बच्चें को 'स्क्रीन युग' में भी ड्राइंग करना सिखाएं

कोरोना महामारी के चलते दो सालों तक जब दुनिया के ज्यादातर हिस्सों में लोग अधिकतर समय घरों में कैद रहे, उन दिनों जिन छोटे बच्चों ने मोबाइल और वीडियो गेम के जरिये अपना वक्त गुजारने की कोशिश की, उनमें से ज्यादातर जल्द ही इससे ऊब गये और उनमें चिड़चिड़ापन दिखने लगा। लेकिन जिन छोटे बच्चों को उनके मां-बाप ने इस दौरान किसी भी तरीके से ड्राइंग करने का अयास कराया, न सिर्फ उनकी ड्राइंग अच्छी हो गई बल्कि कोरोना खत्म होने के बाद भी उनमें जीवन के विविध रंगों और कलाओं के प्रति एक सहज सा लगाव देखा गया है। इसलिए यह वर्षों पुरानी कहावत चरितार्थ होते हुए दिखी कि छोटे बच्चे कच्ची मिट्टी के लोंदे होते हैं, उन्हें जो शेप देना चाहें आप दे सकते हैं। साथ ही यह भी कि कलाओं के प्रति प्यार और रूझान उनके साथ नियमित अयास के बाद ही पैदा होता है। लेकिन सवाल है छोटे बच्चों को इस स्क्रीन युग में पेंटिंग करना कैसे सिखाएं?
अगर हम दुनिया के महान चित्रकारों एम.एफ. हुसैन, जतिन दास, पिकासो, वैन गॉग आदि की जीवनियां पढ़ंे तो पता चलता है इन महान कलाकारों ने भी बचपन में जब पहली बार पेंसिल या ब्रश पकड़ा था तो ये भी सामान्य बच्चों की तरह आड़ी-तिरछी रेखाएं खींची थी। तब न उन्हें और उनके मां-बाप को जरा भी इल्हाम नहीं रहा होगा कि एक दिन वे कला की दुनिया के बहुत बड़े नाम बनेंगे और धन व यश दोनों बटोरेंगे। लियोनार्डो दा विंची की कलाकृति 'मोनालिसा' ने तो उन्हें अमर ही कर दिया है। कोई बच्चा पहली बार ही परफेट पेंटर नहीं बन जाता। लेकिन निरंतर अयास से एक दिन उसमें भी महान कलाकार बनने की संभावनाएं पैदा हो सकती हैं। इसलिए यदि आपके बच्चे का मन ड्राइंग बनाने में लगता है, आड़ी तिरछी रेखाएं खिंचने में अगर वह रूचि लेता है तो उसे उत्साहित करें।
मुंबई के स्कूल से फाइन आट्र्स में डिप्लोमा करने वाली मुक्ता का कहना है, 'मुझे बचपन से ही ड्राइंग करने का शौक था और मेरे ममी-पापा हमेशा मुझ प्रोत्साहित करते थे। मेरे डैड ने शुरुआती दिनों में मेरी तमाम ड्राइंग्स अखबारों, पत्र-पत्रिकाओं आदि में लगातार छपने के लिए भेजते थे, जिनके छपने पर मुझे बहुत अच्छा लगता था। इसी प्रोत्साहन के चलते आज मैं एक अच्छी आर्टिस्ट हूं।'
पेंसिल से ड्राइंग करने के बाद उन्हें अच्छी तरह उनमें रंग भरना सिखाएं। भ्-त्त् साल के बच्चे प्राकृतिक दृश्यों को खूबसूरती से स्केच करना सीख सकते हैं। उनसे अलग-अलग प्रकार के फूल बनवाकर उनमें रंग भरना सिखाया जा सकता है। पांच साल से कम आयु के बच्चे एक रंग का प्रयोग आसानी से कर सकते हैं, लेकिन पांच साल के बाद बच्चों को अलग-अलग रंग भरना सिखाएं। बच्चों को शुरू से ही वस्तुओं में एडजेट कलर भरना सिखाएं। पेड़ के तने का रंग हरा या फिर आसमान लाल दिखाना बच्चे को अज्ञानता की ओर ले जाता है। आठ साल की आयु के बाद बच्चे अपनी बनाई ड्राइंग में या स्केच में वाटर कलर का इस्तेमाल आसानी से करना सीख सकते हैं। इससे बच्चे की कलात्मकता में निखार लाने के लिए उन्हें शेडिंग करना (पेंसिल कलर), आउटलाइन बनाना सिखाएं।
-इमेज रिलेशन सेंटर