ईमानदारी का सर्टीफिकेट

तिहाड़ जेल से शर्तों सहित ज़मानत पर बाहर आने तथा उसके बाद मुख्यमंत्री पद से अपना त्याग-पत्र देने की घोषणा करते हुए आम आदमी पार्टी के मुख्य संयोजक अरविन्द केजरीवाल ने कहा है कि वह अब तभी दोबारा मुख्यमंत्री की कुर्सी पर बैठेंगे जब लोग फिर से जिता कर उनकी ‘ईमानदारी का सर्टीफिकेट’ देंगे। अब उनके स्थान पर पार्टी की ओर से दिल्ली की वित्त मंत्री आतिशी को मुख्यमंत्री बनाने की घोषणा कर दी गई है। इसमें कोई सन्देह नहीं कि वह आगामी मास में ‘डम्मी’ मुख्यमंत्री ही रहेंगी। उनकी पतंग की डोर केजरीवाल के हाथ में ही होगी। 
नि:संदेह लगभग 12 वर्ष पहले केजरीवाल ने ईमानदारी की राजनीति के आधार पर पार्टी बनाई थी परन्तु इस ईमानदारी का पर्दा उस समय हटना शुरू हो गया, जब उनके संघर्ष के दौरान साथी रहे कई नेता एक-एक करके उन्हें छोड़ते गए। उस समय उन्होंने केजरीवाल पर अनेक आरोप लगाये थे। आज भी वे इन आरोपों पर कायम हैं। दिल्ली में सरकार बनने के बाद इस पार्टी के जितने घोटाले सामने आते गये, उनकी गिनती करना कठिन हो गया है। आज भी कई मंत्री ऐसे आरोपों के दृष्टिगत कई वर्षों से जेलों में बंद हैं। शराब घोटाला इनमें से एक है, जिसकी व्यापक स्तर पर चर्चा हुई है। इसकी परतें लगातार खुलती रही हैं। इसके हज़ारों विवरण सामने आ चुके हैं। इसी कारण इस पार्टी के इस घोटाले से संबंधित नेता और मंत्री जेल की हवा खाते रहे हैं। इसी क्रम में केजरीवाल का नाम आता है।
अब कई मास जेल में रहने के बाद सर्वोच्च न्यायालय ने उन्हें शर्तों सहित ज़मानत दी है। ये शर्तें हैं कि वह मुख्यमंत्री के कार्यालय नहीं जा सकेंगे तथा इस हैसियत में कोई ज़रूरी कागज़ात पर हस्ताक्षर भी नहीं कर सकेंगे। इसी विवशता के कारण  ही उन्हें त्याग-पत्र देने की घोषणा करनी पड़ी। इसको ही वह और उनके साथी अपनी जीत बना कर पेश कर रहे हैं जैसे त्याग-पत्र देकर उन्होंने कोई बहुत बड़ा बलिदान दिया हो। इससे भी आगे वह अब लोगों से आगामी चुनावों में ईमानदारी का प्रमाण-पत्र मांग रहे हैं। केजरीवाल के निरीक्षण में पंजाब की सरकार चल रही है। यह कितनी ईमानदार है, इसका सभी को पता चल चुका है। अब तो ऐसा प्रतीत होता है कि इसने सिर्फ ईमानदारी का चोला ही पहना हुआ है। प्रदेश में नीचे से ऊपर तक भ्रष्टाचार का बोलबाला है। लोगों में आम प्रभाव यह बन चुका है कि भ्रष्टाचार पहले से भी कई गुणा बढ़ गया है। केजरीवाल तथा उनके साथियों ने एक तरह से पंजाब को खोखला ही कर दिया है तथा इसके सिर पर ऋण की गठरी को और भी भारी कर दिया है। 
पिछले लोकसभा चुनावों में लोगों ने प्रदेश में इस पार्टी को आईना दिखाया है। जब केजरीवाल जेल में थे तो मुख्यमंत्री भगवंत मान सहित इस पार्टी के बड़े-बड़े नेता लगातार हरियाणा में चुनाव प्रचार करते रहे हैं। ये चुनाव 5 अक्तूबर को होने जा रहे हैं। केजरीवाल के पास भी इनके प्रचार के लिए अभी समय है। 8 अक्तूबर को हरियाणा के चुनाव परिणाम सामने आ जाएंगे। उस समय यह देखना होगा कि इस ईमानदार पार्टी तथा उसके ईमानदार नेता के प्रति लोगों ने कितना समर्थन दिया है। दिल्ली के चुनाव आगामी फरवरी मास में होंगे। उस समय भी इस पार्टी का चेहरा लोगों के सामने आ जाएगा। इस नेता की ईमानदारी वाली छवि किस सीमा तक निखर चुकी है, इसका अनुमान इस बात से ही लगाया जा सकता है कि पिछले लोकसभा चुनावों में ‘इंडिया’ गठबंधन में शामिल इस पार्टी के साथ पंजाब के कांग्रेसी नेताओं ने समझौता करने से ही इन्कार कर दिया था। 
अब हरियाणा के होने जा रहे चुनावों में वहां के कांग्रेसी नेताओं ने इस पार्टी के साथ समझौता करने से स्पष्ट इन्कार कर दिया है। दिल्ली चुनावों में भी इसका ऐसा ही हश्र होने की सम्भावना बनते दिखाई देती है। इसी कारण इन नेताओं के ईमानदार होने के दावे गुब्बारों की तरह हवा में उड़ते दिखाई देने लगे हैं। केजरीवाल अब मुख्यमंत्री की ज़िम्मेदारी से फारिग हैं। उनके पास अभी राजनीति में खुल कर खेलने का समय बचा हुआ है। देखना यह होगा कि आगामी समय में हरियाणा एवं दिल्ली के लोग उन पर किस सीमा तक विश्वास करते हैं। 

—बरजिन्दर सिंह हमदर्द