मुरगे का शौक

तब की बात है जब चिड़ियां पेड़ों पर नहीं रहती थीं। उन के अपने मोहल्ले होते थे। जहां वे सब इकट्ठा रह कर नाचती-गाती थी।
मुरगे को गाना गाने का बहुत शौक था। वह जब भी मैना, कोयल आदि पक्षियों को गाना गाते देखता तो खुश हो कर खुद भी गाने लगता, ‘कुकडू ंकूं...........कुकडूं कूं..........’ यह सुनते ही सारे पक्षी अपने कान बंद कर लेते और मुरगे को बुरा-भला कहते पर वह फिर भी गाना गाने से बाज न आता था।
एक दिन मुरगा अपने दोस्त कौए से मिलने गया। बोला, दोस्त, जंगल के सभी पक्षी मुझे बुरा भला कहते हैं। माना कि कुदरत ने उन्हें अच्छी आवाज दी है, तो क्या सिर्फ वे ही गा सकते हैं? तूं तो मेरा सच्चा मित्र है। तेरी आवाज भी तो अच्छी नहीं है। तू मुझे कोई तरकीब सुझा ताकि मैं भी दूसरे पक्षियों की तरह अच्छा गा सकूं।
हां, क्यों नहीं, तूं मेरा दोस्त है। मैं तेरी मदद जरूर करूंगा, कहकर कौआ कुछ सोचने लगा।
कुछ देर सोचने के बाद कौआ बोला, ‘दोस्त, जंगल में गाना सिखाने वाला कोई नहीं है। तूं शहर चला जा, वहां गाना सिखाने वाले स्कूल होते हैं।
धन्यवाद दोस्त, कह कर मुरगा लौट गया।
दूसरे दिन मुरगा शहर की ओर उड़ चला। तब मुरगा काफी तेजी से उड़ता था।
उड़ते-उड़ते उसे दूर एक घर दिखाई दिया, घर के आंगन में एक लड़की बैठी थी, और मीठे स्वर में गाना गा रही थी।
मुरगा लड़की के पास पहुंचा बोला, बहन, तुम इतना अच्छा गाना गा रही हो कि मन खुश हो गया। क्या मुझे भी गाना सिखाओगी?
लड़की ने इस से पहले कभी मुरगा नहीं देखा था। उसे बहुत खुशी हुई। उस ने मुरगे के पंखों को सहलाया।
तुम कहां से आए हो? लड़की ने मुरगे से पूछा।
मुरगे ने अपना परिचय दिया, फिर दुखी स्वर में बोला-मैं गाना सीखना चाहता हूं। जंगल में मुझे किसी ने नहीं सिखाया, इसलिए शहर आ गया हूं।
लड़की ने कहा, कोई बात नहीं। तुम हमारे पास रहो। यहां तुम जैसा कोई नहीं है।
मुरगा बोला, बहन मुझे गाना सुनना बहुत पसंद है। मेरी दिली इच्छा है कि मैं भी गाना गाऊं। तुम मुझे गाना सिखाओगी न? सच कहता हूं, मैंने तुम से ज्यादा सुरीली आवाज आज तक नहीं सुनी।
लड़की अपनी प्रशंसा सुनकर बहुत खुश हुई बोली, ‘भैया, मुझे बहुत अच्छा गाना नहीं आता,फिर भी मैं तुम्हें जरूर सिखाने की कोशिश करूंगी।
मुरगा बहुत खुश हुआ। बोला, ‘तब तो मैं तुम्हारे पास जरूर रहूंगा।
भैया, गाना सीखने के लिए सुबह का समय बहुत अच्छा रहता है। तुम मुझे सुबह आवाज देना। मैं उठ कर तुम्हें गाना सिखाऊंगी, लड़की ने कहा।
अब मुरगा रोज सुबह कुकडूं कू...........कुकडूं कू.......... कह कर लड़की को उठाता और लड़की मुरगे को संगीत की शिक्षा देती।
लड़की गाती, सा.....रे...गा...मा... तो मुरगा गाता कुकडूं कू......कुकडूं कू....लड़की मुरगे से बहुत अभ्यास कराती, परंतु उस की कर्कश आवाज जस की तस रहती जिसे बरदाश्त करना लड़की के लिए मुश्किल हो जाता।
एक दिन लड़की ने मुरगे से कह दिया, भैया, तुम बुरा मत मानना किंतु सच कहूं तो तुम्हें गाना गाना नहीं आ सकता और फिर यह जरूरी तो नहीं कि सभी गाना ही गाएं। तुम तो दूसरे पक्षियों की आवाज पर खुश होते हो, यह क्या कम है। तुम्हारी आवाज जैसी भी है, अच्छी है। इसी में संतुष्ट रहो। 
परंतु मुरगा कहां मानने वाला था। अत: वह बारबार लड़की के हाथ पैर जोड़ने लगा तो वह फिर से उसे सिखाने लगी मगर मुरगा सीख नहीं पाता।
अंतत: जब लड़की दुखी हो गई तो उस ने मुरगे से कहा - मुरगा भैया, एक बात बोलूं?
हां, बोलो।
तुम इतने दिनों से मुझ से गाना सीख रहे हो पर मुझ जैसा न गा सके। मुझे लगता है कि तुम गाना सीख ही नहीं पाओगे। इसलिए मेरी बात मानो और जंगल लौट जाओ। लड़की ने समझाया। मुरगा निराश हो गया। सोचने लगा, अब तो वापस जंगल जाने के अलावा और कोई रास्ता नहीं दिख रहा है। बहन, तुम ठीक कहती हो, मैं अभी जंगल चला जाता हूं, कहकर मुरगे ने उड़ान भरी।
लेकिन यह क्या, मुरगा उड़ नहीं सका। थोड़ा उड़ा, फिर जमीन पर गिर गया। दरअसल मुरगे को लड़की के यहां रहते बहुत दिन हो गये थे, इसलिए वह उड़ना भूल गया था।
मुरगा निराश हो कर बोला-बहन, अब तो मैं उड़ना भूल गया हूं। पैदल चल कर जंगल पहुंचना संभव नहीं है। मैं तुम्हारे घर पर ही रह जाता हूं। कुछ कीड़े मकोड़े खा कर अपना पेट भर लूंगा और गाना सीखने का अभ्यास जारी रखूंगा। हो सकता है मुझे सफलता मिल जाए।
लड़की मान गई। मुरगा फिर से उसे सुबह आवाज दे कर उठाने लगा और लड़की उसे गाना सिखाने लगी। जब लाख प्रयास के बाद भी मुरगा गाना नहीं सीखा तो लड़की ने थक हार कर सिखाना बंद कर दिया लेकिन मुरगे ने उसे आवाज दे कर सुबह उठाने का क्र म जारी रखा।
तब से मुरगा मनुष्यों के साथ रहता है और कुकडूं कूं....कुकडूं कूं....कर के सब को रोज सुबह उठाता है। (उर्वशी)