हरियाणा के चुनावों में महिला सुरक्षा भी होगा बड़ा मुद्दा
ओलम्पियन विनेश फोगाट के कांग्रेस में शामिल होने तथा जुलाना विधानसभा क्षेत्र से अपनी चुनावी पारी की शुरुआत करने के बाद एक बात यह भी स्पष्ट हो गयी है कि कांग्रेस विनेश का इस्तेमाल केवल स्पोर्ट्स स्टार और जाट चेहरे मात्र के रूप में ही नहीं करेगी बल्कि वह इस सुप्रसिद्ध व लोकप्रिय ओलम्पियन के बहाने भारतीय जनता पार्टी को महिला सुरक्षा के नाम पर देशभर में घेरने का भी प्रयास करेगी। भाजपा ने ‘बेटी बचाओ, बेटी पढ़ाओ’ का नारा देकर तथा इस योजना के प्रचार पर सैकड़ों करोड़ रुपये खर्च कर देश की जनता को यह सन्देश देने की कोशिश की थी कि भाजपा ही बेटियों व महिलाओं की एकमात्र हितैषी पार्टी है तथा भाजपा के शासन में ही महिलाओं के हितों की पूरी रक्षा व मान सम्मान संभव है। परन्तु यह भी अजीब संयोग है कि इसी भाजपा के शासन में देश के अनेक प्रांतों में ऐसी सैकड़ों घटनाएं हो चुकी हैं जो महिलाओं पर होने वाले अत्याचार में एक मिसाल बन गईं। क्या मणिपुर तो क्या बंगाल, राजस्थान, बिहार, उत्तर प्रदेश, मध्य प्रदेश जैसे राज्यों से तो ऐसी रूह कांपने वाली अनेक घटनाएं हो चुकी हैं, जिनकी दूसरी कोई मिसाल नहीं मिलती।
महिला उत्पीड़न, दुष्कर्म व हत्या जैसे घृणित अपराधों में यह भी देखा गया है कि ऐसे कई भाजपा शासित राज्यों में होने वाली ऐसी सनसनीखेज़ वारदातों में भाजपा की ओर से खामोशी बरती गयी जबकि किसी गैर-भाजपा शासित राज्य खासकर बंगाल में यदि कोई घटना घटी तो उसे भाजपा द्वारा इस हद तक उछाला गया कि बंगाल में राष्ट्रपति शासन लगाये जाने की चर्चा तक छिड़ गयी जबकि मणिपुर में महिलाओं के साथ जैसा ज़ुल्म हुआ, वह स्वतंत्र भारत के इतिहास में आज तक कहीं भी नहीं हुआ, परन्तु चूंकि मणिपुर भाजपा शासित राज्य है, इसलिये इन घटनाओं के लिये न तो वहां के मुख्यमंत्री को ज़िम्मेदार ठहराया गया और न ही किसी से त्याग-पात्र मांगा गया। भाजपा शासित राज्यों में घटी ऐसे अनेक घटनाएं सरकार की ‘बेटी बचाओ, बेटी पढ़ाओ’ की मुनादी पर सवाल खड़ा कर रही हैं।
इसी बीच ओलम्पियन विनेश फोगाट का कांग्रेस का दामन थामना भी भाजपा के लिये बड़ा सिर दर्द साबित हो सकता है, क्योंकि विनेश फोगाट उन विश्वस्तरीय ओलम्पिक पदक विजेता पहलवानों में एक है जिसने उत्तर प्रदेश के पूर्व भाजपा सांसद व भारतीय कुश्ती महासंघ के पूर्व अध्यक्ष बृज भूषण सिंह द्वारा कुछ महिला पहलवानों के साथ कथित रूप से किये गये दुर्व्यवहार के विरुद्ध मोर्चा खोलते हुये जंतर-मंतर पर धरना दिया था। यह धरना गत वर्ष 28 मई, 2023 को उस समय और भी सुर्खियों में छा गया था जबकि उस दिन नये संसद भवन के उद्घाटन के अवसर पर बृज भूषण सिंह के विरुद्ध धरनारत इन पहलवानों को दिल्ली पुलिस ने बलपूर्वक जंतर-मंतर से घसीट कर धरना समाप्त करा दिया था। उस दिन देश ने ‘बेटी बचाओ, बेटी पढ़ाओ’ का नारा देने वाली भाजपा के दो चरित्र व चेहरे देखे थे। एक तरफ तो उत्पीड़न की शिकार देश का मान-सम्मान विश्व में बढ़ने वाली बेटियां पुलिस ज़ुल्म का शिकार हो रही थीं, उन्हें सड़कों पर घसीटा जा रहा था जबकि ठीक उसी समय नारी उत्पीड़न का आरोपी बृज भूषण सिंह मुस्कुराता हुआ नवनिर्मित संसद भवन के उद्घाटन समारोह में भाग ले रहा था। इन्हीं धरनारत पहलवानों में दिल्ली पुलिस की ज़्यादतियों का शिकार एक महिला खिलाड़ी विनेश फोगाट भी थीं जो अब कांग्रेस में शामिल होकर पूरे देश को भाजपा के ‘बेटी बचाओ, बेटी पढ़ाओ’ के खोखले दावों और इसकी हकीकत में अंतर से परिचय कराएगी।
इसी महिला सम्मान के सवाल को लेकर एक और ‘सेल्फ गोल’ करते हुये भाजपा द्वारा हरियाणा विधानसभा चुनाव में चरखी दादरी से पूर्व जेलर सुनील सांगवान को टिकट दिया गया है। रोहतक की सुनारिया जेल में उनके जेल अधीक्षक के कार्यकाल के दौरान दुष्कर्म व हत्या के दोषी गुरमीत राम रहीम को 6 बार पैरोल मिली थी। इस पैरोल को दिलाने में सहायता करने में जेलर सुनील सांगवान की कथित तौर पर विशेष भूमिका थी। राम रहीम को मिली पिछली पैरोल के दौरान ही यह स्क्रिप्ट लिखी जा चुकी थी। तभी जैसे ही राम रहीम अपनी पैरोल खत्म कर जेल पहुंचा, उसके फौरन बाद ही सुनील सांगवान ने जेलर पद से त्याग-पत्र दिया जिसे फौरन स्वीकार भी कर लिया गया। उसके अगले ही दिन वह सार्वजनिक मंच पर आकर भाजपा में शामिल हो गए। और दो दिन बाद ही भाजपा की पहली सूची में ही चरखी दादरी से सुनील सांगवान का नाम भाजपा प्रत्याशी के रूप में सामने आ गया। गोया ‘बेटी बचाओ, बेटी पढ़ाओ’ का नारा देने वाली भाजपा में गुरमीत राम रहीम जैसे दुष्कर्म और हत्या के दोषी व सज़ा काट रहे अपराधी की इतनी पहुंच है कि वह अपनी पसंद के व्यक्ति को पार्टी टिकट भी दिला सकता है?
भाजपा स्वयं को उन आरोपों से भी दूर नहीं रख सकती जो उसपर बिल्कीस बानो के सज़ायाफ्ता अपराधियों की रिहाई को लेकर लगे थे, क्योंकि गुजरात की भाजपा सरकार ने तो उन सामूहिक दुष्कर्मियों व हत्यारों को रिहा कर दिया था, परन्तु सर्वोच्च न्यायलय ने गुजरात सरकार के इस फैसले को निरस्त हुये उन्हें पुन: जेल की सलाखों के पीछे धकेला। तब कहां चला गया था भाजपा का महिला सुरक्षा का दावा?