चुनाव प्रक्रिया का दूसरा चरण सम्पूर्ण

पांच राज्यों में चलने वाली चुनाव प्रक्रिया के तहत सोमवार को दूसरे चरण का चुनाव भी सम्पन्न हो गया है। इनमें दो बातें उभर कर सामने आई हैं। पहली यह कि कुछ एक घटनाओं को छोड़ कर मुख्य रूप से इनमें शांति बनी रही। दूसरी  यह कि निरन्तर चुनाव होते रहने के कारण इलैक्ट्रानिक मशीनों पर व्यक्त किये जाते संशय भी बड़ी सीमा तक कम हो गये हैं। कुछेक स्थानों पर मशीनों के खराब होने अथवा उनके स्थान पर दूसरी मशीनें रखने के बाद यह आपत्ति भी लगभग खत्म ही हो गई है। तीसरी बड़ी बात यह रही कि जिन राज्यों में दूसरे चरण के चुनाव हुये हैं, उन सभी में ही भाजपा की सरकारें हैं। उत्तर प्रदेश में 55 अन्य सीटों पर चुनाव होने के साथ-साथ उत्तराखंड एवं गोवा में एक ही चरण में चुनाव पूरे कर लिये गये हैं। ये दोनों राज्य छोटे हैं। दोनों में ही भाजपा सत्तारूढ़ है। भूगौलिक रूप में भी दोनों एक-दूसरे से भिन्न हैं। 
उत्तराखंड पर्वतीय क्षेत्र है तथा गोवा समुद्र के साथ जुड़ा हुआ है। इन दोनों राज्यों में कांग्रेस एवं भाजपा का ही मुकाबला चलता रहा है। इस बार आम आदमी पार्टी ने भी इन दोनों प्रांतों में अपना अस्तित्व जताने के लिए संघर्ष किया है। गोवा में तो तृणमूल कांग्रेस ने भी अपने उम्मीदवार खड़े किये हैं। उत्तराखंड में सन्तोषजनक कारगुज़ारी न दिखाने के कारण भाजपा ने एक वर्ष में दो मुख्यमंत्री बदल दिये। त्रिवेन्द्र सिंह रावत एवं तीर्थ सिंह रावत को मुख्यमंत्री बने रहने के लिए थोड़ा-थोड़ा ही समय मिला। तीसरे मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी के चेहरे को समक्ष रख कर ही ये चुनाव लड़े गये हैं। चाहे कांग्रेस उत्तराखंड में पूरे उत्साह के साथ भाजपा के मुकाबले में उतरी है परन्तु यहां पूर्व मुख्यमंत्री हरीश रावत एवं कांग्रेस के नेता प्रीतम सिंह में निरन्तर कशमकश चलते रहने के बाद किसी को भी मुख्यमंत्री का चेहरा घोषित नहीं किया गया। गोवा छोटा-सा प्रांत है। इसकी केवल 40 सीटें हैं। विगत चुनावों में कांग्रेस को चाहे यहां से अधिक सीटें मिली थीं परन्तु भाजपा ने गोवा फार्वर्ड पार्टी एवं महाराष्ट्रवादी गोमांतक पार्टी के साथ मिल कर कांग्रेस को पछाड़ दिया था। इन दोनों राज्यों की अपनी-अपनी समस्याएं हैं परन्तु प्रशासन में रह गई त्रुटियों के खटकने के कारण भाजपा को इन दोनों राज्यों में रक्षात्मक नीति पर चलने के लिए विवश होना पड़ा है। 
इन छोटे राज्यों के परिणामों से उपलब्ध होने वाले राजनीतिक रुझान के संबंध में कुछ तो पता चल ही सकेगा क्योंकि वर्ष 2024 में होने वाले लोकसभा चुनावों से पूर्व इसी वर्ष गुजरात में भी चुनाव होने जा रहे हैं तथा आगामी वर्ष छत्तीसगढ़, मध्य प्रदेश, राजस्थान एवं कर्नाटक में भी चुनाव होंगे। चाहे छत्तीसगढ़ तथा राजस्थान में कांग्रेस की सरकार है परन्तु कर्नाटक एवं मध्य प्रदेश में भाजपा को अपनी साख बचाये रखने के लिए अत्यधिक सचेत होना पड़ेगा क्योंकि केन्द्र में भाजपा की मोदी सरकार के प्रभाव का भी इन आगामी चुनावों से ही अनुमान लगाया जाएगा। इसी सप्ताह पंजाब में भी एक चरण में चुनाव होने जा रहे हैं परन्तु अभी पांच राज्यों के चुनाव परिणामों के लिए लोगों को 10 मार्च तक की प्रतीक्षा करनी पड़ेगी।
—बरजिन्दर सिंह हमदर्द