कौन खिलाड़ी कौन अनाड़ी

आजकल सूर्य देव कुछ ज्यादा ही गर्म मिजाज हो रहे हैं। देश का हर हिस्सा उनके प्रचंड क्रोध का कोप भाजन बन कर ताप भुगत रहा है। उधर आसमान में उनका मिजाज बिगड़ता बनता रहता है। इधर धरती पर नेताओं का मिजाज बनता बिगड़ता रहता है। और इस बिगड़े मिजाज के कारण कोई कुछ ज्यादा बोल रहा है तो कोई अनाप-शनाप बोल रहा है। और जनता आंकलन कर करके परेशान है। जनता दोनों को झेल रही है दोनों के चलते आम जनता का घर से निकलना मुश्किल हो चुका है। क्योंकि जिधर भी जाइए धूप से परेशान होना ही पड़ता है और जिधर भी जाइए नेताओं के रैलियों के जाम से परेशान होना ही पड़ता है। कभी-कभी तो जनता को यह ही समझ में नहीं आता कि वह धूप से ज्यादा परेशान है या नेताओं की रैलियां से ज्यादा परेशान है। या फिर दोनों मिलजुल कर किसी साजिश के तहत कहर ढा रहे हैं। पर दोनों का कोई भी उपाय उसके पास नहीं है। बस इतना उनको सन्तोष है कि यह कुछ दिन की समस्या है।
सूर्य और नेताओं दोनों की परेशानी एक ही है दोनों अपने वर्चस्व का पूरी शक्ति के साथ प्रदर्शन करना चाहते हैं। एक दुनिया को बता देना चाहता है कि उससे शक्तिशाली कोई नहीं है। उसके तेज़ बल के आगे कोई नहीं ठहर सकता। दूसरा अपने विपक्षी को बता देना चाहता है कि मेरे सामने तुम्हारी गिनती औने पौने कुछ भी नहीं है। मैं तुम्हें गिरा हुआ साबित करके रहूंगा चाहे भले इसके लिए खुद कितना ही गिर जाना पड़ जाये। मैं उसकी तनिक भी परवाह नहीं करूंगा। तुम एक कदम गिर कर देखो... मैं सौ कदम गिरकर तुम्हें बताऊंगा कि गिरना किसे कहते हैं। और ऐसा करते-करते चुनाव में राजनीतिक सुचिता का शेयर सूचकांक पूरी तरह धराशाई हो जाता है।
लेकिन सबसे मजेदार बात है कि सूर्य देव के प्रचंडतम क्रोध में भी उतनी शक्ति नहीं है। जितनी चुनाव में शक्ति है। आजकल हर व्यक्ति को चुनावी बुखार चढ़ा हुआ है। सूरज देव की हीट वेब से कुछ ही लोग प्रभावित हो रहे। लेकिन चुनावी लू से तो पूरा देश प्रभावित हो गया है। जैसे-जैसे सूर्य देव का पारा चढ़ रहा है वैसे-वैसे चुनाव ने नेता जी का पारा भी बढ़ा दिया है। जनता दोनों से बचने का प्रयास कर रही है। एक से चेहरा ढककर एक से अपने विचार छुपा कर। खैर कुछ दिन में सबको पता चल ही जाएगा की कौन खिलाड़ी है कौन अनाड़ी है।
-बलिया (यूपी)