दीवारों की दरारों में कैसे उग जाते हैं पीपल के पौधे

बच्चो, आपने देखा होगा कि दीवारों की दरारों में आम तौर पर पीपल के पौधे जन्म ले लेते हैं। पीपल के वृक्ष को आक्सीजन मशीन माना जाता है क्योंकि यह वृक्ष बड़ी मात्रा में आक्सीजन गैस पैदा करता है। हिन्दू धर्म में इसको एक पवित्र वृक्ष का दर्जा प्राप्त है और इसकी पूजा भी की जाती है। पीपल के बीज में इतनी जान होती है कि यह कहीं भी आसानी के साथ उग सकता है। यही कारण है कि जब कोई पक्षी इसके बीज को खाकर दीवार पर बीट कर देता है तो बीज वहां अंकुरित हो जाता है और पौधा बन जाता है। इसको बढ़ने के लिए बहुत कम पानी और मिट्टी की ज़रूरत होती है। यह पौधा गर्मियों के मौसम में तेज़ी के साथ बढ़ता है। पीपल के पौधे की दीवारों पर उगने की समर्था इसकी मज़बूत और अनुकूल जड़ों के कारण है जो इसको अलग-अलग वातावरण में बढ़ने में मदद करती है। इसकी जड़ें वृक्ष को आस-पास की हवा और मिट्टी से नमीं तथा अन्य पोष्टिक तत्व प्राप्त करने में सहायक होती हैं, जोकि उन क्षेत्रों में खासतौर पर महत्वपूर्ण है जहां मिट्टी सीमित या खराब है। यहां यह भी वर्णनीय है कि इससे इमारतों पर भी बुरा असर पड़ता है। जड़ें अंदर दाखिल हो सकती हैं और इमारत के ढांचे को नुकसान पहुंचा सकती है। वृक्ष का वज़न भी समस्या पैदा कर सकता है। विशेषज्ञों का मानना है कि वृक्ष चाहे कितना भी बढ़ा हो, उसको घरों से थोड़ी दूर पर ही उगाना चाहिए। दरअसल इस वृक्ष की जड़ें दूर तक फैली होती हैं। ऐसी स्थिति में यदि यह वृक्ष घर के निकट रहेगा तो इसकी जड़ें घरों की दीवारों और फर्श के नीचे फैल जाएंगी और दीवारों में दरारें तो आएंगी ही, साथ ही पूरी इमारत को भी नुकसान पहुंचेगा।
-लैक्चरार कमैस्ट्री, सरकारी सीनियर सैकेंडरी स्कूल गग्गो बूआ ज़िला तरनतारन।

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