बैंगन भी है घरेलू औषधि

बैंगन में लौह तत्व काफी रहते हैं। जो लोग इसे बेकार की सब्ज़ी, या बेगुन वाला मानते हैं, वे गलत हैं। 
* बैंगन का दांड पीसें। इसे मस्सों पर लगाएं। आराम मिलेगा। वह डंडी जिस के साथ बैंगन जुड़ा होता है, ही दांड है। 
* बैंगन को जलाएं व राख बनाएं। राख को शहद में मिलाएं। इसे मस्सों पर लगा कर बवासीर में आराम पा सकते हैं।
* बैंगन का दांड और छिलका सुखा लें। जलते कोयलों पर इस पिसे हुए दांड व छिलकों को डाले। धुआं उठेगा। इस धुएं को मस्सों पर पड़ने दें। बहुत आराम मिलेगा।
पेट में वायु बनना :  यदि वायु या गैस अधिक बनती हो, पेट फूला रहता हो तो लम्बे बैंगन की सब्ज़ी खाने से बड़ा आराम मिलता हैं। गैस बननी रूक जाती है।
हृदय को बल :  जिन का हृदय कमज़ोर रहता हो, उन्हें भी बैंगन अवश्य खाना चाहिए। यह हृदय को बल देता है। कमजोरी कम कर देता है।
बाला होने पर :  यदि बाला या नाक निकल रहा हो तो बैंगन को सेंके। इसे दही में पीसकर कर लगाएं। कुछ ही दिनों में आराम पाएंगे।
पसीने की शिकायत :  यदि हथेलियों तथा पांवों के तलवों पर पसीना रहता हो, या अक्सर आता है तो एक बैंगन का रस निकाल कर मलें। पसीना सामान्य हो जाएगा। बैंगन की लुगदी बना कर पांव तथा हाथों की हथेलियों पर लगाएं। ठीक हो जाएंगे।
चोट लगने पर :  यदि चोट लगे और उस का दर्द परेशान कर रहा है तो बैंगन को भूनें। उस का रस निकालें। आधा कप रस ले कर, एक छोटा टुकड़ा गुड़ मिलाएं व रोगी को पिलाएं, दिन में दो बार। धीरे-धीरे दर्द गायब हो जाएगा।
बढ़े यकृत में :  यदि यकृत बढ़ रहा हो या बढ़ चुका हो तो बैंगन का सेवन करना, काफ़ी जल्दी आराम देता है।
तिल्ली बढ़ने पर :  अगर तिल्ली बढ़ी रहती हो तो बैंगन का सेवन किसी न किसी प्रकार से अवश्य करें।
तासीर : बैंगन की तासीर गर्म होती है। इस को अधिक खाने से पेट खराब हो सकता है, दस्त लग सकते हैं अत: संभल कर प्रयोग करें।
रक्त की वृद्धि :  बैंगन में लौह तत्व काफी होते हैं व रक्त शुद्ध होता है। इसके सेवन से रक्त में वृद्धि होती है।
पाचन क्रि या के लिए :  बैंगन का सेवन पाचन क्रि या को तेज़ कर देता है। अत: बैंगन हमारे स्वास्थ्य के लिए अच्छा है। 

(स्वास्थ्य दर्पण)