गाज़ा में मानवीय संहार

इज़रायल और गाज़ा पट्टी पर काबिज़ हमास के बीच शुरू हुए युद्ध को 21 मास से अधिक का समय हो गया है। 7 अक्तूबर, 2023 को हमास के गुरिल्लों ने इज़रायल पर हमला करके सैकड़ों इज़रायलियों और वहां मौजूद अन्य पर्यटकों की बड़ी निर्ममता ढंग से हत्या कर दी थी और 1000 से अधिक इज़रायलियों और अन्यों को वे बंधक बना कर गाज़ा पट्टी में ले गए थे। इसके बाद शुरू हुई लड़ाई पश्चिमी एशिया के अन्य भागों में भी फैलती गई। इज़रायल और ईरान का युद्ध हुआ। इन कई देशों में सक्रिय हिजबुल्ला मुज़ाहिद्दीन और इज़रायली सैनिकों में कड़ा टकराव  भी हुआ। इज़रायल ने गाज़ा पट्टी जहां 20 लाख से अधिक फिलिस्तीनी बसे हुए हैं, पर हमला करके अब तक हमास गुरिल्लों को वहां से निकालने का यत्न किया है, परन्तु वे हमले करके गाज़ा पट्टी में अपने शरण-स्थलों में चले जाते रहे हैं। अब तक उन्होंने बंधक बनाए और बचे हुए इज़रायलियों को लाख यत्न के बावजूद रिहा नहीं किया। इस भयावह टकराव में गाज़ा पट्टी में लाखों ही फिलिस्तीनी फंसे हुए हैं। उन्हें यह पता नहीं चलता कि वह कहां जाएं और यह भी उन्हें पता नहीं होता कि इज़रायल कब उन पर बमबारी शुरू कर दे। इस संबंध में भी उन्हें अनिश्चितता बनी रहती है।
हमास ने युद्ध-विराम की रखी शर्तों को भी स्वीकार नहीं किया, जिस कारण मासूम फिलिस्तीनी जिनमें छोटे बच्चे भी शामिल हैं, बुरी तरह प्रताड़ित हो रहे हैं। इज़रायल ने संयुक्त राष्ट्र और अन्य मानवीय अधिकारों को समर्पित लगभग 100 संगठनों को भी अब वहां काम करने से रोक दिया है। विगत दिवस आई इन संगठनों की रिपोर्ट बेहद दर्द पैदा करने वाली है। उनके अनुसार गाज़ा पट्टी में भुखमरी फैल गई है। यदि इन संगठनों की ओर से इज़रायल की सहमति से भोजन की खेप वहां पहुंचती भी है तो उसे प्राप्त करने के लिए इतना बड़ा जनसमूह उमड़ जाता है, जिससे पूरी तरह अफरा-तफरी मच जाती है। रिपोर्टों के अनुसार इस भुखमरी से जुड़ा एक दर्दनाक पहलू यह भी है कि अब कुछ दिनों में ही इस अफरा-तफरी के कारण इज़रायली सैनिकों द्वारा की गई गोलीबारी में सैकड़ों ही बच्चे और महिलाओं के अतिरिक्त प्रत्येक उम्र के व्यक्ति मारे जा रहे हैं। वहां के एक बड़े अस्पताल के प्रवक्ता के अनुसार पिछले मंगलवार को ही भूख से 21 बच्चे मर गए और ये हालात और भी बिगड़ते जा रहे हैं। ऐसे पैदा हुए दर्दनाक हालात के दृष्टिगत बड़ी आश्चर्यजनक और दुखद बात यह है कि विश्व भर के बड़े देश इस दर्दनाक स्थिति की आलोचना तो ज़रूर कर रहे हैं परन्तु क्रियात्मक रूप में उन्होंने इन बिगड़े हुए हालात को ठीक करने के लिए कुछ नहीं किया। अमरीका के विदेश मंत्री यूरोप और पश्चिमी एशिया के देशों का दौरा ज़रूर कर रहे हैं परन्तु वह अब तक इज़रायल को इस बात के लिए भी नहीं मना सके कि वह गाज़ा पट्टी में ऐसी भुखमरी के हालात पैदा न करे और न ही राहत लेने के लिए आने वाले लोगों पर गोलीबारी करे।
नि:संदेह इज़रायल द्वारा यह मानवीय संहार ही किया जा रहा है। इसे द्वितीय विश्व युद्ध के समय नाज़ियों द्वारा लाखों यहूदियों की हत्या करने जैसा कर्म ही कहा जा सकता है। चाहे विश्व भर के यहूदी ‘होलो कासट’ को नहीं भूले, परन्तु इज़रायल स्वयं अब ऐसे ही धत्-कर्म में फंसा दिखाई देता है। अब यूरोप और अमरीका ने यदि क्रियात्मक रूप में शीघ्र इस मामले का हल न निकाला तो इतिहास में उनका नाम काले अक्षरों में लिखा जाएगा। इस समय इज़रायल को हर हाल में फिलिस्तीनियों को भुखमरी से बचाने हेतु विवश किया जाना ज़रूरी है। उसके बाद ही युद्ध-विराम के लिए कोई हल निकालने के लिए यत्न किया जाना चाहिए। ऐसा करना आज विश्व भर के सामर्थ्यवान देशों का नैतिक कर्त्तव्य है। 

—बरजिन्दर सिंह हमदर्द

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