विकास के लिए जरूरी है रिथिंकिंग टूरिज्म 27 सितम्बर विश्व पर्यटन दिवस पर विशेष
हालांकि भारत में राष्ट्रीय पर्यटन दिवस 25 जनवरी को ‘आज़ादी का अमृत महोत्सव’ के तहत मनाया गया, जिसकी थीम थी ‘ग्रामीण व सामुदायिक केंद्रित पर्यटन’, लेकिन पर्यटन के सामाजिक, सांस्कृतिक, राजनीतिक व आर्थिक मूल्य और इस सैक्टर के सस्टेनेबल डिवैल्पमैंट गोल्स हासिल करने में योगदान के महत्व के प्रति जागृति उत्पन्न करने के लिए विश्व पर्यटन दिवस हर साल 27 सितम्बर को दुनियाभर में मनाया जाता है। विश्व पर्यटन दिवस का रंग ब्लू है, जोकि नाइजीरिया के नागरिक इग्नेश्स अमादुवा अतिगबी के सम्मान में 2009 में तय किया गया था। अतिगबी ने ही 27 सितम्बर को विश्व पर्यटन दिवस मनाने का प्रस्ताव रखा था। 2022 के लिए थीम ‘रीथिंकिंग टूरिज्म’ है क्योंकि कोविड महामारी ने पर्यटन उद्योग में परिवर्तन लाने के लिए संसार को मजबूर कर दिया है। इस बार विश्व पर्यटन दिवस का आधिकारिक जश्न बाली, इंडोनेशिया में मनाया जायेगा, जहां इस बात पर बल दिया जायेगा कि विकास के लिए पर्यटन अति आवश्यक है। विश्व पर्यटन दिवस 1980 से मनाया जा रहा है।
इसमें कोई दो राय नहीं है कि रोज़गार उत्पन्न करने व आर्थिक विकास के संदर्भ में पर्यटन की भूमिका विशेष है। कोविड महामारी के कारण अन्य देशों की तरह श्रीलंका में भी पर्यटन का सिलसिला बंद रहा और चूंकि इस द्वीप-राष्ट्र की अर्थव्यवस्था अधिकतर पर्यटन पर ही निर्भर करती है इसलिए पर्यटन उद्योग के चौपट होने से इसके नागरिकों को रोटियों के भी लाले पड़ गये और भूख से तड़प रही जनता सड़कों पर विद्रोह के लिए मजबूर हो गई। पर्यटन के महत्व से इंकार नहीं किया जा सकता। इसीलिए शंघाई कोऑपरेशन आर्गेनाइजेशन (एससीओ) ने हाल ही की अपनी समरकंद, उज्बेकिस्तान बैठक में वर्ष 2022-23 के लिए अपनी पहली सांस्कृतिक व पर्यटक राजधानी के तौर पर भारत के प्राचीन शहर वाराणसी का चयन किया है।
पर्यटन विशाल उद्योग है और अनेक देशों के विकास में इसका ज़बरदस्त योगदान है। इसलिए इस सैक्टर का जश्न पूरी दुनिया मनाती है। एक देश अपने पर्यटन सैक्टर से इतना कुछ हासिल कर सकता है कि वह उसके अच्छे दिनों की बुनियाद के लिए अटूट हिस्सा हो जाता है। पर्यटन सैक्टर पर निखार आने से दौलत, ग्रोथ, एक्सपोज़र व मौज-मस्ती अवसरों का अम्बार लग जाता है। पर्यटन गर्व व आनंद के अतिरिक्त विशाल सेवा उद्योग भी है, जिससे लाखों लोगों की जीविका चलती है। पर्यटन उद्योग दोनों भू-राजनीति अनिश्चितता व आर्थिक परिवर्तनशीलता के प्रति लचीला साबित हुआ है। हाल के वर्षों में भारत ने यात्रा व पर्यटन प्रतिस्पर्धा में ज़बरदस्त सुधार किया है। इस समय वह सबसे तेज़ी से विकास करने वाला एविएशन बाज़ार है।
भारत में अविश्वसनीय प्राकृतिक सुंदरता और विशिष्ट सांस्कृतिक विरासत व विविधता तो पहले से ही मौजूद थी। अब उसने पर्यटन सैक्टर के विकास के लिए उचित वातावरण भी उपलब्ध करा दिया है। ‘इनक्रेडिबल इंडिया’ अभियान को होलिस्टिक करते हुए, जिसमें ग्लोबल मीडिया भी शामिल है, मूल्य-आधारित कंटेंट की सकारात्मकता पर फोकस किया जा रहा है और साथ ही उन चुनौतियों को भी संबोधित किया जा रहा है जो किसी पर्यटक के सामने आ सकती हैं।
भारत में पर्यटन आय व रोज़गार उत्पन्न करने, गरीबी दूर करने व सस्टेनेबल ह्यूमन डेवलपमैंट के माध्यम के रूप में उभरा है। वास्तव में, भारत में पर्यटन को पुनरपरिभाषित कर दिया गया है,जोकि इस बार के विश्व पर्यटन दिवस का थीम है। पर्यटन उद्योग से भारत की राष्ट्रीय जीडीपी में 6.23 प्रतिशत का योगदान आता है और कुल रोज़गार का 9.3 प्रतिशत भी इसी सैक्टर से आता है। इस समय भारत में 20 मिलियन से अधिक लोग उसके पर्यटन उद्योग में काम कर रहे हैं। यह स्थिति तब है जब देश के छोटे शहरों में जो पर्यटन की क्षमता व संभावना है, उसका पूरी तरह से लाभ नहीं उठाया गया है। भारत की शानदार संस्कृति, इतिहास, सुंदरता आदि को देखने का सबसे अच्छा तरीका पर्यटन के ज़रिये है। मानव में अनदेखे को देखने की इच्छा जन्मजात है। भारत का सामाजिक व सांस्कृतिक ताना-बाना लोगों को आकर्षित करता है कि उसके पर्यटक स्थलों की यात्रा की जाये ताकि अध्यात्म, इतिहास व रहस्य से भरी इस महान सभ्यता को दिलोदिमाग से समझा और आंखों से देखा जा सके। भारत में चारों मुख्य प्रकार के पर्यटनों- इको-टूरिज्म, सांस्कृतिक पर्यटन, मैडीकल पर्यटन व धार्मिक पर्यटन की ज़बरदस्त संभावना है। इसके अतिरिक्त देशज पर्यटन, शिक्षा पर्यटन, स्पोर्ट्स पर्यटन, आनंद पर्यटन आदि के लिए भी बड़ी संख्या में लोग यहां आते हैं।
गौरतलब है कि संयुक्त राष्ट्र विश्व पर्यटन संगठन (यूएनडब्लूटीओ) 1980 से हर साल 27 सितम्बर को विश्व पर्यटन दिवस मनाता आ रहा है। इस दिन का चयन इसलिए किया गया क्योंकि 1970 में इसी दिन यूएनडब्लूटीओ के नियमों को स्वीकार किया गया था, जिन्हें ग्लोबल पर्यटन में मील का पत्थर समझा जाता है। इस दिवस का उद्देश्य यह है कि अंतर्राष्ट्रीय समुदाय में पर्यटन की भूमिका के प्रति जागृति बढ़ायी जाये और बताया जाये कि किस प्रकार पर्यटन संसार भर में सामाजिक, सांस्कृतिक, राजनीतिक व आर्थिक मूल्यों को प्रभावित करता है। 1997 से हर साल इस दिवस को मनाने के लिए एक मेज़बान देश का चयन किया जाता है, जिसे चुनने के लिए 2003 से यूरोप, दक्षिण एशिया, अमरीका, अफ्रीका व मध्य पूर्व क्रम का पालन किया जाता है।
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