क्या शरद पवार कांग्रेस में वापिस आने पर कर रहे हैं विचार ?

शरद पवार की यह टिप्पणी कि चुनावों के बाद कई क्षेत्रीय पार्टियां कांग्रेस के निकट आ सकती हैं, ने राष्ट्रवादी कांग्रेस पार्टी (एन.सी.पी.-एस.पी.) के कांग्रेस में सम्भावित विलय के कयास को जन्म दिया है। हालांकि, भाजपा द्वारा अलग-अलग माध्यमों से क्षेत्रीय पार्टियों को निशाना बनाये जाने के दृष्टिगत पवार का यह बयान महत्वपूर्ण है। वहीं कांग्रेस छोड़ कर शिवेसना में शामिल हुए संजय निरुपम ने कहा कि पवार लम्बे समय से कांग्रेस में विलय बारे सोच रहे थे और कांग्रेस ने भी उन्हें यही प्रस्ताव दिया था। 1978 में पवार कांग्रेस से अलग होकर जनता पार्टी के साथ गठबंधन सरकार के प्रमुख के रूप में महाराष्ट्र के सबसे युवा मुख्यमंत्री बने थे। 1987 में वह कांग्रेस में वापिस आए और 1988 में कांग्रेस सरकार के प्रमुख के रूप में महाराष्ट्र के मुख्यमंत्री बने। 1999 के मध्य में सोनिया गांधी के विदेशी इतिहास के कारण उन्होंने कांग्रेस से नाता तोड़ कर अपनी अलग राष्ट्रवादी कांग्रेस पार्टी बना ली थी। 
 बसपा ने बदले उम्मीदवार!
बहुजन समाज पार्टी (बसपा) ने जौनपुर तथा बस्ती लोकसभा सीटों के लिए अपने उम्मीदवारों को बदल दिया है। पार्टी ने जौनपुर में गैंगस्टर से नेता बने धन्जय सिंह की पत्नी श्रीकला के स्थान पर मौजूदा पार्टी सांसद श्याम सिंह यादव को उम्मीदवार बनाया है। इस बदलाव को धन्जय सिंह के लिए झटका माना जा रहा है, जो ज़मानत पर जेल से बाहर आए हैं। यादव होने के कारण बसपा की टिकट पर चुनाव लड़ने से सपा के यादव वोट बैंक में सेंध लगेगी और भाजपा की जीत आसान बन जाएगी। अब जबकि धन्जय सिंह की पत्नी मैदान में नहीं है, राजनीतिक विशेषज्ञों का कहना है कि इससे न सिर्फ जौनपुर, अपितु निकटवर्ती मछलीशहर सीट पर भी भाजपा की सम्भावना बढ़ गई है। बस्ती में बसपा ने दयाशंकर मिश्रा के स्थान पर लवकुश पटेल को उम्मीदवार बनाया है। मिश्रा ने गत माह टिकट न मिलने पर भाजपा छोड़ दी थी और बाद में वह बसपा में शामिल हो गए थे। 
अरविन्दर सिंह लवली भाजपा में   
दिल्ली में सबसे चर्चित समाचार यह है कि अरविन्दर सिंह लवली, जो अब ‘पलटू राम’ के नाम से प्रसिद्ध हो चुके हैं, 4 मई को दिल्ली कांग्रेस अध्यक्ष के पद से इस्तीफा देने के बाद भाजपा में शामिल हो गए।
 उन्होंने ‘आप’ के साथ गठबंधन को इसका कारण बताया। इससे पहले भी वह अप्रैल 2017 में कांग्रेस छोड़ कर भाजपा में शामिल हुए थे। हालांकि कुछ ही महीनों के बाद 2018 में वह कांग्रेस में वापिस आ गए थे। कांग्रेस ने देवेन्द्र यादव को पार्टी का अंतरिम दिल्ली अध्यक्ष नियुक्त किया है। यादव ने पार्टी छोड़ने के लिए लवली की आलोचना की।
 उन्होंने कहा, ‘मैं अरविन्दर सिंह लवली को अवसरवादी व्यक्ति की श्रेणी में रखता हूं। यह पहली बार नहीं है कि उन्होंने कांग्रेस को नुकसान पहुंचाने की कोशिश की हो।’ जबकि लवली के दावा किया है कि दिल्ली की चार सीटों पर प्रचार कर रही ‘आप’ कांग्रेस तथा उसके नेताओं का नाम तक नहीं ले रही है और फिर भी पार्टी कार्यकर्ताओं तथा समर्थकों से वोट देने की उम्मीद कर रही है। लवली दिल्ली चुनावों के लिए भाजपा के 40 स्टार प्रचारकों में एक हैं। 
 जातिवादी घटना के शिकार अखिलेश  
समाजवादी पार्टी के प्रमुख तथा कन्नौज लोकसभ सीट से सपा उम्मीदवार अखिलेश यादव 6 मई को सिद्धपीठ बाबा गौरी शंकर महादेव मंदिर में पूजा करने तथा भगवान का आशीर्वाद लेने गए थे। इसके बाद कथित तौर पर भाजपा कार्यकर्ताओं ने मंदिर को पवित्र गंगा जल से धोया। वहां मंदिर के पुजारी मथुरा प्रसाद ने कहा कि मंदिर के प्रवेश की धुलाई भाजपा कार्यकर्ताओं ने की थी और मंदिर कमेटी का इस घटना से कोई संबंध नहीं है। इस घटना पर प्रतिक्रिया देते हुए अखिलेश यादव ने कहा, ‘पी.डी.ए. (पिछड़ा, दलित, अल्पसंख्यक) इस बार उन्हें (भाजपा) को धोने जा रहा है। चुनावों में अपनी हार को देखते हुए भाजपा के लोग ऐसी घटिया हरकतें कर रहे हैं।’ (आई.पी.ए.)