नाज़ुक दौर में इज़रायल-हमास युद्ध


लगभग सात मास पहले शुरू हुए इज़रायल-हमास युद्ध में छोटी-सी गाज़ा पट्टी, जिसमें लगभग 23 लाख लोग रहते हैं, का व्यापक स्तर पर विनाश हो चुका है। 7 अक्तूबर को गाज़ा पट्टी पर प्रशासन चला रहे इस्लामिक संगठन हमास के लड़ाकों ने इज़रायल में घुस कर जहां लगभग 1200 लोगों को मार दिया था, वहीं 250 से अधिक लोगों को बंधक बना कर वे गाज़ा पट्टी ले गये थे। इस हमले का बदला लेने के लिए इज़रायल ने हमास का पूरी तरह से विनाश करने की घोषणा कर दी थी। उसने गाज़ा पट्टी के उत्तरी एवं केन्द्रीय भाग पर बमबारी करके उसका पूरी तरह विनाश कर दिया था तथा उसके सैनिकों ने इन क्षेत्रों पर कब्ज़ा भी कर लिया था। अब तक इस युद्ध में 34 हज़ार से अधिक लोग मारे जा चुके हैं। इस विनाश के बाद यहां रहते 14 लाख से अधिक फिलिस्तीनी बच-बचा कर दक्षिणी भाग में आ गये थे तथा ऱाफा शहर के निकट उन्होंने शरण ली हुई थी। यह भाग मिस्र की सीमा के साथ लगता है। अब इज़रायल इसके शेष भाग पर भी सैनिक हमला करने की धमकियां दे रहा है। उसने एक तरह से इस दक्षिणी भाग पर बमों से एक हमला करके इस संबंध में अपना इरादा भी स्पष्ट कर दिया है। इस हमले में 22 लोग मारे गये हैं, जिनमें महिलाएं एवं बच्चे भी शामिल हैं। अब अमरीका सहित बहुत-से पश्चिमी देशों ने इज़रायल को राफा पर और हमले न करने की चेतावनी दी है, क्योंकि ऐसा करने से ये हमले लोगों के नरसंहार में बदल जाएंगे।
दूसरी तरफ मिस्र एवं कतर लगातार यह यत्न करते आ रहे हैं कि किसी न किसी भांति वे दोनों देशों के मध्य कोई समझौता करवा सकें। इन यत्न करने वालों में सऊदी अरब भी शामिल है। अमरीका के विदेश सचिव एंटनी ब्लिंकन भी कोई मार्ग ढूंढने के लिए इस क्षेत्र के सात दौरे कर चुके हैं। उनका उद्देश्य यहां इज़रायली बंधकों को छुड़वाने का है, वहीं गाज़ा में युद्ध को खत्म करना भी है। दूसरी तरफ विश्व भर में हो रहे इस मानवीय संहार के विरुद्ध कड़ी प्रतिक्रिया हो रही है। अमरीका में भी प्रतिदिन इस युद्ध के विरुद्ध प्रदर्शन हो रहे हैं, जिनमें भारी संख्या में विश्वविद्यालयों के विद्यार्थी भी शामिल होते हैं।
जहां इज़रायल हमास गुरिल्लों का पूरी तरह विनाश करने के लिए हमले कर रहा है, वहीं वह हर हाल में अपने बंधकों को छुड़वाने के यत्नों में भी तेज़ी ला रहा है। इज़रायल का यह यत्न रहा है कि वह डरा कर फिलिस्तीनियों को अपने दबाव में रखे परन्तु हमास एवं बहुत-से अरब देश फिलिस्तीनियों के लिए इस क्षेत्र में अलग स्वतंत्र देश चाहते हैं। उधर दूसरी तरफ इज़रायल का कट्टर दुश्मन ईरान अरब धरती पर यहूदियों के इस देश का नामो-निशान मिटा देना चाहता है। अब यह सुनिश्चित प्रतीत होने लगा है कि यदि इस युद्ध को बंद न करवाया जा सका तो जहां हो रहा मानवीय क्षरण और बढ़ेगा, वहीं इस क्षेत्र में कोई बड़ा युद्ध भी छिड़ सकता है, जो भारी विनाश का सन्देश लेकर आएगा। पहले ही रूस एवं यूक्रेन युद्ध ने विश्व भर पर प्रभाव डाला है। इसके साथ ही हिन्द-प्रशांत सागर में भी चीन की ओर से अपनाये गये हमलावर रुख के कारण एक बड़ा युद्ध छिड़ने का ़खतरा बना दिखाई दे रहा है।
आज संयुक्त राष्ट्र तथा विश्व भर के देशों के समक्ष यह गम्भीर चुनौती आ खड़ी हुई है कि इज़रायल-हमास युद्ध को भी रोका जाए, तथा फिलिस्तीनियों के लिए एक अलग स्वतंत्र देश भी बने, जिससे कि दशकों से इस क्षेत्र में चले आ रहे टकराव को कम किया जा सके। आज सबसे पहली ज़रूरत इज़रायल के हमलों को बंद करवा कर यहां हो रहे मानवीय संहार को रोकने की है।
—बरजिन्दर सिंह हमदर्द