औद्योगिक क्षेत्र को अधिक प्राथमिकता न मिलने से पंजाब की नहीं बढ़ रही जीएसटी वसूली

जालन्धर, 1 दिसम्बर (शिव शर्मा) : केन्द्र ने जी.एस.टी. लागू करने समय राज्यों को पड़ने वाले घाटे के लिए 5 वर्ष तक तो भरपाई करनी है पर भरपाई का समय खत्म होने के बाद राज्य सरकारों के लिए बड़ा खतरा नज़र आने लग पड़ा है। पंजाब की अपनी ही जी.एस.टी. वसूली में कमी दर्ज की जा रही है और इसका एक बड़ा कारण है कि औद्योगिक क्षेत्र में मंदा होने के कारण जी.एस.टी. की वसूली में वृद्धि नहीं हुई है। पंजाब में निजी क्षेत्र में बिजली उत्पादन बढ़ने से तो बिजली अधिक हो गई है पर पॉवरकाम सूत्रों की मानो तो औद्योगिक क्षेत्र में बिजली की मांग कम हो गई है और इस कारण भी बिजली और भी अधिक होना बड़ा कारण है। राज्य में जी.एस.टी. की वसूली न बढ़ने का एक कारण यह भी बताया जा रहा है कि औद्योगिक क्षेत्र में तेज़ी नहीं है और न ही औद्योगिक निवेश करने के लिए कोई बड़ी योजना बनाई गई है। 15 वर्ष से अधिक समय से राज्य में कोई नया फोकल प्वाईंट नहीं काटा गया है। सुविधाओं की जगह अभी तक उद्योगपति तीन वर्ष से वैट के खत्म होने के बाद भी केसों में फंसे हुए हैं। पंजाब ने केन्द्र के साथ नाराजगी दिखाई है कि उसकी भरपाई करने के लिए 4100 करोड़ रुपये की जी.एस.टी. की रकम जारी नहीं हुई है पर पंजाब सरकार ने वर्षों से उद्योगपतियों से जो अधिक वैट लिया हुआ है, उसकी बड़ी रकम को अभी तक नहीं भेजा गया है। उद्योगपति, कारोबारी अभी तक वैट के खत्म होने के बावजूद उनके असैस्मैंटों के केसों में उलझे हुए हैं। उनसे अधिक ली गई रकम वापस न होने पर उनको बैंकों से काम करने के लिए अधिक कर्जे लेने पड़ रहे हैं। पंजाब में कई जगह औद्योगिक क्षेत्र  में जहां दिन-रात उत्पादन होता था और अब उधर काम न होने के कारण सिर्फ एक ही शिफ्ट चल रही हैं, जिस कारण पावरकाम के पास बिजली और भी अधिक हो गई है। पंजाब के पड़ोसी राज्य हरियाणा के गुड़गांव सहित कई ज़िलों में औद्योगिक इकाइयां प्रफुल्लित हो रही हैं। छोटी औद्योगिक इकाइयां बार-बार मांग कर रही हैं कि उनको बिजली 10 रुपये प्रति यूनिट तक पड़ रही है पर उनको अभी तक राहत नहीं मिली है ओर तो ओर जालन्धर के लैदर काम्पलैक्स के ट्रीटमैंट प्लांट का नवीनीकरण के लिए समय पर रकम जारी न होने कारण 61 औद्योगिक इकाइयों को ताले लग गए हैं, जिन कारण हज़ारों लोग बेरोजगार हो गए हैं। प्रसिद्ध कर माहिर पुनीत ओबराय का कहना था कि केन्द्र ने जी.एस.टी. के पांच वर्ष का समय खत्म होने के बाद पंजाब द्वारा जी.एस.टी. वसूली बढ़ाने बारे क्या किया जाना है, अभी तक इसकी कोई योजनाबंदी नहीं की गई है। कुछ समय पहले ही इंडस्ट्री विभाग ने कई अच्छी चलती फैक्टरियों को दोबारा चलने के सबूत देने के करोड़ों रुपये के जुर्मान कर दिए थे। जिन्होंने दूसरों से से चलती फैक्ट्रियां ली हैं। कई लोगों ने लाखों रुपये की फीसें जमा करवाई थीं। अभी तक फोकल प्वाईंटों के अधिक ज़मीनों की रकम के नोटिसों का विवाद खत्म नहीं हो सका है। उद्योगपतियों के अभी तक करोड़ों रुपये की अदायगी करने की तलवार लटक रही है। इस स्थिति में पंजाब का औद्योगिक और कारोबारी क्षेत्र किस तरह से तरक्की करेगा, जिससे पंजाब में जी.एस.टी. वसूली में बढ़ावा होगा, इससे विचार करना और भी ज़रूरी हो गया है।