रोज़गार मेला तथा प्रधानमंत्री का संकल्प


देश में निरन्तर बढ़ती बेरोज़गारी और युवा हाथों को रोज़गार अथवा स्व-रोज़गार प्रदान किये जाने का महत्त्व आज भी उतना ही है, जितना कल था हालांकि इस बीच देश में भिन्न-भिन्न राजनीतिक दलों की सरकारें आती-जाती रही हैं। बेशक राजनीतिक दल चुनावों से पूर्व अथवा बाद में सरकारें गठित हो जाने के बाद युवाओं को नौकरियां देने अथवा रोज़गार के बड़े-बड़े दावे, वायदे और घोषणाएं करते रहते हैं, परन्तु क्रियात्मक धरातल पर स्थितियों में बहुत कम सुधार होते देखा गया है। मौजूदा भाजपा नीत मोदी सरकार के काल में भी सरकारी नौकरियां, रोज़गार अथवा स्व-रोज़गार के धरातल पर स्थिति पूर्ववत ही है हालांकि हाल ही में प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी द्वारा देश के तीव्र विकास को सुनिश्चित बनाने हेतु रोज़गार एवं स्व-रोज़गार के अवसरों को बढ़ाने की घोषणा  नि:सन्देह रूप से देश और खास तौर पर युवा वर्ग के लिए आशा और विश्वास की एक किरण अवश्य जागृत करती है। नि:सन्देह अभी भी इस मोर्चे पर व्यापक स्तर पर बहुत कुछ किये जाने की आवश्यकता है। प्रधानमंत्री ने पिछले दिनों देश की राजधानी दिल्ली में आयोजित एक रोज़गार मेला के अवसर पर देश के विभिन्न भागों के लगभग 71,000 युवाओं को वीडियो कान्फ्रैंसिंग के ज़रिये सरकारी नौकरियां प्रदान करने की घोषणा की। इस दौरान प्रत्याशियों को विभिन्न केन्द्रीय मंत्रालयों एवं विभागों में नियुक्ति पत्र भी भेंट किये गये। प्रधानमंत्री ने बेशक देश में रोज़गार और स्व-रोज़गार के नये अवसरों को सृजित करने हेतु अनेक बार पहले भी घोषणाएं की हैं, और कई प्रकार की योजनाएं भी तैयार की हैं, परन्तु प्राय: सरकारों का प्रत्येक पग इस धरातल पर अपूर्ण और अधूरा ही साबित होता रहा है। केन्द्र सरकार और खास तौर पर प्रधानमंत्री की ओर से  एक ही बार में देश के 71,000 युवाओं को रोज़गार के अवसर प्रदान करने हेतु नौकरी के दस्तावेज़ प्रदान किया जाना एक बड़ी उपलब्धि जैसा है। 
नि:सन्देह युवाओं के लिए रोज़गार सृजन से एक ओर जहां एक नई उत्प्रेरक भावना उत्पन्न करने में सहायता प्राप्त होती है, वहीं इससे युवाओं के सशक्तिकरण और राष्ट्रीय विकास-धारा को प्रफुल्लित किये जाने में उनकी सहायता मिलने की बड़ी सम्भावना बनती है।   प्रधानमंत्री द्वारा इस प्रकार के मेलों का आयोजन किये जाने की आवश्यकता और योजना पर बल दिया जाना भी इसी तथ्य के महत्त्व को बढ़ाता है।  इस प्रकार के फैसलों की प्रासंगिकता से भविष्य में भी नि:सन्देह रूप से युवा वर्ग के लिए अनेक नये अवसरों के उत्पन्न होने और नई योजनाओं के सृजन में बड़ी मदद मिल सकती है। नि:सन्देह मौजूदा दौर में बेरोज़गारी और बेकारी वाली स्थिति काफी गम्भीर है। स्व-रोज़गार के धरातल पर भी कुछ विशेष सम्भावनाएं जागृत होते प्रतीत नहीं होतीं। बेशक देश में आज युवा वर्ग की सोच के धरातल पर स्थिति कोई अधिक असन्तोषजनक कदापि नहीं है तथापि बेरोज़गारी की समस्या ऐसी भी नहीं है जिस की ओर से पूर्णतया विमुख हुआ जा सके। सरकारों की अब तक की योजनाएं अनेक धरातलों पर परिणामदायी सिद्ध नहीं हो सकीं, न ही सरकारों की नीतियां पूर्ण रूप से रोज़गारोन्मुख साबित हो पाई हैं। किसी भी लोकतांत्रिक देश में युवा वर्ग को समग्र रूप से रोज़गार के साधन उपलब्ध करना एक बड़ा दुष्कर कार्य होता है। भारत विश्व का एक बड़ा लोकतांत्रिक देश है, परन्तु बेकारी और बेरोज़गारी की समस्या भी उतनी ही बड़ी और गम्भीर है। प्रधानमंत्री के ताज़ा यत्न से नि:सन्देह देश के 71,000 रोज़गारों के ज़रिये इतने ही परिवारों में आर्थिक समृद्धि हेतु ज़िन्दगी के प्रकाश की एक किरण का रोमांच उपजने की सम्भावना बन सकती है। यह भी एक आशाजनक संकेत है कि  चालू वर्ष 2023 में राष्ट्रीय जनतांत्रिक गठबन्धन के तहत शासित राज्यों में भी ऐसे रोज़गार मेले आयोजित किये जाने का संकेत दिया गया है। बेशक यह एक बहुत अच्छी क्रिया का संकेत सिद्ध हो सकता है। 
हम समझते हैं कि देश के युवा वर्ग के उत्थान के लिए सरकारों की ओर से किये जाते किसी भी प्रयास की प्रशंसा की जानी चाहिए। युवा किसी भी देश और समाज के लिए रीढ़ की हड्डी के समान होते हैं। युवा शक्ति को विकास एवं उन्नति की दिशा में अग्रसर करके राष्ट्र के उत्थान-हित को साकार किया जा सकता है। अत: जहां तक सम्भव हो सके, युवाओं के हाथों को काम मिलते रहना चाहिए— वह चाहे सरकारी अथवा निजी नौकरियों का रोज़गार हो, अथवा-स्व-रोज़गार के धरातल पर विकसित कोई काम-धंधा हो। वैसे भी, सरकार कोई भी और किसी भी पार्टी की हो, उसका ध्यान और उसकी नीतियां रोज़गारोन्मुख और युवा-केन्द्रित होनी चाहिए। ऐसी ही कोई सरकार कल्याणकारी हो सकती है। ऐसी स्थिति में प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी द्वारा रोज़गार मेलों का आयोजन राष्ट्र के व्यापक हित में किया गया फैसला भी हो सकता है। हम यह भी समझते हैं  कि ऐसी नीतियों के निर्माण और इन पर अमल किये जाने का फैसला करके ही सरकारें युवा वर्ग को प्रेरित कर समूचे राष्ट्र को उन्नति, विकास और उत्थान के मार्ग पर ले जा सकती हैं। बेशक प्रधानमंत्री ने इस अवसर यह भी संकल्प दोहराया है कि युवाओं के हित में उनकी सरकार निरन्तर सार्थक और रचनात्मक पग उठाती रहेगी, परन्तु उन्हें और उनकी सरकार को यह भी सुनिश्चित करना होगा कि यह संकल्प केवल चुनावी मौसम की घोषणा बन कर न रह जाए, अपितु क्रियान्वयन की कसौटी पर भी यह सचमुच का संकल्प सिद्ध हो। हम यह भी समझते हैं कि ऐसे रोज़गार अवसरों पर सभी की समान पहुंच होनी चाहिए, और कि ऐसे उम्मीदवारों के चयन हेतु परख और पारदर्शिता का पूरा-पूरा ध्यान रखा जाना चाहिए। इससे देश की विकास गति में नि:सन्देह एक सार्थक बदलाव का संकेत भी अवश्य दिखाई देने लगेगा।