मनमोहक वातावरण के लिए प्रदूषण रहित सदाबहार बोगनवेलिया

 

आजकल फूल खिलने का समय चल रहा है अगले माह पूरे जोबन में होगा। गेंदा, गुलाब खिल रहे हैं। यह मन को आकर्षित करते हैं बोगनवेलिया एक सदाबहार फूल है। मध्यम सर्द ऋतु में जब ओस नहीं पड़ती, यह विशेष खिलता है और सड़कों और पार्कों में लोगों को आकर्षित करता है। मंदिरों, गुरुद्वारों, स्कूलों और कालेजों में और घर के मैदानों में बहुत दिलकश आकर्षण उपलब्ध करता है। इसे घर की बालकनी, बरामदों और खिड़कियों में भी सजावट के लिए आम लगाया जाता है, लेकिन इसकी छंटाई बहुत सख्त करनी पड़ती है क्योंकि इसके पौधे का फैलाव ज्यादा होता है और इन दिनों में पौधे में से पत्ते निकलते है। बोगनवेलिया को पूरा खिलने के लिए कम से कम पांच घंटे धूप जरूरी है। पिछले दिनों से मौसम खराब रहने के कारण और निरंतर बादल छाये रहने के कारण लोग इसका आनंद नहीं ले सके। आजकल इसका प्रस्फुटण पड़ रहा है। अगले माह फूल पूरे खिले हुए देखे जा सकेंगे। जिन दिनों के दौरान दिन और रात बराबर होती है बोगनवेलिया पूरे यौवन में होता है। यदि इसको छाया में लगा दिया जाये और धूप न मिले तो यह फूल नहीं देते चाहे फैलता बहुत है। परन्तु यह लगभग हर प्रकार की जमीन में हो जाता है।
आई.सी.ए.आर.-भारतीय कृषि अनुसंधान संस्था के फलोरीकल्चर और लैंडलकेपिंग डिवीज़न ने एक तकनीक विकसित की है, जिसके साथ इसका पौधा छोटा रखकर इसको गमलों में लगाया जा सकता है। घरों और दफ्तरों में लगाकर भी इसकी सुंदरता का आनंद लिया जा सकता है। शहरों में जहां जगह की कमी है, वहां घरों में बोगनवेलिया गमलों में रखकर घर की सजावट को बढ़ाता है। बोगनवेलिया की कांट-छांट का खर्चा बचाने के लिए पैक्लोबूट्राज़ोल, डैमीनोज़ाईड और मैलिक हाईड्राज़ाईड आदि का प्रयोग किया जा सकता है। ऐसा करने से बोगनवेलिया के पौधे का कद छोटा रहेगा, जो गमलों में सजावट के साथ रखा जा सकेगा। इन दवाईयों का छिड़काव भी किया जा सकता है या फिर दवाई को भिगोकर गमले की मिट्टी में डालकर भी पौधे तक पहुंचाया जा सकता है। खर्चा बहुत कम आयेगा। वैसे तो बोगनवेलिया की 200 से भी ज्यादा किसमें हैं। इनमें कुछ पी.ए.यू. द्वारा भी सिफारिश की गई है। छोटी किसमें ‘जोहनसन’ और ‘सनविलिया’ किसमें लगाकर इन किसमों के पौधों को जितनी लम्बाई की जरूरत हो, उस हद तक छोटा रखा जा सकता है। फूलों के विशेषज्ञ और नैशनल नर्सरी पटियाला के मालिक अब्दुल वाहिद कहते हैं कि विदेशी किसमें ज्यादा हरमन प्यारी हैं। उनके पास कुछ दिनों तक इनमें से कुछ किसमें उपलब्ध होंगी। बोगनवेलिया को पूरे जोबन पर सुरजीत रखने के लिए गमलों में से पानी निकलता रखना चाहिए। गमले का आकार बड़ा होना चाहिए ताकि पौधे को उगने में आने के लिए जरूरी मिट्टी और स्थान उपलब्ध हो। मिट्टी के बर्तन के टुकड़ों को भी गमलों के तौर पर प्रयोग किया जा सकता है। पानी निकालने के लिए इनमें सुराख कर देने चाहिए। टैराकोट, प्लास्टिक, लटकती तार की टोकरियों में भी बोगनवेलिया को लगाकर इस फूल की सुंदरता और स्वप्न का नज़ारा देखकर आनंद लिया जा सकता है।
बोगनवेलिया  के फूल में दूसरे फूलों से ज्यादा यह है कि बोगनवेलिया के मुकाबले बीमारियां और कीड़े-मकौड़ों से मुक्त है। इसको कांट-छांट कर वह रूप और आकार दिया जा सकता है, जो जरूरी हो। झाड़ी या वेल दोनों रूपों में यह सफल है और अच्छा फूल होने का यह अहसास करवाता है। ब्राज़ील की पैदाइश बोगनवेलिया का फूल बागों, आंगनों, सड़कों आदि स्थानों पर खिला देखकर मन बहुत खुश होता है और आंखों को ताज़गी मिलती है। इस फूल की बड़ी विशेषता यह है कि जिन स्थानों पर यह फूल नहीं होता वहां बोगनवेलिया लगाकर फुलवाड़ी का आनंद लेकर दिल खुश किया जा सकता है। बोगनवेलिया के फूल सफेद, गुलाबी, मजैंटा, संतरी, सुर्ख, और ज़रद आदि विभिन्न रंगों में उपलब्ध है। 
बोगनवेलिया की बहुत किसमें हैं, परन्तु ज्यादा विदेशी और बाहरली किसमें ही चलती हैं। बागों और कोठियों में काम कर रहे माली तो ज्यादा गुच्छे वाली, लम्बे वाली और सीमा आदि किसमों संबंधी ही जानकारी रखते हैं। बागवानी विभाग के पूर्व (सेवामुक्त) डिप्टी डायरैक्टर डा. स्वर्ण सिंह मान कहते हैं कि आप जिस रंग के फूल चाहते हो, उसी नसल का पौधा लगा सकते हो। पानी की कमी को बोगनवेलिया बर्दाश्त कर लेता है। यह कुछ दिनों बाद इसी माह लगाया जा सकेगा। बोगनवेलिया पूरा वर्ष फूल देकर आपके मन को भाता है। बोगनवेलिया हवा के प्रदूषण को कम करता है और पर्यावरण में ताज़गी पहुंचाता है। यह सड़कों के डिवाइडरों पर भी आम लगाया जाता है, क्योंकि यह प्रदूषण को रोकता है। डा. मान कहते हैं कि बोगनवेलिया में पानी नहीं खड़ा होने देना चाहिए। यदि पानी खड़ा होगा तो इसके मर जाने की सम्भावना है।
इसी साल फरवरी-मार्च माह के दौरान फूलों के राज्य स्तरीय शो लगाये जाएंगे। पी.ए.यू. लुधियाना, बागवानी विभाग और नगर निगम चंडीगढ़ में ऐसा शो आयोजित करेगा। फूलों के उत्पादक इस शो में भाग लेकर ईनाम प्राप्त कर सकेंगे। पटियाला स्थित बाइयो कारन सीडज़ (डा. अलारंग) और हारवैस्ट ग्रीन सीडज़ बाईबैक सकीम अधीन उत्पादकों से अलग-अलग किसमों के फूलों के बीज तैयार करवाकर खरीदते हैं। जो फूलों के बीज इन कम्पनियों द्वारा निर्यात किये जाते हैं और चार गुणा ज्यादा कमाई की जाती है।