मैरीटोरियस स्कूल शिक्षा देने में नहीं हो रहे कारगर

पटियाला, 10 जून (धर्मिन्दर सिंह सिद्धू): प्रदेश में अच्छे अंक प्राप्त करने वाले विद्यार्थियों के लिए खोले मैरीटोरियस स्कूलों में पहली काऊंसलिंग होने के बावजूद भी विद्यार्थियों की 436 सीटें खाली पड़ी हैं।विद्यार्थियों द्वारा इन स्कूलों में दाखिले लेने के लिए नकारात्मक रवैया स्तरीय शिक्षा पर सवालिया चिन्ह लगाता है। बादल सरकार द्वारा 2014 में चलाए इस ड्रीम प्रोजैक्ट के तहत मैरीटोरियस स्कूल (सोसायटी फार प्रोसोसन आफ क्वालिटी एजुकेशन फार पूअर व मैरीटोरियस स्टूडैंट्स) विद्यार्थियों को स्तरीय शिक्षा देने में कारगर सिद्ध नहीं हुए। प्रदेश के 10 मैरीटोरियस स्कूल पटियाला, जालन्धर, लुधियाना, अमृतसर, बठिंडा, मोहाली, गुरदासपुर, फिरोज़पुर, तलवाड़ा व संगरूर में कुल विद्यार्थियों की संख्या 4600 है। इन स्कूलों में साईंस ग्रुप में 3600, कामर्स में 950 व आर्ट्स में 50 विद्यार्थियों के लिए सीटें हैं। इन कुल 4600 सीटों में से 2875 सीटें लड़कियों के लिए और 1725 सीटें लड़कों के लिए आरक्षित हैं। यह स्कूल पढ़ाई के साथ-साथ बोर्डिंग, खाना, होस्टल, वर्दियां व विशेष कोर्सों के लिए अतिरिक्त पढ़ाई भी मुफ्त करवाते हैं। गत वर्ष शिक्षा विभाग द्वारा विद्यार्थियों की संख्या बढ़ाने के मकसद से विद्यार्थियों की पास प्रतिशतता 80 फीसदी से घटाकर 55-50 प्रतिशत कर दी गई थी परंतु फिर भी विद्यार्थियाें द्वारा इन स्कूलों में पढ़ाई करने को ज्यादा प्राथमिकता नहीं दी गई। मिली जानकारी के अनुसार मैरीटोरियस स्कूलों में विद्यार्थियों की 2014-15 में 947, 2016-17 में 400 व 2017-18 में 954 सीटें खाली थीं। मौजूदा समय गुरदासपुर के स्कूल में पिछले साल की तरह सबसे ज्यादा 136, अमृतसर में 89 व संगरूर में 58 सीटें खाली पड़ी हैं। इन स्कूलों में विद्यार्थियों की घटती संख्या चिंता का विषय बनती जा रही है। इसके अलावा यह स्कूल प्रिंसीपल, टीचिंग व नान टीचिंग स्टाफ की कमी से भी जूझ रहे हैं।