कड़े संदेश की ज़रूरत

विगत सोमवार को हरियाणा के नूंह में विश्व हिन्दू परिषद और बजरंग दल द्वारा एक मंदिर से निकाली जा रही यात्रा के संबंध में साम्प्रदायिक मोर्चे पर जो कुछ हुआ है, वह बहुत दुर्भाग्यपूर्ण है। इससे पहले सोशल मीडिया द्वारा जिस प्रकार का प्रचार वहां किया गया था, उसने पहले ही बहुत उत्तेजना पैदा कर दी थी। मोनू मानेसर नामक व्यक्ति जिसने लोगों को एकत्रित करके गायों की तस्करी के आरोप  में राजस्थान के दो मुसलमान युवकों को हरियाणा में मार दिया था और जो आज भी भगौड़ा है, की ओर से यह दावा किया जा रहा था कि वह इस यात्रा में शामिल होगा। इसके अलावा बजरंग दल के कार्यकर्ताओं द्वारा भी लगातार उत्तेजक बयान दिए जा रहे थे, जिससे माहौल में पहले ही बड़ा तनाव पैदा हो गया था। धार्मिक यात्रा के समय दोनों ही सम्प्रदायों के लोगों के बीच जिस प्रकार की हिंसक झड़पें हुईं, उसकी प्रतिक्रिया देश के कई हिस्सों में हुई है। इन झड़पों में मस्जिद के एक मौलाना और दो सुरक्षाकर्मियों सहित 6 लोग मारे जा चुके हैं। लोगों की एकत्र हुई भीड़ द्वारा स्थान-स्थान पर हमले, तोड़-फोड़ और आगज़नी करने से दुकानों, वाहनों और अन्य सम्पत्तियों को भी व्यापक स्तर पर नुकसान पहुंचा है।
भाजपा इसके लिए कांग्रेस को ज़िम्मेदार ठहराती है, क्योंकि  इस विवाद से जुड़े विधायक मामन खान कांग्रेस का प्रतिनिधित्व करते हैं। भाजपा यह भी आरोप लगाती है कि मामन खान ने हरियाणा विधानसभा में बड़े कड़े बयान दिये थे परन्तु हम इसका बड़ा कारण देश भर में बनाए जा रहे साम्प्रदायिक माहौल को समझते हैं। खासतौर पर भाजपा के शासन वाले प्रदेशों में तो साम्प्रदायिक संगठनों ने खुल कर खेलना शुरू कर दिया है। उनके बयान एवं कार्रवाइयां लगातार उत्तेजना पैदा करने वाली हैं। अधिकतर स्थानों पर निकाली जा रही यात्राओं में भी ऐसा ही माहौल देखने को मिलता है, जो दूसरे सम्प्रदाय में दहशत फैलाने वाला तथा उसे उकसाने वाला होता है, चाहे कि अब हरियाणा सरकार इस संबंध में कड़े कदम उठा रही है। अब तक व्यापक स्तर पर मामले भी दर्ज किये गये हैं तथा गिरफ्तारियां भी हुई हैं।
मुख्यमंत्री मनोहर लाल खट्टर ने कड़े अंदाज़ में कहा है कि जिन लोगों ने यह नुकसान किया है, उन लोगों से इसकी पूर्ति करवाई जाएगी। उन्होंने यह भी दावा किया है कि घटित हिंसक घटनाओं पर नियन्त्रण पा लिया गया है तथा स्थिति सामान्य की भांति हो गई है, परन्तु मिल रहे समाचारों से प्रतीत होता है कि अभी प्रशासन स्थिति पर नियन्त्रण नहीं पा सका तथा यह भी कि इसका ताप अन्य प्रदेशों में भी पहुंचता दिखाई दे रहा है, जिससे और भी अधिक नुकसान होने की सम्भावना बन गई है। इस संबंध में सर्वोच्च न्यायालय ने भी कड़े शब्दों में प्रदेश सरकारों को यह सुनिश्चित बनाने के लिए कहा है कि हरियाणा की साम्प्रदायिक झड़पों के विरोध में विश्व हिन्दू परिषद् तथा बजरंग दल द्वारा किये जा रहे प्रदर्शनों में किसी भी स्थिति में ऩफरती भाषण नहीं होने दिये जाने चाहिएं तथा किसी भी सम्भावित हिंसा को सख्ती से रोकना बेहद ज़रूरी है।
परन्तु अब समाज के लिए सोचने का समय आ गया है कि फैल रहे ऐसे साम्प्रदायिक माहौल को किस प्रकार सख्ती से नियंत्रित करना है। इसमें सभी सामाजिक संगठनों के साथ-साथ राजनीतिक दलों का भी यह फज़र् बनता है कि वे माहौल को शांत करने के लिए पूरे यत्न करें। यह बात सुनिश्चित है कि ऐसी स्थिति का बने रहना समाज के लिए बेहद घातक सिद्ध हो सकता है। इस संबंध में बिना किसी भेदभाव के आरोपियों तथा दंगाइयों के साथ सख्ती से निपटा जाना चाहिए। ऐसी कार्रवाई ही स्पष्ट सन्देश देने के समर्थ हो सकती है। इस बात को भी समझने की ज़रूरत है कि ऩफरत भरे माहौल में देश तथा समाज विकास नहीं कर सकता, क्योंकि सृजित ऐसे माहौल में हर तरह का विकास भी निरर्थक होकर रह जाता है।
—बरजिन्दर सिंह हमदर्द