महज़ एक रस्म बना खेल दिवस

जालन्धर, 28 अगस्त (जतिंदर साबी): 29 अगस्त 1905 को जन्मे हाकी के प्रसिद्ध जादूगर मेजर ध्यान चंद की याद में राष्ट्रीय खेल दिवस देशवासियों व पंजाबियों के दिलों में एक उत्सव क्यों नहीं बन सका। देश को सैकड़ों उच्चकोटि के हाकी खिलाड़ी देने वाले पंजाब में हाकी को विश्वस्तर पर  ले जाने वाले ध्यान चंद का जन्मदिवस महज़ रस्मी श्रद्धांजलि तक क्यों सीमित रह गया है। हालांकि हाकी के जादूगर का जन्म इलाहाबाद (यू.पी.) में हुआ, परंतु लम्बे समय तक एन.आई.एस. पटियाला से जुड़े रहने के कारण उन्हें याद करना व उनकी हॉकी व अन्य खेलों के प्रति देन व लगन को सलाम कहना समय की मुख्य मांग है। आज हाकी की बदौलत बड़े-बड़े पदों पर विराजमान पदमश्री, अर्जुन अवार्डी, खेल डायरैक्टर, उच्च पुलिस अधिकारियाें जोकि लाखों रुपए पैंशन, वेतन के रूप में लेने वाले यह हाकी के सूपूतों के पास अपने हीरो मेजर ध्यान चंद काजन्मदिवस मनाने के लिए समय तक नहीं है।