विरोधी दलों की संयुक्त बैठक ‘आप’ सरकार के प्रैस तथा पंजाब विरोधी चेहरे को बेनकाब करने में सफल रही

(कल से आगे)

4. संयुक्त बैठक में आम आदमी पार्टी की मौजूदा प्रदेश सरकार पर जो सबसे गम्भीर आरोप विपक्षी दलों के नेताओं द्वारा लगाया गया, वह यह था कि सरकार को दिल्ली से केजरीवाल तथा उनके सलाहकारों द्वारा चलाया जा रहा है और चंडीगढ़ में भी अनेक गैर-पंजाबी लाखों रुपये के वेतन देकर बिठाए गए हैं, जो मीडिया को नियंत्रित करने से लेकर प्रदेश सरकार के सभी विभागों में हस्तक्षेप करते हैं। यह पूरा स्टाफ पंजाब के अधिकारों-हितों के लिए कार्य करने की बजाय आम आदमी पार्टी का प्रसार दूसरे प्रदेशों में करने के लिए पंजाब के साधनों से प्रचार-प्रसार करने में लगा हुआ है। इस उद्देश्य के लिए ही दूसरे प्रदेशों के समाचार पत्रों तथा इलैक्ट्रानिक मीडिया में बड़े स्तर पर करोड़ों रुपये खर्च करके विज्ञापन दिये जा रहे हैं और पंजाब के खज़ाने की व्यापक स्तर पर लूट की जा रही है। आम आदमी पार्टी का यह सबसे बड़ा भ्रष्टाचार है। इस संदर्भ में विपक्षी दलों के नेताओं ने यह भी आरोप लगाया कि अरविंद केजरीवाल प्रदेश के मुख्यमंत्री भगवंत मान तथा पंजाब सरकार के किराये पर लिए हुए विमान तथा हैलीकाप्टर का अपने राष्ट्रीय हितों तथा दिल्ली सरकार के हितों के लिए दुरुपयोग कर रहे हैं। विमान तथा हैलीकाप्टर का लाखों रुपये का खर्च भी पंजाब सरकार के सिर पड़ रहा है। इसका पंजाब को कोई भी लाभ होने वाला नहीं है। 
5. सर्वदलीय बैठक में आम आदमी पार्टी के नेता अरविंद केजरीवाल तथा भगवंत मान की दोहरी भूमिका का मुद्दा भी काफी गर्माया रहा। विपक्षी दलों के नेताओं ने आरोप लगाया कि एक ओर आम आदमी पार्टी के नेता सभी पार्टियों को भ्रष्ट बताते हैं और उनके द्वारा उठाए गए मुद्दों का जवाब देने से भी बहुत बार इन्कार कर देते हैं, परन्तु दूसरी ओर उन्हीं  पार्टियों से ही दिल्ली में केन्द्र सरकार द्वारा सिविल अधिकारियों के तबादलों संबंधी जारी किये गए अध्यादेश का विरोध करने के लिए सहयोग प्राप्त करने हेतु उनसे मुलाकातें कर रहे हैं और लोकतंत्र तथा संघीय ढांचे की दुहाई देकर राज्यसभा में उक्त अध्यादेश को रद्द करवाने की उन्हें अपील कर रहे हैं। 
6. आम आदमी पार्टी की सरकार द्वारा विजीलैंस से प्रदेश में भ्रष्टाचार के विरुद्ध आरंभ की गई मुहिम पर सवाल उठाते हुए विपक्षी दलों ने आरोप लगाया कि सरकार विजीलैंस का राजनीतिक नेताओं, मीडिया तथा अन्य जागरूक लोगों जो सरकार की गलत नीतियों की आलोचना करते हैं, को भयभीत करने के लिए चुनिंदा रूप में इस्तेमाल कर रही है। यदि सरकार वास्तव में प्रदेश में भ्रष्टाचार को खत्म करना चाहती है तो उसे विजीलैंस के माध्यम से प्रदेश के लोकतंत्र को विजीलैंस तंत्र में बदलने की अपेक्षा भ्रष्चाचार की जांच तथा कार्रवाई के लिए लोकायुक्त जैसी प्रभावशाली निष्पक्ष संस्था स्थापित करनी चाहिए और भ्रष्टाचार की जांच तथा कार्रवाई के सभी मामले ऐसी अथारिटी के हवाले करने चाहिएं। इस सम्भावित अथारिटी के सामने लोग तथ्यों तथा सबूतों सहित भ्रष्टाचार के मामले रख सकते हैं। लोगों को आज़ादी से मौजूदा मंत्रियों तथा सरकारी अधिकारियों के भ्रष्टाचार के मामले भी इस अथारिटी के सामने पेश करने का अधिकार होना चाहिए तथा इस व्यवस्था में सरकार का अपना कोई हस्तक्षेप नहीं होना चाहिए। तभी यह माना जाएगा कि सरकार भ्रष्टाचार को खत्म करने के लिए गम्भीर है। 
7. मंत्रिमंडल में किये गये ताज़ा फेरबदल पर टिप्पणी करते हुए विपक्षी राजनीतिक नेताओं ने कहा कि चीफ खालसा दीवान के अध्यक्ष इन्द्रबीर सिंह निज्झर को मंत्रिमंडल से त्याग-पत्र देने के लिए मजबूर करके तथा कुलदीप सिंह धालीवाल से महत्वपूर्ण विभाग छीन कर मुख्यमंत्री ने पंथ तथा पंजाब विरोधी होने का एक और सबूत दिया है। 
8. प्रदेश में स्वतंत्र तथा निष्पक्ष मीडिया के विरुद्ध आम आदमी पार्टी की सरकार द्वारा अपनाई गई दमनकारी नीतियों की संयुक्त बैठक में पारित किये गए प्रस्तावों में भी विशेष तौर पर चर्चा की गई तथा सरकार को चेतावनी दी गई कि यदि सरकार स्वतंत्र तथा निष्पक्ष मीडिया के विरुद्ध ज़्यादतियां बंद नहीं करती तो आगामी समय में मौजूदा सरकार के खिलाफ विपक्षी दल पुन: एकजुट होकर किसी बड़ी संयुक्त कार्रवाई का आह्वान करेंगे। मीडिया संबंधी प्रस्ताव में विपक्षी दलों ने प्रदेश के जागरूक लोगों को भी अपील की कि वे भी लोकतंत्र और प्रैस की स्वतंत्रता को बरकरार रखने के लिए प्रभावी भूमिका अदा करने हेतु आगे आएं। 
उपरोक्त सर्वदलीय बैठक में उठाए गए तथा विचार किये गए प्रदेश के ज्वलंत मुद्दों की अहमियत के दृष्टिगत हम यह कह सकते हैं कि विपक्षी दलों की यह पहलकदमी बेहद सफल हुई है और देश-विदेश में इसकी गूंज सुनाई दे रही है। आगामी समय में भी विपक्षी दलों को प्रदेश के ज्वलंत मुद्दों पर विचार-विमर्श करने तथा उनके समाधान के लिए मौजूदा सरकार पर दबाव डालने के लिए न सिर्फ संयुक्त बैठकें करनी चाहिएं, अपितु संयुक्त आन्दोलन के लिए भी अपने-आप को तैयार करना चाहिए। विपक्षी दल मिल कर केन्द्र सरकार के समक्ष भी पंजाब के मुद्दे प्रभावी ढंग से उठा सकते हैं। नि:संदेह इस समय पंजाब अनेक पहलुओं से अपने अस्तित्व की लड़ाई लड़ रहा है। यदि प्रदेश के समूह राजनीतिक दल इकट्ठे होकर ऐसे मसलों का समाधान करवाने के लिए आगे नहीं आते तो प्रदेश तथा प्रदेश के लोगों का बड़ा तथा न पूरा होने वाला नुकसान हो सकता है। (समाप्त)