अनबुझी पहेली है उड़न तश्तरियां

मानव बुद्धिमान और सामाजिक प्राणी है। इसकी आकांक्षा है कि वह दूसरे ग्रहों के जानवरों एवं जीवधारियों के बारे में ज्ञान प्राप्त करे। कभी-कभी धरती के किन्हीं क्षेत्रों में उड़न तश्तरियों का अवलोकन किया गया है। यह एक जिज्ञासा ही है। वे धरती पर कब आते हैं क्यों आते हैं। क्या भावी जीवन धरती का मानव और दूसरे ग्रह के मानव का एकीकरण हो सकेगा। यह कुछ प्रश्न है जिनका निकारण भी होना है। वैज्ञानिक इस विषय में खोजें कर रहे हैं कि दूसरे ग्रहों के मानवों का अध्ययन किया जा सके। दूसरे देशों में भी यह एक अनसुलझा रहस्य ही रहा है।
मानव सब जीव-धारियों से सबसे ज्यादा समझदार प्राणी समझा जाता है। मानव एक बुद्धिमान एवं सामाजिक प्राणी है परन्तु ब्रह्मांड में प्राणी तुच्छ भर है। सदियों से दूसरे ग्रह और बद्य के प्राणियों के बारे में जानने की इच्छा मानव कर रहा है। कई देशों में उड़न तश्तरियों को देखा भी गया है, जो देखते ही देखते गायब भी हो जाती हैं।अमरीका और रूस के वैज्ञानिकों का दावा है कि उन्होंने उनको देखा है परन्तु मानव जो कम्प्यूटर, रोबोट एवं संचार प्रणाली की तह तक जा पहुंचा है परन्तु उड़न तश्तरियों का रहस्य न जान सका। अमरीका जैसे किसी भी देश के वैज्ञानिकों ने यदि इनका दावा भी किया है तो ज्ञान-अधूरा ही रहा है इनकी खोज आज तक आगे न बढ़ सकी।नि:सन्देह दूसरे ग्रह के लोग उड़न तश्तरियों में धरती पर आए हैं। उनकी उड़न तश्तरियों में उनकी उड़न तश्तरियां धरती के रोबोटों से कहीं अधिक विकसित हैं। वे बड़े से ‘प्रेशर कूकर’ की तरह हैं। तिकोने सिर वाले ठिगने व्यक्तित्व वाले लोग लम्बा चोगा या पैंट-कमीज़ ‘एक सिलाई’ पहने हुए हैं। तश्तरी-रॉकेट का संचालन करते हैं। आंखें बड़ी, कान-नाक छोटे और सिर तिकोना होना उनकी प्रवृत्ति है।नीले रंग की वेशभूषा उनका आवरण है। उनकी बाजुओं पर पंछी का निशान उनका चिन्ह है। हाथों में बड़े-बड़े दस्ताने और लम्बे-लम्बे जूते पहने होते हैं। ‘स्वर्ग के मानव’ धरती के मानव के बारे में जानने में बहुत उत्सुक हैं। वे कई बार धरती के मानवों का अपहरण भी कर ले गए। मनुष्य का शारीरिक परीक्षण करके मानव को छोड़ देते हैं। धरती पर पहली बार उड़न तश्तरी 24 जून, 1947 को देखी गई। इन वर्षों में सैकड़ों बार समाचार-पत्रों में उड़न तश्तरियों के बारे में पढ़ा परन्तु उनके लोगों को पकड़ कर मानव उनका अध्ययन न कर सका। उड़न तश्तरियों सम्भवत: नाभकीय उर्जा से चलती हों शायद उनके उतरने के स्थान पर पेड़-पौधे झुलस जाते हैं। भूमि से रेडियो-आइसोटोप मिलते हैं। वहां की धरती के रासायनिक परिवर्तन हो आ जाते हैं लेकिन तश्तरियों का रहस्य अभी भी अनसुलझा ही रहा है।
वैज्ञानिक मानते हैं कि धरती पर तूफान, भूकम्प इन उड़न तश्तरियों के आगमन पर ही होते हैं। इनका धरती के वायुमंडल में प्रवेश करने का विशेष समय 24 जून तक विशेष दिन है। आज तक सभी घटनाएं 24 जून को ही दृष्टिगोचर हुई हैं। अमरीका में 24 जून को एक वैज्ञानिक आरनाल्ड ने 9 उड़न तश्तरियों को देखा। यह भी विकसित है कि 150 वैज्ञानिक जिन्होंने यह भी रहस्य उजागर करना चाहा हृदय गति के कारण या अन्य कारणों से मृत्यु को प्राप्त हो गए। उड़न तश्तरियों के बारे में बहुत से अंग्रेज़ी चल चित्र बन चुके हैं।वास्तव में उड़न तश्तरियों के रहस्य का कब पर्दा आवरण होता है। यह इस शताब्दी की सबसे बड़ी उपलब्धि होगी। यदि धरती का मानव और अंतरिक्ष का मानव एक हो जाए तो तीसरे मानव की खोज कर सकते हैं। धरती का प्रक्षेत्र विशाल हो सकता है। एक ग्रह के लोग दूसरे ग्रह पर जा सकेंगे।

(सुमन सागर)