कहीं नियमित क्रिकेट को न निगल लेआईपीएल की दौलतिया चका-चौंध

इधर चेन्नई (भारत) में आईपीएल (इंडियन प्रीमियर लीग) की नीलामी चल रही थी और उधर क्राइस्टचर्च (न्यूज़ीलैंड) में आधी रात थी। तेज गेंदबाज काइली जेमीसन तब तक सो चुके थे, लेकिन वह बीच में ही उठे, उन्होंने अपना फोन चेक करने का निर्णय लिया। वह तनावपूर्ण स्थिति से बचने कीबजाय उसका आनंद लेना चाहते थे। लगभग डेढ़ घंटे की प्रतीक्षा के बाद नीलामी के लिए उनका नाम पुकारा गया, जिसमें रॉयल चैलेंजर्स बंग्लुरु (आरसीबी),दिल्ली कैपिटल्स व पंजाब किंग्स ने विशेष दिलचस्पी दिखाई, जिससे बोली निरंतर बढ़ती रही और आखिरकार आरसीबी ने उन्हें 15 करोड़ रुपये में‘खरीद’ लिया था। अब जेमीसन को यह नहीं मालूम था कि यह रकम न्यूज़ीलैंड की करंसी में कितनी होती है? उन्होंने जानने के लिए शेन बांड (न्यूज़ीलैंड के पूर्व तेज़ गेंदबाज व वर्तमान में मुंबई इंडियंस के गेंदबाजी कोच) को फोन किया तो दो मिलियन डॉलर का जवाब सुनकर वह उछल पड़े। वह न्यूज़ीलैंड के उच्चतम वेतन और आईपीएल के 14-वर्षीय इतिहास में चौथी उच्चतम वेतन पाने वाले खिलाड़ी बन चुके थे।गौरतलब है कि इस बार की आईपीएल नीलामी में नार्थर्न ट्रांसवाल (दक्षिण अफ्रीका) के हरफनमौला खिलाड़ी क्रिस्टोफर हेनरी मोरिस ने अधिकतम फीस पाने के मामले में पिछले सब रिकॉर्ड तोड़ दिए हैं। मोरिस को राजस्थान रॉयल्स ने 16.25 करोड़ रुपये में खरीदा। मोरिस आरसीबी के पास दस करोड़ रुपये में थे। बांग्लादेश क्रिकेट बोर्ड (बीसीबी) ने अपने स्टार खिलाड़ी शाकिब उल हसन को अनुमति दे दी है कि वह श्रीलंका के विरुद्ध एक टैस्ट और एकदिवसीय शृंखला छोड़ सकते हैं ताकि आईपीएल में खेल सकें।  इस बार की आईपीएल नीलामी में सबसे बड़ा आश्चर्य यह रहा कि एक भी टीम ने श्रीलंका के किसी भी खिलाड़ी पर बोली नहीं लगाई। पिछले साल तक लसिथ मलिंगा व इसरू उडाना आईपीएल का हिस्सा थे। इस स्थिति के लिए श्रीलंका के पूर्व कप्तान व वर्तमान में राजस्थान रॉयल्स के क्रिकेट निदेशक कुमार संगकारा अपने देश के क्रिकेट बोर्ड को दोषी मानते हैं। दरअसल, समस्या यह
नहीं है कि श्रीलंका में प्रतिभाशाली खिलाड़ी नहीं है, बल्कि यह है कि आईपीएल फ्रेंचाइजियों को यह नहीं मालूम कि श्रीलंका के खिलाड़ी कितने समय तक प्रतियोगिता में उपलब्ध रह पायेंगे। इस अनिश्चितता के कारण फ्रेंचाइजियां श्रीलंका के खिलाड़ियों पर दांव लगाने से बच रही हैं क्योंकि अगर खिलाड़ी बीच प्रतियोगिता में अपने देश की सेवा के लिए चला जाता है तो इससे उनकी टीम का संतुलन व योजना बिगड़ जाती है। इसलिए संगकारा चाहते हैं कि श्रीलंका बोर्ड आईपीएल और अंतर्राष्ट्रीय कैलेंडर के बीच संतुलन बनाए ताकि खिलाड़ियों को आईपीएल में खेलकर अच्छा पैसा कमाने का अवसर गंवाना न पड़े। यह काम, संगकारा के अनुसार, सभी देशों के बोर्ड्स को करना चाहिए।
आप गौर करें तो यह बात स्पष्ट हो जाएगी कि संगकारा वास्तव में यह मांग कर रहे हैं कि जिस समय आईपीएल चल रहा हो तो कोई बोर्ड अंतर्राष्ट्रीय सीरीज निर्धारित न करे। दूसरे शब्दों में वह आईपीएल के लिए एक स्वतंत्र विंडो की मांग कर रहे हैं यानी साल के दो माह केवल आईपीएल के लिए निर्धारित कर दिए जाएं। अगर इस मांग को स्वीकार कर लिया जाता है तो फिर ऑस्ट्रेलिया, वैस्टइंडीज, दक्षिण अफ्रीका, बांग्लादेश व पाकिस्तान की टी-20 लीगों के लिए भी ऐसी ही विंडो खोलनी पड़ेंगी। जाहिर है कि ऐसा करने से दो देशों के बीच जो टैस्ट, एकदिवसीय व टी-20 शृंखलाएं खेली जाती हैं,उन पर बहुत गहरा कुप्रभाव पड़ेगा। यह एक तरह से परम्परागत क्रिकेट प्रतियोगिताओं (जो दो या अधिक देशों के बीच खेली जाती हैं) को खत्म करने जैसा होगा। इसका एक दूसरा पहलू यह भी है कि अगर लीगों के लिए विंडो नहीं खोली गईं तो खिलाड़ी इन लीगों में खेलने के लिए अपने देश का प्रतिनिधित्व करने से बचेंगे जैसा कि शाकिब उल हसन ने किया है या वह अंतर्राष्ट्रीय क्रिकेट से समय पूर्व ही अवकाश ग्रहण करने लगेंगे जैसा कि एबी डिबिलयर्स व लसिथ मलिंगा ने किया था क्योंकि अगर एक प्रोफैशनल खिलाड़ी के सामने जेमीसन की तरह देश के लिए एक साल की रिटेनरशिप एक लाख डॉलर और आईपीएल के लिए दो माह की फीस 2 मिलियन डॉलर के विकल्प होंगे तो आप स्वयं समझ सकते हैं कि वह किसका चयन करेगा। जब खेल का जीवन छोटा और पैसा कमाने के स्रोत सीमित होते हैं तो देशभक्ति जबानी जमा-खर्च की बात रह जाती है। अब कल्पना कीजिये कि भारत बनाम ऑस्ट्रेलिया का
मुकाबला हो रहा है और उसमें विराट कोहली, रोहित शर्मा, डेविड वार्नर, पैट कम्मिंस आदि स्टार खिलाड़ी नहीं हैं क्योंकि वह आईपीएल में व्यस्त हैं, तो उस मैच को देखने में किसकी दिलचस्पी होगी? इसलिए आईसीसी को चाहिए कि लीगों व अंतर्राष्ट्रीय क्रिकेट में संतुलन स्थापित करे ताकि परम्परागत क्रिकेट सुरक्षित रहे।

-इमेज रिफ्लेक्शन सेंटर