‘पंजाब दे जम्मियां नूं नित्त मुहिमां’

हज़ारों वर्षों से पंजाब की धरती पर रहने वाले लोगों को प्राकृतिक और अप्राकृतिक तौर पर बड़ी चुनौतियों का सामना करना पड़ता रहा है। इसका एक कारण तो यह था कि पंजाब भौगोलिक तौर पर केन्द्रीय एशिया के रास्ते में आता था। केन्द्रीय एशिया से भारत की तरफ आने वाले हमलावर इसमें से निकल कर ही आगे जाते थे, जिस कारण ऐसे हमलावरों के साथ पहले मुकाबला पंजाबियों को ही करना पड़ता था। इस प्रकार सदियों तक पंजाबी विदेशी हमलावरों का सामना करते रहे। इन हमलों में उनका बड़े स्तर पर जान-माल नुकसान भी होता रहा।
इसी प्रकार पंजाब का वातावरण भी ऐसा रहा है कि इस धरती पर रहना कभी भी आसान नहीं रहा। यहां सर्दियों में अधिक सर्दी पड़ती है और गर्मियों में अधिक गर्मी पड़ती है। हर वर्ष मानसून के आने से हिमाचल सहित पंजाब के इस क्षेत्र में बड़े स्तर पर बारिश भी होती है और पंजाब के दरियाओं में भयानक बाढ़ भी आती है। 21वीं शताब्दी में धरती की तपश बढ़ने से सूखे तथा बाढ़ के प्राकृतिक प्रकोप में और भी बढ़ोतरी हो गई है। सदियों से पंजाब के ऐसे चले आ रहे हालात के कारण ही ‘पंजाब दे जम्मियां नूं नित्त मुहिमां’ वाला मुहावरा बना है। पंजाब के इन हालात ने यहां रहने वाले लोगों को सुदृढ़ और संघर्षशील बनाया है। इससे ऊपर सोने पर सुहागे वाली बात यह हुई है कि 1469 में श्री गुरु नानक देव जी के इस धरती पर प्रकाश ने यहां एक नई मानवतावादी सोच को जन्म दिया है। श्री गुरु नानक देव जी से लेकर श्री गुरु गोबिंद सिंह जी तक इस अढ़ाई सौ वर्षों के समय में यहां रहने वाले मनुष्य को ऐसा बनाया है कि वह हर चुनौती का मुकाबला दृढ़ता और हौसले के साथ करता है। न अत्याचार सहता है और न अत्याचार करता है। ‘किरत करना अते वंड छकना’ उसके जीवन का मुख्य सिद्धांत है। गुरु साहिबान द्वारा की गई ऐसे मानव की सृजना ने न केवल पंजाब बल्कि पूरे देश में बहुत बड़े राजनीतिक और सामाजिक बदलाव किये हैं। समय के साथ चाहे समाजों में बहुत-सी त्रुटियां आ जाती हैं, लेकिन अभी भी भारत में और विशेष तौर पर पंजाब में गुरु साहिबान द्वारा शुरू की गई ‘सरबत का भला’ की लहर का प्रभाव बना हुआ है। यहां रहते मनुष्य में हर चुनौती का दृढ़ता से सामना करने की ताकत भी अभी तक बनी हुई है। यह ताकत पिछले दिनों पंजाब में आई बाढ़ दौरान एक बार फिर देखने को मिली है।
जैसे कि हमने ऊपर जिक्र किया है, पिछले कुछ दिनों से पंजाब को बाढ़ ने प्रभावित किया हुआ है। इसी प्रकार 1988 में बाढ़ ने पंजाब को बुरी तरह प्रभावित किया था। उस बाढ़ से उभरने के लिए लोगों को लम्बे समय तक संघर्ष करना पड़ा था। इसी प्रकार 2019 में भी जालन्धर के ग्रामीण क्षेत्रों और कुछ अन्य ज़िलों में भयानक बाढ़ आई थी। उससे उभरने के लिए भी अभी तक लोग संघर्ष कर रहे थे परन्तु अब फिर एक बार बड़ी तबाही हो गई है। एक जानकारी अनुसार इस समय पंजाब के 14 ज़िले बाढ़ का शिकार हैं। 16 के लगभग जानें जा चुकी हैं। 6 लाख एकड़ के लगभग फसल बर्बाद हो गई है। पूरा विवरण सामने आने पर यह आंकड़ा 10 लाख एकड़ तक भी पहुंच सकता है। बाढ़ के कारण 300 से अधिक मकान गिर गये हैं। पशुओं और पोल्ट्री फार्मों का भी भारी नुकसान हुआ है। घग्गर में आई बाढ़ ने संगरूर तथा मानसा ज़िलों के क्षेत्रों भारी तबाही की है और दर्जनों गांव पूरी तरह पानी की चपेट में आ गए हैं। जालन्धर ज़िले के लोहियां तथा सुल्तानपुर लोधी के क्षेत्र में सतलुज का बांध टूट जाने के कारण भी दर्जनों गांव पानी में घिर गए हैं। बाढ़ प्रभावित गांवों में लोगों को पेयजल, भोजन एवं पशुओं के लिए चारे की समस्या सहित अनेक मुश्किलों का सामना करना पड़ रहा है। बाढ़ प्रभावित गांवों के लोग चाहे बाहर निकल आए हैं, परन्तु बड़ी संख्या में उनके पारिवारिक सदस्य अभी भी घरों की छतों पर डेरे लगाए बैठे हैं, क्योंकि किसानों के लिए सामान व पशुओं सहित घरों को पूरी तरह छोड़ना आसान नहीं होता। दूसरा कारण यह भी है कि ऐसी मुसीबत के समय बहुत-से असामाजिक तत्व भी सक्रिय हो जाते हैं और बाढ़ का शिकार हुए घरों में भी लूट-पाट का कार्य शुरू कर देते हैं। इस कारण भी लोग अपने घरों को पूरी तरह खाली करना उचित नहीं समझते। 
ऐसी स्थितियों में सिख इतिहास तथा सिख विरसे का सहारा लेकर बहुत-से समाज सेवी संगठन बाढ़ में फंसे लोगों की मदद के लिए एक बार फिर आगे आए हैं। शिरोमणि गुरुद्वारा प्रबंधक कमेटी ने तुरंत कमेटी से संबंधित पंजाब के गुरुद्वारों के प्रबंधकों को निर्देश दिए हैं कि वे गांवों तथा शहरों में बाढ़ में फंसे लोगों की मदद के लिए तुरंत सक्रिय हों। कमेटी ने बहुत-से फोन नम्बर भी जारी किए हैं, जिनके माध्यम से पीड़ित लोग शिरोमणि कमेटी से सम्पर्क कर सकते हैं। शिरोमणि कमेटी ने बाढ़ प्रभावित लोगों के लिए व्यापक स्तर पर लंगर का प्रबंध किया है। शिरोमणि कमेटी के कार्यकर्ता स्थान-स्थान पर इस कार्य में जुटे हुए हैं। इसी प्रकार रवि सिंह के नेतृत्व में अंतर्राष्ट्रीय स्तर पर संकटों से समय लोगों की मदद के लिए आगे आने वाले संगठन खालसा एड ने भी पंजाब में राहत कार्य आरंभ कर दिए हैं। खालसा एड के कार्यकर्ताओं द्वारा पेयजल तथा अन्य आवश्यक वस्तुएं बाढ़ पीड़ितों को पहुंचाई जा रही हैं। इन संगठनों के अतिरिक्त भिन्न-भिन्न क्षेत्रों में स्थानीय गुरुद्वारा कमेटियां तथा अन्य समाज सेवी संगठन भी अपने-अपने तौर पर राहत कार्य कर रहे हैं। बहुत-से स्थानों पर सेना तथा एनडीआरएफ की टीमों ने भी बाढ़ पीड़ितों को बचाने तथा बाढ़ प्रभावित क्षेत्रों से बाहर निकालने के लिए प्रशंसनीय कार्य किया है। 
बाढ़ प्रभावित क्षेत्रों में बहुत-से लोग जो अपने घरों की छतों पर बैठे हैं, चाहे बहुत कठिन परिस्थितियों में से गुज़र रहे हैं, परन्तु फिर भी उन्होंने प्रत्येक चुनौती का सामना करने के लिए अपनी दृढ़ता बनाई हुई है। यह भी हैरानी की बात है कि मीडिया के लोग जो बाढ़ से प्रभावित लोगों तक पहुंच रहे हैं, अनेक कठिनाइयों के बावजूद वहां फंसे लोगों ने ऐसे मीडिया कर्मियों की सेवा करके भी बेमिसाल हौसले तथा दृढ़ता का प्रकटावा किया है। 
यदि और बारिश न हुई तो आने वाले दिनों में बाढ़ प्रभावित क्षेत्रों में पानी कम होने लगेगा, परन्तु लोगों की समस्याएं कम नहीं होंगी। अपने घरों को साफ करके पुन: रहने योग्य बनाने तथा पशुओं के चारे के लिए प्रबंध करना तथा जहां-जहां खेतों में पानी कम होता है, वहां धान की पुन: रोपाई का प्रबंध करना, इन बाढ़ पीड़ित लोगों के मुख्य सरोकार रहेंगे। इस उद्देश्य के लिए केन्द्र सरकार, पंजाब सरकार तथा पंजाब के धार्मिक एवं सामाजिक संगठनों को शिद्दत से कई महीनों तक लोगों की सहायता करनी पड़ेगी। नि:संदेह संकट बहुत बड़ा है और इस का प्रभाव भी लोगों के जीवन पर लम्बे समय तक बना रहेगा, परन्तु हमें पूरी उम्मीद है कि अतीत की तरह पंजाब के लोग इस चुनौती का सामना करते हुए एक बार फिर ज़िन्दगी को सही रास्ते पर लाने में सफल होंगे। पंजाब की तथा पंजाब के लोगों की इसी विशेषता के दृष्टिगत पंजाबी के प्रसिद्ध शायर सुरजीत पातर ने लिखा है :
एह पंजाब कोई निरा जुगराफिया नहीं
एह इक रीत, इक गीत, इतिहास वी है
गुरुआं, ऋषियां ते सूफियां सिरजिया ए
एह फलसफा सोच एहसास वी है
किन्ने झक्खड़ां, तूफानां ’चों लंघिया ए
एहदा मुखड़ा कुझ कुझ उदास वी है
एक दिन शान इस दी सूरज वांग चमकू
मेरी आस वी है, अरदास वी है।
          -पातर 
पंजाब हिन्दू ना मुसलमान 
पंजाब जिऊंदा गुरां दे नां ’ते 
          -प्रो. पूरन सिंह