कब तक चलेगी द्रमुक की हिंदू विरोध की विचारधारा ?

अक्सर विवादों में रहने वाले   द्रमुक  नेता ए. राजा ने एक बार फिर से ऐसा बयान दे दिया है जिसको लेकर उनकी चौतरफा आलोचना हो रही है। उन्होंने इस बार हिंदुओं को लेकर ऐसा बयान दिया है, जिसको लेकर बवाल खड़ा हो गया है। उनके बयान का वीडियो वायरल भी हो रहा है। भाजपा ने इसे लेकर उनकी कड़ी आलोचना करते हुए वीडियो शेयर किया है। बता दें कि यह पहली बार नहीं है जब ए. राजा विवादों में हों। उन्होंने पहले भी कई बार विवादित बयान दिए हैं। साथ ही 2जी स्कैम को लेकर भी वह सवालों के घेरे में थे।  
भाजपा के प्रदेश अध्यक्ष अन्नामलाई ने ट्विटर पर एक वीडियो पोस्ट किया है। इस वीडियो में  द्रमुक  के उप महासचिव ए. राजा ने मनुस्मृति का जिक्र करते हुए हिंदुओं को लेकर कई विवादित बातें कहीं। उन्होंने कहा कि समाज के एक तबके को समानता, शिक्षा, रोजगार और मंदिरों में प्रवेश से वंचित रखा गया। उन्होंने सुप्रीम कोर्ट पर सवाल उठाते हुए कहा कि सुप्रीम कोर्ट ने फैसला सुनाया था कि अगर कोई ईसाई, मुस्लिम या फारसी नहीं है, तो वह हिंदू है। क्या कोई और देश है जो इस तरह की क्रूरता का सामना कर रहा है। उन्होंने कहा कि  द्रमुक  और उसके मुखपत्र में यह मुद्दा उठाने का समय आ गया है।  
बताया जाता है कि  द्रमुक  सांसद ए. राजा खुद को ईवी रामास्वामी यानी पेरियार के दर्शन से प्रेरित बताते हैं।  तमिलनाडु में पेरियार को एक बड़ा ‘दलित चिंतक’ माना जाता है।  जबकि, पेरियार खुले तौर पर हिंदू विरोधी और ब्राह्मणों के खिलाफ  घृणा फैलाने वाले कथित दलित चिंतक थे।  पेरियार मानते थे कि इस देश के सभी ब्राह्मणों का उसी तरह से नाश कर दिया जाए, जिस तरह से नाजी सिपाहियों ने यहूदियों का किया था।  ईवी रामास्वामी उर्फ  पेरियार जातीय नरसंहार की वकालत करने वाले कथित दलित चिंतक थे।  इतना ही नहीं, पेरियार हिंदू देवी-देवताओं का अपमान करने में भी काफी आगे थे। बताना जरूरी है कि इन्हीं पेरियार ने ही ‘अलग तमिलनाडु देश’ की मांग सबसे पहले उठाई थी।  वैसे, द्रमुक  नेता ए. राजा इन्हीं पेरियार की विचारधारा के भक्त हैं। द्रमुक  उसी ‘टुकड़े-टुकड़े’ वाली विचारधारा की पार्टी है, जो देश में कश्मीर जैसे हालात बनाना चाहती है।  जिस तरह से कश्मीर में हिंदुओं के नरसंहार के जरिये जनसांख्यिकीय बदलाव किया गया। उसी तरह पेरियार के विचारों वाली द्रमुक  तमिलनाडु में भी ऐसी ही स्थिति पैदा करना चाहती है। 
दरअसल तमिलनाडु में अल्पसंख्यक समुदाय में आने वाले ईसाई धर्म के लोगों को द्रमुक का काडर वोट बैंक माना जाता है। तमिलनाडु में ईसाइयों को लेकर कहा जाता है कि चाहे कयामत ही क्यों न आ जाए लेकिन, ईसाइयों का वोट   द्रमुक  को ही जाएगा।  क्योंकि, एमके स्टालिन के नेतृत्व वाला सियासी दल  द्रमुक इन ईसाई मिशनरियों का सबसे बड़ा पोषक है। ये ईसाई मिशनरियां तमिलनाडु में खुलकर धर्मांतरण का खेल करने के लिए स्वतंत्र भी हैं क्योंकि, इन्हें पर्दे के पीछे से ही सही द्रमुक का साथ मिलता रहता है। उदाहरण के तौर पर इसी साल तमिलनाडु के तंजावुर में एक नाबालिग हिंदू छात्रा ने धर्मांतरण के लिए दबाव बनाए जाने पर आत्महत्या कर ली थी।  इस मामले में लंबे समय तक कोई कार्रवाई नहीं हुई।  जब हिंदूवादी संगठनों ने मामले को उठाया  तो, मामले को दबाने की कोशिश की गई।  जिस वीडियो में छात्रा ईसाई धर्म अपनाने के लिए दबाव बनाने और यातनाएं देने की बात कर रही थी, उस वीडियो को बनाने वाले को ही तमिलनाडु की पुलिस ने प्रताड़ित करना शुरू कर दिया था। बाद में मद्रास हाईकोर्ट ने पुलिस को वीडियो बनाने वाले शख्स के पीछे पड़ने की जगह छात्रा के आत्महत्या करने के कारणों की जांच करने को बोला था। मद्रास हाईकोर्ट ने इस मामले में तमिलनाडु पुलिस की कमजोर जांच प्रक्रिया को देखते हुए सीबीआई जांच के आदेश दिए थे। इस फैसले के खिलाफ  तमिलनाडु पुलिस सुप्रीम कोर्ट पहुंच गई थी।  हालांकि, सुप्रीम कोर्ट ने तमिलनाडु की एम.के. स्टालिन के नेतृत्व वाली  द्रमुक  सरकार को फटकार लगाते हुए कहा था कि हाईकोर्ट के फैसले को प्रतिष्ठा का विषय नहीं बनाना चाहिए। और, सीबीआई को जबरन धर्मांतरण के मुद्दे की जांच करनी चाहिए। आसान शब्दों में कहें, तो   द्रमुक  ने ईसाई मिशनरी द्वारा संचालित स्कूल को बचाने की भरसक कोशिश की थी। 
 द्रमुक  सांसद ए. राजा का ये बयान तमिलनाडु में धर्मांतरण का सिंडीकेट चलाने वाली ईसाई मिशनरियों को एक खुले न्योते की तरह है।  ए. राजा ने जो कुछ भी कहा है, वो हिंदू धर्म के किसी भी धर्मग्रंथ में नहीं लिखा है।  वहीं, भारत के संविधान में भी दलितों और पिछड़ी जातियों के अधिकारों को बचाने के लिए आरक्षण से लेकर एससी/एसटी एक्ट जैसी कई कानून हैं।  इसके बावजूद ए. राजा सीधे तौर पर अन्य जातियों के खिलाफ  दलितों में घृणा भर रहे हैं। वैसे, ईसाई मिशनरियों की बात करें, तो इनके धर्मांतरण का जाल पूरे देश में फैला हुआ है।  हाल ही में कांग्रेस सांसद राहुल गांधी ने भी तमिलनाडु में एक विवादित ईसाई पादरी जॉर्ज पोन्नैया से मुलाकात की थी जिसने ईसा मसीह को ही एकमात्र ईश्वर बताते हुए हिंदू देवी-देवताओं को नकार दिया था। आसान शब्दों में कहें, तो ‘अलग तमिलनाडु देश’ और हिंदू धर्म की विरोधी विचारधारा ही द्रमुक की विचारधारा है।  तो, हिंदू धर्म के खिलाफ  हीन भावना से भरे ए. राजा के ये बयान सुनकर चौंकने की जरूरत नहीं है। भाजपा के राज्य प्रमुख के अन्नामलाई ने उनके बयानों को लेकर तन्ज़ कसा है।