आम आदमी पार्टी का राष्ट्रीय दर्जा एवं कारगुज़ारी 

10 अप्रैल, 2023 आम आदमी पार्टी के लिए एक ऐतिहासिक दिन था। इस दिन आम आदमी पार्टी को भारतीय चुनाव आयोग द्वारा राष्ट्रीय पार्टी का दर्जा दिया गया। नि:सन्देह यह पार्टी भारतीय राजनीति में बड़ी तेज़ी के साथ उभरी है। इसकी स्थापना अरविन्द केजरीवाल तथा उनके दो अन्य साथियों द्वारा 26 नवम्बर, 2012 को नई दिल्ली में की गई थी। 2011 में अन्ना हज़ारे ने ‘इंडिया अगेंस्ट क्रप्शन’ नामक संगठन के बैनर के तहत नई दिल्ली में अनिश्चिकालीन आमरण अनशन रख कर भ्रष्टाचार के विरुद्ध अभियान आरम्भ किया था। अन्ना हज़ारे तथा उनके साथियों की मुख्य मांग देश में भ्रष्टाचार को खत्म करने के लिए एक शक्तिशाली लोकपाल की स्थापना करवाना था। इस लहर से अरविन्द केजरीवाल के अलावा प्रशांत भूषण, योगेन्द्र यादव, किरण बेदी, कुमार विश्वास, आशुतोष तथा अन्य अनेक चेहरे भी जुड़े थे। बाद में अन्ना हज़ारे तथा अरविन्द केजरीवाल के बीच मतभेद उभर आये। अन्ना हज़ारे इस लहर को चुनाव-राजनीति से दूर रखना चाहते थे परन्तु अरविन्द केजरीवाल तथा उनके कुछ अन्य साथी एक राजनीतिक पार्टी बना कर देश की चुनाव-राजनीति में दाखिल होना चाहते थे। इसी सन्दर्भ में पहलकदमी करते हुए अरविन्द केजरीवाल तथा उनके साथियों ने ‘आम आदमी पार्टी’ की स्थापना की थी। आरम्भ में केजरीवाल को शांति भूषण, प्रशांत भूषण, योगेन्द्र यादव, आशुतोष सहित अनेक युवा नेताओं का समर्थन भी प्राप्त हुआ था परन्तु बाद में धीरे-धीरे शांति भूषण, प्रशांत भूषण तथा योगेन्द्र यादव आदि केजरीवाल से मतभेद उभरने के कारण पार्टी से अलग हो गये, परन्तु केजरीवाल तथा उनके साथी आम आदमी पार्टी बना कर राजनीति में विचरण करते रहे।
यदि इस पार्टी की चुनावी सफलताओं को देखें तो इसने पहली बार 2013 में दिल्ली विधानसभा के चुनाव लड़े थे तथा 28 सीटें हासिल की थीं। इसने कांग्रेस के सहयोग से सरकार बनाई थी परन्तु यह सरकार अधिक समय तक चल न सकी, क्योंकि आम आदमी पार्टी तथा कांग्रेस के बीच जन-लोकपाल बिल के मुद्दे पर मतभेद पैदा हो गए थे तथा कांग्रेस ने इस बिल का समर्थन करने से इन्कार कर दिया था जिस कारण केजरीवाल ने 49 दिन बाद त्याग-पत्र दे दिया था। दिल्ली में आम आदमी पार्टी द्वारा पुन: विधानसभा के  चुनाव लड़े गये। इन चुनावों में इस पार्टी को लोगों का बड़ा समर्थन मिला तथा यह 70 में से 67 सीटें जीतने में सफल हो गई तथा इसके बाद इसने जन-लोकपाल बिल पारित कर दिया। अपना पांच वर्ष का कार्यकाल पूरा करके आम आदमी पार्टी ने 2020 में पुन: दिल्ली विधानसभा के चुनाव लड़े तथा पार्टी को एक बड़ा समर्थन मिला तथा इसने 70 में से 62 सीटें हासिल कीं।
यदि लोकसभा चुनावों में इस पार्टी की कारगुज़ारी देखी जाए तो इसने 2014 के लोकसभा चुनावों में देश भर में व्यापक स्तर पर अपने उम्मीदवार खड़े किए थे परन्तु इसे पूरे देश में सिर्फ पंजाब में ही सफलता मिली थी तथा इसने 4 लोकसभा सीटों पर जीत हासिल की थी। 2019 में लोकसभा के पुन: हुए चुनावों में इसने भिन्न-भिन्न प्रदेशों में 35 सीटों पर चुनाव लड़ा था परन्तु इसे सिर्फ पंजाब से एक सीट पर जीत प्राप्त हुई थी। अभिप्राय यह, कि भगवंत मान संगरूर से पुन: लोकसभा का सदस्य चुने गये थे।
मौजूदा समय में इस पार्टी का लोकसभा में कोई प्रतिनिधि नहीं है तथा यह लोकसभा में दाखिल होने के लिए जालन्धर से लोकसभा का उप-चुनाव लड़ रही है। राज्यसभा में इस पार्टी के 10 सदस्य हैं। देश की भिन्न-भिन्न असैम्बलियों में इसके 161 विधानसभा सदस्य हैं। दिल्ली में इसके 62, पंजाब में 92, गोवा में 2 तथा गुजरात में इसके 5 विधायक हैं। इसके अलावा गुजरात सहित कई अन्य प्रदेशों में इसके नगर निगमों तथा म्यूनिसिपल कमेटियों के भी कुछ सदस्य हैं। राष्ट्रीय पार्टी बनने से पहले इसे दिल्ली, पंजाब, गोवा तथा गुजरात में क्षेत्रीय पार्टी का दर्जा प्राप्त हो चुका था।
‘इंडिया अगेंस्ट क्रप्शन’ द्वारा अन्ना हज़ारे के नेतृत्व में भ्रष्टाचार के विरुद्ध 2011 से आन्दोलन आरम्भ करने से लेकर अरविन्द केजरीवाल द्वारा आम आदमी पार्टी बनाने तथा इसके बाद पंजाब में अपनी राजनीतिक गतिविधियां शुरू करने के लम्बे स़फर के दौरान पंजाबियों एवं विशेष रूप से सिख समुदाय ने इनका खुले दिल से समर्थन किया था क्योंकि पंजाबी पंजाब में कांग्रेस तथा अकाली-भाजपा गठबंधन की कारगुज़ारी से ऊब चुके थे तथा वे एक उचित विकल्प की तलाश में थे। इस कारण देश-विदेश में रहते पंजाबियों ने व्यापक स्तर पर इस पार्टी को फंड दिये। प्रवासी पंजाबी, पंजाब आकर चुनावों में भी इस पार्टी की सहायता करते रहे। 2022 के पंजाब विधानसभा चुनावों में इस पार्टी को मिलीं 92 सीटें भी इसी बात का प्रमाण हैं परन्तु अब एक वर्ष की अवधि में ही पंजाबियों तथा खास तौर पर सिख समुदाय के दिल से यह पार्टी तेज़ी के साथ उतरने लग पड़ी है।
यदि इस पार्टी के सिद्धांत की बात की जाये तो इसकी वामपंथी या दक्षिणपंथी या मध्य-मार्गी कोई विशेष विचारधारा दिखाई नहीं देती। यह एक केन्द्रवादी पार्टी है। इसके भीतर लोकतंत्र नाममात्र का ही है। सब कुछ केजरीवाल के इर्द-गिर्द ही घूमता है। पार्टी में शेष नेताओं का दर्जा कठपुतलियों वाला ही है। चुनावों में इसका मुख्य ज़ोर लोगों को बेहतर स्वास्थ्य सेवाएं तथा शिक्षा सेवाएं देने पर होता है।  इसके साथ-साथ ़गरीब वर्गों को मुफ़्त बिजली देने तथा पानी की बेहतर आपूर्ति देने की बात भी यह पार्टी करती है तथा स्वयं को कट्टर ईमानदार तथा भ्रष्टाचार विरोधी पार्टी होने का दावा भी करती है। बेहतर स्वास्थ्य सेवाएं देने के दावे के साथ इसने दिल्ली में मोहल्ला क्लीनिक बनाये हैं तथा बेहतर शिक्षा सेवाएं देने के नाम पर इसने दिल्ली में सरकारी स्कूलों की हालत सुधारने का दावा किया है। ़गरीब वर्गों को काफी सीमा तक दिल्ली में यह 200 यूनिट तक बिजली मुफ़्त देने तथा पानी की बेहतर आपूर्ति देने में यह सफल हुई है, परन्तु इसके मोहल्ला क्लीनिकों तथा सरकारी स्कूलों को बेहतर बनाने संबंधी दावों की पोल खुलने लग पड़ी है। कोरोना काल के दौरान इसके बनाये मोहल्ला क्लीनिक लोगों को बेहतर सेवाएं देने में व्यापक स्तर पर असफल सिद्ध हुए थे। 
इसी तरह दिल्ली में सभी सरकारी स्कूलों की हालत भी बेहतर नहीं हो सकी। विगत दिवस दिल्ली की शिक्षा मंत्री आतिशी ने दिल्ली के एक सरकारी स्कूल का निरीक्षण किया था। इस संबंधी एक वीडियो वायरल हुई है, जिसमें सरकारी स्कूल की हालत बेहद दयनीय दिखाई दे रही है। इसे लेकर विपक्षी पार्टियों ने आम आदमी पार्टी के स्कूलों संबंधी दावों की कड़ी आलोचना भी की है। ये भी तथ्य सामने आये हैं कि दिल्ली के सरकारी स्कूलों में शिक्षा का स्तर भी गिरता जा रहा है। एक समाचार के अनुसार इस बार सरकारी स्कूलों के परिणाम 40 से 50 प्रतिशत के मध्य ही रहे हैं तथा यह भी आरोप लगे हैं कि विद्यार्थियों को ग्रेस अंक देकर पास करने के भी यत्न किए गए हैं। भ्रष्टाचार के मामले में भी सरकार की कारगुज़ारी पर बड़े प्रश्न-चिन्ह खड़े हो गए हैं। दिल्ली में हुये शराब घोटाले में यह पार्टी बुरी तरह फंसी हुई है। इसके उप-मुख्यमंत्री मनीष सिसोदिया तथा अन्य कई नेता इस घोटाले के कारण सी.बी.आई. तथा ई.डी. की जांच का सामना कर रहे हैं और इस समय जेल में बंद हैं। इसके एक अन्य मंत्री सत्येन्द्र जैन भी भ्रष्टाचार के आरोपों में पिछले कई मास से जेल में हैं। भ्रष्टाचार के मुद्दे को लेकर इसका भाजपा के नेतृत्व वाली केन्द्र सरकार के साथ तीव्र विवाद चल रही है। आम आदमी पार्टी के राष्ट्रीय संयोजक तथा दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविन्द केजरीवाल को भी 16 अप्रैल को सी.बी.आई. ने शराब घोटाले के मामले में पूछताछ के लिए बुलाया था तथा उनसे कई घंटों तक पूछताछ की गई। 
(शेष कल)