हंगामा है क्यों बरपा
पंजाब विधानसभा का अधिवेशन चल रहा है। प्रदेश के समक्ष अनेकानेक मामले दरपेश हैं, परन्तु सरकार की ओर से पहले सिर्फ दो दिन का अधिवेशन रखा गया था, जिसे अब 2 दिन के लिए और बढ़ा दिया गया है। इस दौरान कुछ बिलों को स्वीकृति दी गई परन्तु सरकार के ध्यान का मुख्य केन्द्र भाखड़ा-ब्यास प्रबन्धन बोर्ड में केन्द्रीय औद्योगिक सुरक्षा बल के स्थान पर अपने सुरक्षा कर्मियों की तैनाती का रहा। इस संबंध में एक विशेष बिल को स्वीकृति दी गई है। हरियाणा और पंजाब के बीच विगत दिवस भाखड़ा बांध से मिलते पानी के संबंध में बड़ा टकराव बना रहा था और यह बात उच्च अदालतों तक भी पहुंच गई थी। जबकि विगत लम्बी अवधि की परम्पराओं के अनुसार ऐसा विभाजन आपसी सहमति से होता रहा है। इस सब कुछ का इस तरह जटिल होता जाना चिन्ता का विषय ज़रूर कहा जा सकता है। विधानसभा के अधिवेशन की पिछले 2 दिनों की कारगुज़ारी कई पक्षों से निराश करने वाली ही कही जा सकती है। विपक्षी पार्टियों को यह शिकायत ज़रूर रही है कि यह अधिवेशन बहुत संक्षिप्त है। सीमित समय में भी उन्हें अपनी बात करने का अवसर नहीं दिया जा रहा। इसलिए सरकारी पक्ष और विपक्ष में काफी बहसबाज़ी भी होती रही।
इस बहसबाज़ी को सत्तारूढ़ और विपक्ष द्वारा एक स्तर पर नहीं रखा गया, अपितु इसमें निजी बातों और रंजिश निकालने का यत्न अधिक रहा। अधिवेशन के बाद भी दोनों पक्षों के नेताओं ने पत्रकारों के सामने एक-दूसरे के विरुद्ध भड़ास निकाली। इस समय मुख्यमंत्री द्वारा 2 दिन लगातार केन्द्र सरकार की कारगुज़ारी, विशेष रूप से प्रधानमंत्री और गृह मंत्री संबंधी उनकी ओर से की गई टिप्पणियों की व्यापक स्तर पर चर्चा होती रही। पहले दिन प्रधानमंत्री के 5 दिवसीय विदेशी दौरे के संबंध में मुख्यमंत्री द्वारा दिए गए बयान के बाद विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता ने इसे ़गैर-ज़िम्मेदाराना और दु:खद कहा है परन्तु उसके बाद दूसरे दिन मुख्यमंत्री ने इसकी प्रतिक्रिया देते हुए कहा कि देश की विदेश नीति संबंधी बोलने का हमारा अधिकार है। पाक के संबंध में उन्होंने कहा कि यदि प्रधानमंत्री पाकिस्तान का दौरा कर सकते हैं तो और ऐसा क्यों नहीं कर सकते। यह भी कि चाहे प्रधानमंत्री लगातार दूसरे देशों के दौरों पर जाते हैं परन्तु दोनों देशों की हुई लड़ाई में किसी भी देश ने भारत का समर्थन नहीं किया। केन्द्रीय गृह मंत्री के संबंध में उनकी ओर से की गई टिप्पणियों का भारतीय जनता पार्टी ने गम्भीर संज्ञान लिया। सुनील जाखड़ ने यहां तक कहा कि भगवंत मान मर्यादा भूल चुके हैं और उन पर सत्ता का नशा सिर चढ़ कर बोल रहा है। केन्द्रीय राज्य मंत्री रवनीत सिंह बिट्टू ने भी मुख्यमंत्री की ऐसी बयानबाज़ी की निंदा की है।
हम समझते हैं कि जहां विधानसभा में पंजाब को दरपेश मामलों संबंधी गम्भीरता से विस्तारपूर्वक विचार-विमर्श होना चाहिए, वहीं सत्तारूढ़ और विपक्षी पार्टियों के नेताओं को भी किसी तरह की निजी बयानबाज़ी करने से बचने की ज़रूरत है। नि:संदेह जहां मामलों को सुलझाने के लिए सरकार की अधिक ज़िम्मेदारी बनती है, वहीं विपक्ष से भी लोगों के मामलों को उचित ढंग से उठाने की उम्मीद की जाती है। पंजाब में अमन-कानून की स्थिति संबंधी एकजुट होकर गम्भीर विचार-विमर्श किए जाने की ज़रूरत है। इसके साथ ही समाज में बढ़ रहे हर तरह के नशे के लिए भी संयुक्त रूप में लामबंदी की जानी ज़रूरी है। पंजाब को दरपेश आर्थिक और सामाजिक चुनौतियों का मुकाबला करने के लिए भी सभी पक्षों को अपना सहयोग देना और समुचित योगदान डालने की ज़रूरत है। आपसी बयानबाज़ी ऐसे गम्भीर मामलों का हल नहीं हो सकती। हम आगामी दिनों में विधानसभा की कार्यवाही के अधिक अर्थपूर्ण और अच्छे प्रभाव वाली होने की उम्मीद करते हैं।
—बरजिन्दर सिंह हमदर्द