फसल-उत्पादकता बढ़ाने में उत्कृष्ट बीजों की अहमियत

गत शताब्दी के छठे दशक के बाद सब्ज़ इन्कलाब के शुरू होने के उपरान्त भारत ने कृषि क्षेत्र में प्रभावशाली उन्नति की है। इसमें वैज्ञानिकों, किसानों, श्रमिकों और भारत की भूमि, धूप और मौसम, पानी आदि सभी का ही योगदान है। कृषि को लाभदायक बनाने हेतु उत्पादकता एवं फसलों की कीमतों में वृद्धि होनी चाहिए। प्रगतिशील किसान फसलों की नई किस्मों का चयन करने  के लिए तो काफी ध्यान देने लग पड़े हैं, परन्तु उनको अभी भी शुद्धता ओर गुणवत्ता वाले बीजों की बहुत कमी रहती है। किसानों को सर्टीफाइड एवं फाऊंडेशन बीज ही प्रयोग करने चाहिए। 
सर्टीफाइड एवं फाऊंडेशन श्रेणी के बीज प्रगतिशील उत्पादक और किसान संस्थाओं द्वारा राज्य की बीज प्रमाणित संस्था के विशेषज्ञों की देख-रेख में तैयार किये जाते हैं। सर्टीफाइड बीज फाऊंडेशन श्रेणी के बीजों से तैयार किये जाते हैं जो राज्य सरकार तथा संस्थाओं के फार्मों में आम तौर पर तैयार किये जाते हैं। चाहे अब कुछ उत्पादक भी इस श्रेणी के बीजों को पैदा करके राज्य की बीज प्रमाणित संस्था से तस्दीक करवाने उपरान्त किसानों को उपलब्ध करने लग पड़े हैं। फाऊंडेशन श्रेणी के बीज तो छोटे और सीमित किसानों को बिलकुल ही उपलब्ध नहीं होते क्योंकि अन्न सरक्षा मिशन के तहत सरकार सबसिडी पर सर्टीफाइड श्रेणी के बीज ही उपलब्ध करती है। 
फाऊंडेशन श्रेणी के बीज ब्रीडर श्रेणी के बीजों से तैयार किये जाते हैं। इस किस्म के बीज प्रजनन संबंधी शुद्ध होते हैं, जो बीज निगमों, सरकारी फार्मों, प्रमाणित संस्थाओं तथा चुनिंदा अनुभवी उत्पादकों द्वारा विशेषज्ञों की देख-रेख में पैदा किये जाते हैं। ब्रीडर सीड, न्यूक्लीयस श्रेणी के बीजों से  ब्रीडर वैज्ञानिक की  पूरी देख-रेख में पैदा किया जाता है। ब्रीडर को इस किस्म के बीज संबंधी उगने से लेकर फसल की कटाई तक सभी हालतों का पूर्ण ज्ञान होता है। जिस ब्रीडर ने यह किस्म बनाई हो, वही या उसकी गैर-उपस्थिति में उसकी संस्था द्वारा ही ब्रीडर श्रेणी का बीज तैयार किया जाता है। चाहे अब ब्रीडर श्रेणी  का बीज कुछ अन्य अधिकारित संस्थाएं भी तैयार करने लग पड़ी हैं। वैज्ञानिकों द्वारा किये गए ताज़ा फैसले के अनुसार ब्रीडर सीड वही संस्था या संस्थान पैदा कर सकता है जिस संस्था या संस्थान से वह वैज्ञानिक जुड़ा हुआ हो। इस श्रेणी के ब्रीडर को संतोष करना पड़ता है कि ‘आफ-टाईप’ का कोई पौधा इस खेत में न हो और बाहर से अन्य किस्म से इस खेत या प्लाट के बीज की क्रासिंग न हो। ब्रीडर श्रेणी का बीज न्यूक्लीयस बीजों से तैयार किया जाता है। न्यूक्लीयस श्रेणी में वह बीज आते हैं जो ब्रीडर उस किस्म के चयन किये हुए पौधों से हासिल करता है। ये वंश संबंधी सौ फीसदी शुद्ध होते हैं। इनको ब्रीडर स्वयं ही अपनी देख-रेख में ब्रीडर सीड पैदा करने के लिए प्रयोग करता है। ब्रीडर सीड पर पहचान के लिए पीले टैग लगाए जाते हैं। किसानों की पहचान के लिए सर्टीफाइड बीजों की पैकिंग पर नीले रंग के और फाऊंडेशन श्रेणी के बीजों की पैकिंग पर बीज प्रमाणित संस्था द्वारा सफेद रंग के टैग लगाए जाते हैं। जो उत्पादकों और किसानों के लिए फाऊंडेशन और सर्टीफाइड किस्मों के बीज तैयार किये जाते हैं, उनकी सर्टीफिकेशन संबंधी कार्रवाही करने के लिए पंजाब राज्य बीज प्रमाणित संस्था बनी हुई है। इस संस्था में यह पूरा कार्य करने के लिए टैक्नीकल विशेषज्ञ चाहिएं, परन्तु संस्था में उनकी कमी के कारण संस्था की अधिक निर्भरता प्रयोगशालाओं और बिलों पर ही है। खेतों में जाकर निगरानी करना और उत्पादकों को संरक्षण उपलब्ध करना बस नाममात्र ही है। 
उपरोक्त चार श्रेणियों के बीजों के अतिरिक्त एक पांचवीं श्रेणी टीएल (ट्रुथ-फुल्ली) श्रेणी के बीज हैं जिन्हें उत्पादक सरकारी फार्म और प्रमाणन संस्थाएं अपनी जिम्मेदारी और संतुष्टि पर ही उसकी जमने की शक्ति और वंश की शुद्धता आदि के टैग लगा कर किसानों को उपलब्ध करते हैं। इस किस्म के बीजों की पूरी जिम्मेदारी बीज पैदा करने और सप्लाई करने वाले पर होती है। पंजाब राज्य बीज प्रमाणन संस्था बीजों और किस्मों की गुणवत्ता के बारे पूरी जमने की शक्ति और शुद्धता विशेषताओं वाले बीज संतुष्टि करके ही किसानों को उपलब्ध करने के लिए ही बनाई गई है। यह प्रणाली अच्छे किस्मों के बीजों की गुणवत्ता, उत्पादन, प्रोसैसिंग और पैकिंग की संतुष्टि और मांग के अनुसार किसानों को बीज उपलब्ध करने के लिए जिम्मेदार है। यह संस्था केन्द्र की बीज की किस्मों और उनके स्तर को स्वीकार करने संबंधी बनी हुई कमेटी द्वारा नोटिफाई की गईं फसलों की किस्मों के बीजों का ही सर्टीफिकेशन करती है।