेक्टेयर में खरीफ फसल लगायी जा चुकी थी, जोकि पिछले साल इसी अवधि में 125 लाख हेक्टेयर में लगायी गई थी यानी 10 प्रतिशत से अधिक की वृद्धि। बहरहाल, इस बीच आईएमडी ने भविष्यवाणी की है कि उत्तर-पश्चिम, केंद्रीय, पूर्व व उत्तरपूर्व भारत में अगले सात दिनों में ‘भारी से अति भारी बारिश’ होगी और झारखंड, उत्तर ओडिशा व पश्चिम बंगाल के गांगेय क्षेत्र के कुछ अलग-अलग हिस्सों में अगले दो दिन में बहुत ही भयंकर बारिश होगी; क्योंकि उत्तर-पश्चिम बंगाल की खाड़ी पर चक्रवाती परिसंचरण का लो-प्रेशर एरिया बन गया है। 
इस चक्रवात के पश्चिम-उत्तर-पश्चिम की ओर बढ़ने की आशंका है। इस पर भुवनेश्वर का मौसम विभाग निगरानी बनाये हुए है। हालांकि आईएमडी ने इन खबरों का खंडन किया है कि एक नया चक्रवाती तूफान ‘शक्ति’ आ रहा है क्योंकि उसने केवल चक्रवाती परिसंचरण की सूचना दी है न कि तूफान के आने की। लेकिन इस बात से इंकार नहीं किया जा सकता कि मानसून की तेज़ मूसलाधार बारिश देश के अनेक क्षेत्रों में कहर बरपा किये हुए है।
-इमेज रिफ्लेक्शन सेंटर 

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