सावधानी और सुरक्षा से चलाएं पटाखे

दीपावली के समय पटाखे आदि चलाते वक्त अनेक प्रकार की दुर्घटनाएं सामने आती हैं। पटाखों के कारण जलने की घटनाओं में अधिकतर बच्चे होते हैं। जलने के बाद घाव पर तुरंत ठंडा पानी न डालने और त्वचा पर पड़े फफोले फोड़ लेने के कारण अधिकांश मामलों में संक्रमण बढ़ जाता है। यदि लोग इस संबंध में सावधानी बरतें, तो जलने से घायल व्यक्ति का घाव अपेक्षाकृत जल्दी ठीक हो होगा। पटाखे चलाने के तरीके और उस समय पहने जाने वाले कपड़ों के बारे में यदि सावधानी बरती जाए, तो पटाखे चलाने से होने वाली दुर्घटनाएं कम हो सकती हैं।
* पटाखे चलाते समय यथासंभव सूती और चुस्ती कपड़े पहनें।
*  बच्चों को अकेले पटाखे नहीं छोड़ने दें।
*  पटाखे जलाने के लिए लंबे डंडे में मोमबत्ती बांधकर प्रयोग करें। बच्चों को जेब में माचिस या पटाखे न रखने दें।
*  पटाखे छोड़ते समय घरों एवं सूखे पुआल, लकड़ी आदि का ख्याल रखें।
*  यदि पटाखा एक बार में न जले, तो उसके निकट जाकर उसके पुनरीक्षण का प्रयास कभी न करें। ये अचानक फटकर दुर्घटना का कारण बन सकते हैं।
*  छोटे बच्चों के हाथ में पटाखे न पकड़ाएं। फुलझड़ी के गरम तारों को पानी में रखते जाएं, कभी-कभी दौड़ते बच्चों के पांव गरम फुलझड़ी पर पड़ सकते हैं, इसलिए बच्चों को जूता पहनाकर रखें।
*  फुलझड़ी के अलावा किसी भी पटाखे को हाथ में लेकर न चलाएं, खासकर अनार को कभी नहीं, क्योंकि सबसे ज्यादा दुर्घटना अनार छोड़ने में होती है।
*  बच्चों को समझाएं कि वे पटाखे चलाते समय झुकें नहीं, अन्यथा पटाखा फटने से उनका चेहरा जल सकता है। बच्चों को हाथ में पटाखा छोड़ने से भी रोकें।
*  कार, स्कूटर, जनरेटर या किसी ज्वलनशील पदार्थों के पास पटाखे न जलाएं। इससे आग लग सकती है।
*  आतिशबाजी करते समय बड़े पात्र में पानी अवश्य रखें, ताकि आवश्यकता पड़ने पर आग बुझाने के काम आ सके।
*  रॉकेट के लिए बोतल का प्रयोग करें। बोतल में रॉकेट सीधा खड़ा करें, ताकि वह सीधा ऊपर जाए।
*  घर पर लाए गए पटाखों को अबोध बच्चों की पहुंच से दूर रखें, क्योंकि इनमें लगे रासायनिक तत्व बच्चों के मुंह में जाने से खतरनाक हो सकता है।
*  पटाखे जलाते समय नारियल तेल, पानी, बरनॉल, बालू, कंबल या रजाई जैसी वस्तुएं साथ रखें, ताकि किसी तरह की दुर्घटना होने पर तुरंत काबू पाया जा सके। (सुमन सागर)

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