बी.एस. 4 की जगह 1 अप्रैल 2020 से बी.एस. 6 इंजनों वाले वाहन चलेंगे

लुधियाना, 7 जून (पुनीत बावा): भारत स्टेज़ (बी.एस. 3) की जगह पर पहले बी.एस. 4 इंजनों वाले वाहन लाए गए थे तथा अब देश में 1 अप्रैल 2020 से भारत स्टेज़ (बी.एस. 6) इंजनों वाले वाहनों की बिक्री होगी, जबकि बी.एस. 4 की बिक्री केवल 31 मार्च 2019 तक ही हो सकेगी। बी.एस. 6 इंजनों वाले दोपहिया व चौपहिया वाहनों की कीमत 10 प्रतिशत तक अधिक होगी। पैट्रोल वाले बी.एस. 3 में सी.ओ. 2.30, बी.एस. 6 में 1.00, डीज़ल वाले बी.एस. 3 में सी.ओ. 0.64, बी.एस. 6 में 0.50, पैट्रोल वाले बी.एस. 3 में एच.सी. 0.20, बी.एस. 6 में 0.10, डीज़ल वाले बी.एस. 3 में एच.सी. 0.00, बी.एस. 6 में 0.00, पैट्रोल वाले बी.एस. 3 में एन.ओ.एक्स. 0.10, बी.एस. 6 में 0.08, डीज़ल वाले बी.एस. 3 में एच.सी. 0.50, बी.एस. 6 में 0.25 पाई जाती है। अप्रैल 2013 में 8 लाख 43 हज़ार 889, अप्रैल 2014 में 9 लाख 12 हज़ार 9, अप्रैल 2015 में 8 लाख 81 हज़ार 751, अप्रैल 2016 में 10 लाख 24 हज़ार 926, अप्रैल 2017 में 10 लाख 29 हज़ार 972, अप्रैल 2018 में 12 लाख 29 हज़ार 526, मार्च 2019 में 9 लाख 82 हज़ार 385 दोपहिया वाहन बिके। बी.एस. 6 इंजनों वाले वाहनों की 1 अप्रैल 2020 से बिक्री शुरू होने के कारण अब वाहनों के कलपुज़र्े बनाने वाले उद्योगपतियों ने बी.एस. 4 इंजन के कलपुज़र्े बनाने बंद कर नए बी.एस. 6 इंजन के कलपुज़र्े बनाने के लिए नवीन मशीन, सांचे व तकनीक का प्रयोग शुरू कर दिया है। फरवरी 2019 में मारुति सुज़ूकी ने 1 लाख 48 हज़ार 682 वाहन बेचे, जिसमें से 1 लाख 39 हज़ार 100 वाहन घरेलू व 9 हज़ार 582 वाहन निर्यात किए। महिन्द्रा एंड महिन्द्रा ने 17 प्रतिशत भारत मार्किट पर कब्ज़ा करते 26 हज़ार 169 वाहन फरवरी 2018 तक बेचे। टाटा मोटर्स ने फरवरी 2019 तक 58 हज़ार 991 वाहन बेचे। हंदूई मोटर्स द्वारा फरवरी 2019 तक 54 हज़ार 422 वाहन बेचे गए, जिसमें से 43 हज़ार 110 घरेलू व 11 हज़ार 408 वाहन निर्यात किए गए। टोयटा किर्लोस्कर ने फरवरी 2018 तक 12 हज़ार 497 वाहन बेचे। चैम्बर आफ इंडस्ट्रियल एंड कमर्शियल अंडरटेकिंग (सीसू) के प्रधान उपकार सिंह आहूजा ने कहा कि देश में से वाहनों का हवा व ध्वनि प्रदूषण कम करने के लिए बी.एस. 4 से बी.एस. 6 इंजन लाने बहुत ही अच्छा कदम है। बड़ी कम्पनियों द्वारा तो नवीन टैक्नालोजी व मशीनरी का प्रयोग शुरू कर दिया गया है परन्तु कलपुज़र्े बनाने वाले छोटे उद्योगों को केन्द्र सरकार को सी.एल.एस.एस. स्कीम तहत लाभ देना चाहिए।