मनोरोगियों के लिए लाभप्रद है संगीत चिकित्सा

आज का युग मानसिक तनाव का युग है। हर व्यक्ति अपनी-अपनी समस्याओं के बोझ तले दबता ही जा रहा है। इस मानसिक तनाव के कारण देश में आत्महत्या की प्रवृत्ति बड़ी तेजी से बढ़ रही है। देश में प्रति एक हज़ार लोगों में से दस लोग मानसिक तनाव के कारण अनेक गंभीर बीमारियों की चपेट में आते जा रहे हैं।
विश्व स्वास्थ्य संगठन की रिपोर्ट के अनुसार भारत में ऐसे विचित्र मानसिक रोगियों की संख्या भी बढ़ रही है जो विखण्डित व्यक्तित्व रखते हैं। ऐसे रोगियों के दिमाग व कार्यकलापों के बीच समन्वय खत्म हो जाता है। ऐसे रोगी गंभीर रूप से मतिभ्रम के भी शिकार हो जाते हैं। ऐसे रोगी को ‘सीजोफ्रेनिया’ का रोगी कहा जाता है।
सीजोफ्रेनिया के रोगियों की बाढ़ रोकने के लिए संगीत की विशेष भूमिका हो सकती है। वैज्ञानिकों के अनुसार संगीत केवल ध्वनि तरंगें ही नहीं है, बल्कि एक महत्वपूर्ण उपचार का जरिया भी है। विदेशों में अनेक स्थानों पर इन दिनों संगीत के चिकित्सकीय पक्ष पर अनुसंधान चल रहे हैं, भारत के वैज्ञानिक भी ’संगीत का मन से गहरा संबंध बताते हैं। 
संगीत से मन को बदलने की क्षमता आज वैज्ञानिकों के लिए दिलचस्पी की चीज बनी हुई है। यह तो बहुत ही लोग मानने लगे हैं कि संगीत शारीरिक एवं मानसिक दोनों तरह का स्वास्थ्य प्रदान करता है।
यह सर्वविदित है कि हमारा शरीर नर्वस सिस्टम और ब्रेन के न्यूरॉन्स के आधार पर कार्य करता है। यह सच है कि जब हम संगीत सुनते हैं तो हमारे दिमाग को शांति मिलती है। तेज संगीत ब्रेन के नर्व्स को अशान्त बनाता है। 
संगीत चिकित्सक सबसे ज्यादा रोगियों के भावनात्मक पक्षों पर बल देते हैं। उनका मानना है कि संगीत में अनेक ऐसे राग हैं जो मन को एकाग्रता की ओर ले जाने में मदद करते हैं। जिन रोगियों में भावनात्मक लगाव अधिक रहता है, उनका जीवन कभी-कभी बड़ा पेचीदा हो जाता है। ऐसे रोगियों के लिए मनोचिकित्सक संगीत का ही सहारा लेते हैं क्योंकि उन्हें पता है कि अगर रोगी अपने मनोवेगों पर नियंत्रण कर ले तो वह आसानी से स्वस्थ हो सकता है।
संगीत चिकित्सकों का मानना है कि मानसिक चंचलता और क्र ोध की स्थिति में मल्हार एवं जैजेवन्ती, रक्तचाप की स्थिति में राग आसावरी का प्रयोग करना चाहिए। पागलपन की स्थिति में राग खम्बुज, अनिद्रा की स्थिति में राग नीलाम्बरी का प्रयोग लाभदायक होता है।
संगीत का मन पर गहरा प्रभाव पड़ता है। मनुष्य सुख में हो या दु:ख में, आशा में हो या निराशा में, संगीत द्वारा अपने मनोभावों के वेग को कम कर सकता है। 
(स्वास्थ्य दर्पण)