लोकतंत्र की कसौटी पर हरियाणा के पंचायती चुनाव 


हरि की धरा माने जाते प्रदेश हरियाणा में ज़िला परिषद और पंचायत समिति सदस्यों के चुनाव हेतु पहले चरण के लिए 30 अक्तूबर रविवार को सम्पन्न हुए मतदान के बाद दूसरे और तीसरे चरण के लिए चुनाव की तैयारियां भी शुरू हो गई हैं। पहले चरण के लिए कुल नौ जिलों यानि भिवानी, झज्जर, जींद, कैथल, महेन्द्रगढ़, नूह, पंचकूला, यमुनानगर और पानीपत में 70 प्रतिशत से अधिक मतदान हुआ जबकि दूसरे चरण हेतु 9 ज़िलों अम्बाला, चरखी दादरी, गुरुग्राम, करनाल, कुरुक्षेत्र, रेवाड़ी, रोहतक, सिरसा और सोनीपत में पंचायत समिति सदस्यों और ज़िला परिषद सदस्यों हेतु 9 नवम्बर को मतदान होगा और पंचों-सरपंचों के लिए 12 नवम्बर को मत पड़ेंगे। तीसरे चरण में फरीदाबाद, पलवल, फतेहपुर और हिसार में 22 नवम्बर को 559 पंचायत समिति सदस्यों और 78 ज़िला परिषद सदस्यों के चुनाव हेतु मतदान होगा जबकि 10362 पंचों और 929 सरपंचों के लिए 25 नवम्बर को मत पड़ेंगे। इन सभी चुनावों के परिणाम एक साथ 27 नवम्बर को घोषित किये जाएंगे। हरियाणा के धुर भीतर के कई इलाके चुनावी हिंसा और लड़ाई-झगड़ों के लिए जाने जाते हैं, किन्तु इस बार गनीमत यह रही बताई जाती है कि छिट-पुट घटनाओं को छोड़ कर सभी चुनाव अधीन ज़िलों में से कहीं से भी किसी बड़ी हिंसक घटना अथवा चुनावी धांधली आदि की कोई बड़ी शिकायत नहीं मिली, और कि अधिसूचना जारी होने से लेकर मतदान के दिन तक प्राय: सम्पूर्ण प्रक्रिया शांतिपूर्वक सम्पन्न हुई। चुनावी पर्यवेक्षकों की दृष्टि में यह एक बहुत अच्छी खबर मानी जाएगी। 
भारत विश्व का सबसे बड़ा गणतांत्रिक लोकतंत्र है। इस विशाल देश में प्राय: हर दूसरे मास कहीं न कहीं चुनाव होते रहते हैं। इसी कारण यहां बाकायदा एक चुनावी मौसम का होना भी माना जाता है। किसी एक गांव की छोटी-सी इकाई पंचायत और शहरों में नगर पालिकाओं के नगर पार्षद से लेकर प्रधानमंत्री पद तक पहुंचने वाले सांसद के चुनाव हेतु यहां गोपनीय तरीके से मतदान की बड़ी पुरातन प्रथा है। गांवों में पंचायत चुनावों को ग्रामीण सरकारें और शहरों में नगर निगम तथा नगर पालिका चुनावों को स्थानीय सरकारों के चुनाव कहा जाता है। यही चुनाव वास्तव में भारतीय लोकतंत्र की नींव माने जाते हैं। सदियों पूर्व भी भारत के आर्य गणराज्यों में हाथ उठा कर अपने प्रतिनिधि चुनने की रीति रही है। बेशक ब्रिटेन को विश्व-धरा पर लोकतंत्र का जनक माना जाता है। भारत का संविधान भी ब्रिटेन की इसी पृष्ठभूमि का परिचायक है, परन्तु फिर भी भारतीय लोकतंत्र को विश्व का महानतम लोकतंत्र कहते हैं, तो यह इसकी विशेषताओं के कारण ही है। देश के लोकतंत्र की मज़बूती और लोकप्रियता का बड़ा कारण भी यही है कि यह बहुत निचली धरा से शुरू होकर प्रधानमंत्री और राष्ट्रपति की चुनावी कवायद तक पहुंचता है। यही कारण है कि देश का लोकतंत्र एक ओर जहां देश के प्रत्येक अमीर और गरीब आम जन तक पहुंचता है, वहीं कतार के अन्तिम छोर पर खड़े व्यक्ति के लिए यह गर्व की अनुभूति का क्षण होता है, जब अपने प्रतिनिधियों को चुनने के लिए वह मतदान करने घर से निकलता है। देश में इसीलिए मतदान के दिन लोगों द्वारा नये वस्त्र धारण कर ढोल-ताशे के साथ मतदान करने की प्रथा मौजूद रही है। समय के अन्तराल के साथ बेशक भारतीय लोकतंत्र में कुछ कमियां और त्रुटियां उत्पन्न होती रहीं, किन्तु महान भारत की स्वतंत्र और स्वायत्त चुनावी संस्था चुनाव आयोग ने प्रत्येक अवरोध को दूर कर देश को विश्व का महानतम बहुदलीय लोकतंत्र स्थापित करने में अपनी सार्थक भूमिका निभाई है। हरियाणा में सम्पन्न हो रहे पंचायत और ज़िला परिषद चुनाव इस पथ पर एक बड़ी कंदील जैसा उदाहरण सिद्ध होंगे।