महिलाओं के लिए कोलकाता बेहद खौफनाक क्यों होता जा रहा ?
साल 2021 और 2022 इन दोनों सालों में क्राइम रिकॉर्ड ब्यूरो ऑफ इंडिया की रिपोर्ट के मुताबिक कोलकता देश के 19 प्रमुख मेट्रो शहरों में महिलाओं की सुरक्षा की दृष्टि से सबसे सुरक्षित दर्ज किया गया था। इन दोनों सालों में कोलकता में 11-11 दुष्कर्म की घटनाएं दर्ज की गई थी, जबकि ठीक उसी समय दिल्ली में महिलाओं के साथ दुष्कर्म की 1226 घटनाएं घटी थी। 2022 में कोलकता में महिलाओं के खिलाफ अपराध दर 27.01 प्रति एक लाख आबादी थी, जो हालांकि देश के कई अन्य मेट्रो शहरों मसलन चेन्नई और कोयंबटूर से ज्यादा थी लेकिन महिलाओं के विरूद्ध विशेषकर दुष्कर्म की घटनाएं वैसी नहीं घट रही थीं, जैसे देश के दूसरे बड़े शहरों में हो रही थी लेकिन पिछले तीन सालों से पता नहीं कोलकता के माहौल में ऐसी क्या तब्दीली आयी है कि यह शहर महिलाओं के लिए दूसरे शहरों से भले आंकड़ों के लिहाज से अभी बहुत खौफनाक न बना हो, लेकिन जिस तरह से महिलाओं के विरूद्ध वीभत्स दुष्कर्म की घटनाएं पिछले दो तीन सालों से यहां घट रही हैं, उस मामले में इस शहर ने दूसरे शहरों को पीछे छोड़ दिया है।
अभी 9-10 महीने गुज़रे हैं, जब अगस्त 2024 में रेप और मर्डर का वीभत्स मामला कोलकता में आरजी कर मैडीकल कॉलेज और अस्पताल में घटा था, कुछ वैसा ही दुष्कर्म का वीभत्स मामला गुजरे 25 जून 2025 को कोलकता स्थित साउथ कोलकता लॉ कॉलेज में घटा है, जिसमें कॉलेज की एक छात्रा के साथ गैंग रेप हुआ, जिसका मुख्य आरोपी कॉलेज का पूर्व छात्र मनोजीत मिश्रा और दो वर्तमान छात्र जैब अहमद और प्रमित मुखर्जी हैं और उनकी मदद कॉलेज का गार्ड पिनाकी ने किया था, जो मामला पिछले एक हफ्ते से न केवल मीडिया में सुर्खियों में छाया हुआ है बल्कि आरजी कर मैडीकल कॉलेज जैसा ही यह मामला पूरे देश में डर और दहशत का पर्याय बन गया है।
सवाल उठता है जिस पश्चिम बंगाल में और खास करके कोलकता में महिलाएं देश के बाकी राज्यों और महानगरों के मुकाबले सबसे ज्यादा सुरक्षित हुआ करती थीं, आखिर पिछले दो तीन सालों से वही कोलकता महिलाओं के विरूद्ध अपराधों के मामले में इतना खतरनाक क्यों बनकर उभरा है? कहीं इसके पीछे भाजपा और तृणमूल कांग्रेस जैसे दो प्रतिद्वंदी राजनीतिक पार्टियों की आपसी तनातनी तो नहीं है? क्योंकि पहले भी पश्चिम बंगाल में सत्तारूढ़ दल किसी पार्टी विशेष के साथ जबर्दस्त राजनीतिक प्रतिद्वंदिता में रहता रहा है। जैसे वामपंथी शासन के दौरान कांग्रेस और वामपंथी पार्टियों के बीच जबर्दस्त तनाव रहता था लेकिन पहले कभी इस तनाव का फायदा उठाकर सत्तारूढ़ दल के कार्यकर्ता इस कदर अपराधों में लिप्त नहीं पाये गये थे।
लेकिन जिस तरह से पहले आरजी कर मैडीकल कॉलेज अस्पताल में हत्या और दुष्कर्म के लिए तृणमूल कांग्रेस से अपराधियों के तार जुड़े पाये गये थे। ठीक उसी तरह साउथ लॉ कॉलेज के वीभत्स सामूहिक दुष्कर्म की घटना में भी मुख्य आरोपी मनोजीत मिश्रा टीएमसी से न केवल जुड़ा हुआ पाया गया है बल्कि इसी के बदौलत उसने पिछले कई सालों से आपराधिक वारदातें कर रहा था और इसी की बदौलत कॉलेज में उसने अपना दबदबा कायम किये हुए था। पुलिस ने इस मामले में अब जिस निष्कर्ष पर पहुंची है, उससे साफ लग रहा है कि दुष्कर्म का यह मामला पहले से नियोजित था। आरोपी अभियान के रूप में इस घटना को अंजाम दिया है। यह तृणमूल कांग्रेस की छात्र शाखा का हिस्सा था। उस वजह से इसे किसी तरह का डर नहीं था। शुरुआत में जिस तरह से पुलिस ने पूरे मामले को रफा दफा करने की कोशिश की। यहां तक कि बलात्कारियों और इसमें शामिल अपराधियों के नाम तक भी दर्ज न करके सांकेतिक रूप में उन्हें अपराधी एक या अपराधी दो के रूप में दर्ज किया था। उससे लगता है कि पुलिस को भी इस राजनीतिक कनेक्शन वाले अपराधी से डर या सहानुभूति थी।
बहरहाल जिस तरीके से कोलकता में इस दुष्कर्म कांड को लेकर पिछले साल अगस्त में घटे आरजी कर मैडीकल कॉलेज अस्पताल के हत्या और दुष्कर्म कांड की तरह ही पूरे शहर में आंदोलनों का सिलसिला फूट पड़ा और राजनीतिक विरोध का बायस बन गया। ठीक उसी तरह इस घटना के चलते एक हफ्ते बाद कोलकता पुलिस को मजबूरन तीनों आरोपियों के डीएनए सैंपल लेने पड़े हैं और जांच की रिपोर्ट में जांचकर्ताओं को भी नया रुख अख्तियार करना पड़ा है, क्योंकि प्रारंभिक रिपोर्ट में मैडीकल जांच के तहत स्पष्ट रूप से यह दावा नहीं किया गया था कि लड़की के साथ दुष्कर्म जैसा अपराध हुआ है। हालांकि इससे मनाही भी नहीं की गई थी, लेकिन स्पष्ट रूप से जांच रिपोर्ट में दुष्कर्म की पुष्टि भी नहीं की गई थी। लेकिन जब पूरे कोलकता में छात्र और युवा इस कांड के विरूद्ध सड़कों पर उतार आए और अपराध के साथ-साथ यह बड़ा राजनीतिक मुद्दा बन गया, तब जाकर पुलिस पर दबाव बना कि वह इस मामले को गंभीरता से टैकल करें।
गौरतलब है कि पुलिस का नया अनुमान यह है कि यह योजना बनाकर अंजाम दिया गया वीभत्स दुष्कर्म कांड है। अब पुलिस अधिकारी कह रहे हैं यह घटना पहले से ही तय थी। तीनों अपराधियों ने कई दिनों पहले से पीड़िता पर नज़र रखे थे और उसे टारगेट करने की कोशिश में थे। इसी सिलसिले में पीड़िता को मुख्य बलात्कारी मिश्रा ने कॉलेज में दाखिला दिलाने के नाम पर अपने झांसे में लिया। पुलिस जिस तरह से अब सक्रिय हुई है और उसने कॉलेज की यूनियन रूम, गार्ड रूम और बाथरूम से अपराध के सबूत जब्त किए हैं और उन्हें फॉरेंसिक जांच के लिए भेजा है, उससे लगता है कि इसके पहले पुलिस जानबूझकर पूरे मामले में मिट्टी डालने की कोशिश कर रही थी। इस घटना से संबंधित डेढ़ मिनट का एक वीडियो फुटेज भी सामने आया है, जिसे अब पुलिस ने अपने कब्जे में लेकर जांच के लिए फॉरेंसिक लैब में भेजा है। हो सकता है इस दबाव के चलते अब इस मामले में सही से जांच हो जाए।
-इमेज रिफ्लेक्शन सेंटर