सुहाना होगा भविष्य का रेल स़फर

भविष्य में तकरीबन 1400 किलोमीटर प्रतिघंटा की रफ्तार से दौड़ने वाली जमीन की हवाई जहाज सरीखी ट्रेनें बेपटरी की होंगी। रेलों में चालक की जरूरत तो अगले एक डेढ़ दशक पहले ही खत्म हो चुकी होगी, यात्री भी बेटिकट होंगे। प्लेटफार्म पर भीड़-भड़का नहीं दिखेगा। तकरीबन हर डेढ़ दो मिनट पर चलने वाली ट्रेनों के लिये यात्रियों को इंतजार नहीं करना पड़ेगा और अगर कभी यात्री अपनी मर्जी से कुछ देर समय गुजारना भी चाहे तो उसके रंजन मनोरंजन के लिये तमाम कल्पनातीत सरअंजाम वहां मौजूद होंगे। 2050 तक संसार की कुल आबादी के 75 फीसदी लोग शहरों में रहने लगेंगे। इस बड़ी जनसंख्या का दबाव सबसे सस्ते, सुलभ और सुरक्षित तथा सामूहिक जन यातायात साधन रेल पर होगा, ऐसी स्थिति में रेलवे को अपने में आमूल-चूल बदलाव लाना ही होगा।  वर्तमान में प्रयुक्त रेलवे तकनीक और चल रहे शोध एवं विकास के अध्ययन से जो भविष्य के रेलवे की तस्वीर उभरती है, उसके अनुसार रेल समूचे संसार में आवागमन का सबसे बड़ा जरिया बनेगी। कतर और ब्राजील जैसे देशों में जहां रेल संस्कृति नहीं के बराबर है, वहां भी भविष्य की रेल पैर पसारेगी, लोकप्रिय होगी। डिजाइनर चाहते हैं कि स्टेशन सिटी आइकन बनें, भविष्य के रेलवे स्टेशन शानदार, लकदक, सुखद वातावरण वाले बेहद सुविधा संपन्न और शहर की पहचान होंगे। लोग मनपसंद खा पी सकेंगे, सिनेमा, शॉपिंग, गेमिंग कर सकेंगे। रेलवे स्टेशन की बहुमंजिला भवनों के ऊपर पार्क और दुकानें होंगी। कनेक्टिविटी वातानुकूल इत्यादि के लिये ऊर्जा आने वाले यात्रियों के कदमों से ही मिल जायेगी। ये स्टेशन शैवाल, सौर ऊर्जा तथा हाइड्रोजेन एनर्जी से संचालित होंगे। रूस और हालैंड के रेलवे स्टेशनों पर यात्रियों के कदमों की चहलकदमी से बिजली बनाने की परियोजना पर काम चल रहा है। ब्रिटेन और फ्रांस भी इस मामले में अपने प्रयोग तकरीबन पूरे करने की स्थिति में हैं। रेल में सफ र कर रहे बच्चों के मनोरंजन हेतु ऑग्यूमेंटेड रियलिटी वाले खिलौने और गेम होंगे। ट्रैवल मैप से शहर के लाइव वीडियो या फोटो यहीं देख पायेंगे। ट्रेन तक पहुंचने के रास्ते में बड़े-बड़े पैनल होंगे जिनके शीशों पर वर्चुअल सामान का विज्ञापन होगा ये एक तरह के वर्चुअल मॉल होंगे, वर्चुअल शॉपिंग माल दक्षिण कोरिया में शुरू हो चुके हैं, जहां यात्री अपने मोबाइल के जरिये यात्रा के दौरान शॉपिंग कर सकता है। दुबई, कोपेनहेगेन, पेरिस, सिंगापुर, साओपालो में तो ड्राइवरलेस ट्रेन और रीयल टाइम इंफॉरमेशन की सुविधा मौजूद ही है। चालक रहित स्वचालित ट्रेनें 2022 तक बहुतायत से चलने लगेंगी और ट्रेन के परिचालन संबंधी रीयल टाइम सूचना इससे पहले ही आम हो जायेगी। सबसे बड़ा बदलाव यह कि रेलवे में कर्मचारियों की  फौज नहीं होगी, प्लेटफ ॉर्म और रेल में इक्का-दुक्का कर्मचारी ही नजर आएंगे, ज्यादातर काम ऑटोमेशन और रोबोट अथवा ड्रोन इत्यादि के जरिये होगा।  रेलवे ट्रैक की जांच, सुरंग और पुलों की हर समय पड़ताल के लिये बुद्धिमान और परिश्रमी रोबोट तैनात होंगे जिनकी जांच क्षमता और संचार समन्वय का जवाब नहीं होगा। स्मार्ट रोबोट न सिर्फ  पुलों के भारवहन करने वाले के बिलों और लिफ्ट के  केबलों की मजबूती परखते रहेंगे बल्कि पुरानी पड़ चुकी पानी के पाइपों को बदलने से लेकर तमाम ऐसे काम करेंगे जो अभी चतुर्थ श्रेणी के रेल कर्मचारियों को करने पड़ते हैं। देखरेख सुरक्षा, संरक्षण में खास ड्रोन की मदद तो ली ही जायेगी साथ ही चींटियों और मधुमक्खियों के व्यवहार से प्रेरणा लेकर नैनो या बहुत छोटे रोबोट्स का इस्तेमाल स्थानीय तौरपर पटरियों या बेपटरी वाले ट्रैक की सुरक्षा और रख-रखाव में किया जायेगा। स्ट्रक्चरल टेस्टिंग में भी ये सहायक होंगे। वैज्ञानिक इससे भी तेज ट्रेनों के परिचालन पर शोधरत हैं। एल्युमिनियम पॉड में बैठकर 1,300 किलोमीटर प्रति घंटे से ज्यादा की रफ्तार से सफ र कराने वाली हाइपरलूप ट्रेन का आविष्कार हो ही चुका है। 360 किलोमीटर प्रति घंटा वाली डबलडेकर ट्रेनें शीघ्र ही परिचालन  में आने वाली हैं। ऑटोमेटेड प्रणाली, टिकटहीन और चालकविहीन, मिनट दो मिनट के अंतराल से आने वाली अतिशय तीव्र ट्रेनों में देरी का कोई सवाल ही नहीं। यत्रियों को प्लेटफॉर्म पर पसीना नहीं बहाना पड़ेगा, वातानुकूलित प्लेटफार्म या पोड की उपलब्धता इंतजार को तकरीबन बिल्कुल खत्म कर देगी। प्लेटफार्म एक सुसज्जित कक्ष सरीखा होगा जो दरअसल एक रेल कोच होगा। एक ही गंतव्य को जाने वाले सभी यात्री इसमें बैठे रहेंगे और आने वाली ट्रेन बिना रुके इस कोच को स्वचालित तरीके से अपने साथ ले जाकर उनके गंतव्य स्टेशन छोड़ देगी। सही मायने में ट्रेन अपने अंतिम स्थान पर ही रुकेगी बाकी कहीं नहीं। बस डिब्बे जुड़ेंगे और अपने आप अलग हो जायेंगे। इलेक्ट्रॉनिक उपकरणों यथा स्मार्टफोन और वीयरेबल के जरिये यात्री को यात्रा के हर क्षण का हाल मिलता रहेगा। होलोकाल्स तब एक नयी तकनीक होगी यानी होलोग्राफि क इमेज डिस्प्ले जो ट्रेन की खिड़की पर नमूदार होगा। यह इस खासियत के अलावा ऐसा भी बना होगा जो बाहरी चकाचौंध से बचायेगा। 

-इमेज रिफ्लेक्शन सेंटर