मोदी सरकार में भारत की अर्थव्यवस्था की कुलांच 

भारत अब चौथी सबसे बड़ी अर्थव्यवस्था बन गया है और यह मोदी सरकार और देश के 1.4 अरब भारतीयों के लिए गर्व की बात है। भारत को पहले हाथियों और सांपों की भूमि के रूप में जाना जाता था। अब यह देश विकास के पथ पर चौथी सबसे बड़ी अर्थव्यवस्था बन गया है। नीति आयोग के सीईओ बी.वी.आर. सुब्रह्मण्यन ने हाल ही में कहा था कि यह हम सभी के लिए खुशी और गर्व की बात है। भारत अब जापान को पछाड़कर चौथी सबसे बड़ी अर्थव्यवस्था बन गया है। इसका श्रेय मोदी सरकार और 140 करोड़ भारतीयों को जाता है। 
अब भारत में भू-राजनीतिक स्थिति और बहुत अनुकूल आर्थिक वातावरण है। भारत आज 4 ट्रिलियन डॉलर की अर्थव्यवस्था है और यह परिवर्तन जबरदस्त है। अंतर्राष्ट्रीय मुद्रा कोष (आईएमएफ) के आंकड़ों के मुताबिक भारत आज जापान से बड़ा है और आज भारत से आगे सिर्फ  जर्मनी, चीन और अमरीका हैं। भारत को यह सफलता आसानी से हासिल नहीं हुई है। अर्थव्यवस्था का आकार सकल घरेलू उत्पाद (जीडीपी) द्वारा मापा जाता है और यह जापान की तुलना में कुछ अधिक है। आईएमएफ  की रिपोर्ट में कहा गया है कि 2025 में विकास दृष्टिकोण 6.2 प्रतिशत था, जो विशेष रूप से ग्रामीण क्षेत्रों में अच्छी मांग के कारण, निजी भागीदारी और खपत के साथ-साथ भारत की बाज़ार क्षमता और व्यापक आर्थिक क्षेत्र, वैश्विक व्यापार और निवेश प्रवाह की भागीदारी में वृद्धि के कारण समर्थित था। 
नीति आयोग के अनुसार यदि भारत प्रति व्यक्ति आय में प्रगति कर रहा है। विश्व बैंक और आईएमएफ का अनुमान है कि है कि भारत अगले दो वर्षों के लिए दुनिया में सबसे तेज़ी से बढ़ती बड़ी अर्थव्यवस्था बना रहेगा। सकल घरेलू उत्पाद में वृद्धि होने की उम्मीद है। स्वास्थ्य, शिक्षा और बुनियादी ढांचा क्षेत्रों के नियोजित विकास को रणनीतिक प्राथमिकता दी जानी चाहिए। भारत विनिर्माण क्षेत्र में एक वैकल्पिक देश बन रहा है, लेकिन इसे अपने बाज़ार को मजबूत करना चाहिए और वैश्विक प्रतिस्पर्धा में अपनी स्थिति बढ़ाने के लिए इसका उपयोग करना चाहिए। 
भारत रूस-यूक्रन युद्ध से उत्पन्न चुनौतियों का सामना करने और अमरीकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रम्प द्वारा लगाए गए आयात शुल्क की बाधाओं को दूर करने में सक्षम रहा है, लेकिन उत्पादकता बढ़ाने के लिए कृत्रिम बुद्धिमत्ता (एआई) जैसी नई तकनीकों को अपनाने के लिए श्रमिकों के लिए नौकरियां पैदा करने की भी आवश्यकता है। वैश्विक अर्थव्यवस्था में मंदी ने बाहर मांग को धीमा कर दिया है। घरेलू मांग भी पूरी तरह पटरी पर नहीं लौटी है। यह बाधा अर्थव्यवस्था के तेज़ी से विकास के लिए एक बाधा बनी हुई है। यदि ऐसे झटके नहीं आते हैं, तो भारतीय अर्थव्यवस्था में बचत और निवेश के स्तर के संदर्भ में अगले कुछ वर्षों में वृद्धि करने की क्षमता है। हालांकि, इसके लिए अधिक संरचनात्मक परिवर्तनों की आवश्यकता है।
प्रधानमंत्री मोदी ने 2014 में सत्ता संभाली थी। तब से लेकर अब तक भाजपा सत्ता में है और देश की प्रगति निरंतर होती रही है। कांग्रेस शासन के दौरान निवेशकों ने भारतीय अर्थव्यवस्था में विश्वास खो दिया और भ्रष्टाचार के कई मामलों ने निवेशकों के विश्वास को कमज़ोर कर दिया था।  लेकिन आज ऐसा नहीं है। मोदी के आने के बाद से स्थिति में गुणात्मक बदलाव आया है। इससे निवेशकों का विश्वास बहाल हुआ है और भारत आज चौथी सबसे बड़ी अर्थव्यवस्था बन गया है, लेकिन यह एक आसान काम नहीं था। अगर आर्थिक विकास के आंकड़ों को केवल ध्यान में रखा जाए तो भी मोदी सरकार का प्रदर्शन इन 10 वर्षों में प्रभावशाली रहा है। नि:संदेह यह स्वीकार करना होगा कि मोदी सरकार का प्रदर्शन असामान्य होने के बावजूद प्रशंसा के लिए पर्याप्त नहीं है। भले ही मोदी सरकार का आर्थिक प्रदर्शन जबरदस्त है, लेकिन गरीबी और बेरोज़गारी की समस्या गम्भीर है। आर्थिक असमानता अभी भी एक बड़ी चनौती बनी हुई है।
गरीबी और असमानता की असली तस्वीर सामने नहीं आ रही है। मोदी सरकार ने सड़कों और बुनियादी ढांचे के निर्माण पर ज़ोर दिया है और इसलिए आज देश में कई जगहों पर अच्छी सड़कें और पुल बनते हुए हम देखते हैं, लेकिन साथ ही डिजिटल सिस्टम का इस्तेमाल उस हद तक नहीं बढ़ा है, जितना होना चाहिए। 
यदि विकास की यही गति जारी रहती है तो हम अगले अढ़ाई से तीन वर्षों में जर्मनी को पछाड़कर तीसरे नंबर पर आ सकते हैं। यह भी कहा जाता है कि इस तरह के अनुमान का उपयोग देशवासियों के मन में उत्साह पैदा करने के लिए किया जाता है। बेशक जर्मनी में सक्षम, प्रशिक्षित और युवा लोगों की भारी कमी है और इससे अर्थव्यवस्था कुछ हद तक प्रभावित हो रही है। इसके विपरीत, भारत को युवाओं की सबसे बड़ी संख्या होने से लाभ होगा। 
मोदी सरकार ने भारत की अर्थव्यवस्था को चौथी सबसे बड़ी अर्थव्यवस्था बना दिया है लेकिन तथ्य यह भी है कि भारत का अकुशल और गरीब वर्ग अभी भी काफी हद तक बेरोज़गार है और मोदी सरकार उनके लिए नौकरी प्रदान करने में सक्षम नहीं है। भारत की अधिकांश आबादी अभी भी कृषि पर निर्भर है। अर्थव्यवस्था को और सुधारने और विकसित करने के लिए आम लोगों की हिस्सेदारी बढ़ाई जानी चाहिए। 


-मो. 92212-32130

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