सदाबहार रहे खिलाड़ियों के दिल  का मौसम

यदि ध्यान से विचार किया जाए तो खिलाड़ियों का जीवन एक संघर्ष, तपस्या तथा त्याग की एक लम्बी कहानी होती है। बड़ा सकून मिलता है खिलाड़ियों को जब उनका खेल करियर सफलतापूर्वक आगे बढ़ता है, विजय प्राप्त होती है, इनाम-सम्मान मिलते हैं, खेल प्रमियों द्वारा उत्साह मिलता है, सरकार व प्रशासन उनकी शख्सियत को महत्व देती है। बड़ा दुख मिलता है, जब खिलाड़ियों को खेल करियर के दौरान उनके साथ हुए अन्यान याद आते हैं, हार की याद आती है, वे पल याद आते है ं जब वे जीतते-जीतते हार जाते हैं। कड़ी मेहनत के बाद अच्छी उपलब्धियों के बावजूद जब उनको नौकरी नहीं मिलती। जो इच्छाएं दिल में लेकर खेल के मैदानों में कूदे थे, जब वे पूरी नहीं होतीं तो यह सब कुछ उनकी कड़वी यादों में शामिल हो जाता है।  परन्तु हकीकत यह है कि किसी भी खिलाड़ी के जीवन में कड़वी तथा मीठी यादें दोनों ही होती हैं, हमें लगता है कि जहां फूल होगा, वहीं कांटा भी होना है। मेजर ध्यान चंद, मिलखा सिंह, दारा सिंह, पी.टी.उषा, धनराज पिल्ले, प्रगट सिंह जैसे बहुचर्चित तथा अनुभवी खिलाड़ियों की जीवन कथाएं कड़वी और मीठी यादों में ही घिरी हैं। मनोवैज्ञानक तौर पर देखा जाए तो कई बार कड़वी, दुखद यादों का अहसास खिलाड़ी में जोश तथा जज़्बे को पैदा करता है, उसमें और आगे बढ़ने की प्रेरणा जगाता है, यदि वह खिलाड़ी साहसी है, आशावादी दृष्टिकोण रखता है तो वह कड़वी यादों को भविष्य में सुखद पलों में तबदील करने की कोशिश करेगा। यह सच है कि खिलाड़ियों के खेल करियर का समय कोई बहुत लम्बा नहीं होता, किसी बड़ी मंज़िल को पाने हेतु सदा ही उत्तेजित बने रहने की आवश्यकता रहती है। उत्तेजना निराश नहीं होने देती। कुल मिला कर हम यह कहना चाहते हैं कि खिलाड़ी अपने दिल के मौसम के सदा बहार रखें, पतझड़ की यादों को भविष्य में बहार आने की उम्मीद से भुलाते जाना चाहिए। कठिन परिस्थितियां, मुश्किल हालात हमारे रास्ते की रुकावट नहीं बननी चाहिएं। एक उदाहरण है कोरोना वायरस ने हमारे खेल जगत तथा खिलाड़ी वर्ग के हसीन सपनों को चकनाचूर करने की ज़िद्द पकड़ ली है, परन्तु इस महामारी में कई खिलाड़ी जो उत्साहित हैं, हौसले वाले हैं, साहस वाले हैं, इस प्राकृतिक आपदा में भी अपने दिल से मौसम को उदास नहीं होने देंगे। कोरना वायरस के प्रभाव की कड़वी यादों को इस समय के खिलाड़ी अपने खेल करियर में मऩफी नहीं कर सकेंगे। हमने पहले भी ज़िक्र किया है कि खिलाड़ी के खेल करियर का समय अधिक नहीं होता, कोरोना के कारण एक-दो वर्ष बेकार चले गए तो खिलाड़ियों के भविष्य का क्या बनेगा? हकीकत यह है कि खेल करियर के साथ बहुत से सपने और भी जुड़े होते हैं परन्तु पूरे विश्व में ऐसे भी खिलाड़ी अवश्य होंगे, जो इस महामारी के बावजूद अपने-आप को कभी मायूस नहीं होने देंगे। कभी इरादों के आगे हार नहीं मानेंगे। उनको पता है कि स्वयं को उत्साहित रखना ही उनका साहस है, हिम्मत है और कोरोना जैसी कड़वी याद उनके बस की बात नहीं। स्पोर्ट्समैनशिप सिर्फ खेल मैदानों में नहीं बल्कि खिलाड़ियों का जीवन भी इस जज़्बे से भरपूर होना चाहिए। 

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